देश में लिक्विड दूध का उत्पादन बढ़ा है, इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन प्लाटों की क्षमता बढऩे एवं बटर के निर्यात बढऩे लगे से देसी घी की शॉर्टेज बनी हुई है तथा फेडरेशन भी खरीद रहे हैं जिससे देसी की कमी आगे भी बरकरार रहने वाली है, इस स्थिति में बाजार अभी और थोड़ा ठहर कर बढ़ सकता है तथा दूध पाउडर में भी आगे महाकुंभ की खपत को देखते हुए तेजी लग रही है। इस बार मौसम अनुकूल होने तथा व्यांत अच्छा होने से लिक्विड दूध का उत्पादन बढऩे का सरकारी व गैर सरकारी अनुमान आ रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बटर के ऊंचे भाव होने तथा पुराना माल स्टॉक में नहीं होने से भविष्य में बाजार और तेज लग रहा है। परम डेयरी लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव कुमार ने बताया कि यूपी हरियाणा राजस्थान मध्य प्रदेश पंजाब आदि सभी प्रांतों को मिलाकर लिक्विड दूध की आपूर्ति पौने दो करोड़ लीटर के करीब दैनिक हो रही है जिसमें 1050/1100 मेट्रिक टन देसी घी एवं 1400/1450 मेट्रिक टन दूध पाउडर का उत्पादन दैनिक हो रहा है। सकल उत्पादन अनुमान 19.5 करोड़ टन का आ रहा है। बटर के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे होने से देसी घी उत्तर भारत की कंपनियों में कम बन रहा है। दूसरी ओर शादियों की चौतरफा चालानी मांग निकलने लगी है, जिससे हाजिर में पिछले दिनों 150 रुपए बढक़र प्रीमियम क्वालिटी के देसी घी के भाव 8200/8450 प्रति टीन हो गए हैं। लिक्विड दूध के भाव भी वीएलसी के 53/54 तथा टैंकर वाले क्वालिटी के अनुसार 49/51 रुपए प्रति लीटर में खरीदना पड़ रहा है, जिससे निर्माता कंपनियों को देसी घी के पड़ते कम लग रहे हैं। इधर सरकार द्वारा देसी घी पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाए जाने से व्यापार करने में काफी कठिनाई पड़ रही है। इसका सीधा प्रभाव पशुपालक किसानों पर पड़ रहा है। सरकार से आग्रह है कि इसे 12 से घटिकर पांच प्रतिशत कर दिया जाए। दूध पाउडर के भाव भी तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र में पहले की अपेक्षा महंगे हो गए हैं, क्योंकि निर्यातक वहां से माल खरीद रहे हैं। उत्तर भारत में भी महाकुंभ में खपत बढऩे वाली है, इन परिस्थितियों में इसमें भी 10-15 रुपए किलो की तेजी लग रही है। एक अन्य देसी घी निर्माता कंपनी हरबंस लाल फूड्स लिमिटेड के डायरेक्टर वीरेंद्र गुप्ता ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में इस बार बटर के ऊंचे भाव चल रहे हैं तथा फेडरेशन भी खाली चलने से लगातार लिवाली कर रहे हैं। यही कारण है कि हाल ही में 12/13 रुपए बढक़र बटर के भाव 394/395 रुपए प्रति किलो जीएसटी अतिरिक्त हो गया है। वास्तविकता यह है कि आज की तारीख में वर्तमान भाव के लिक्विड दूध से देसी घी बनाने पर 8400 रुपए से ऊपर का पड़ता आ रहा है, जिसमें कंपनी का अन्य खर्च बाकी है तथा पुराना स्टॉक भी इस बार नहीं है। उधर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बटर के ऊंचे भाव होने से देसी घी कंपनियों में स्टॉक नहीं बन पा रहा है तथा उत्पादन भी कम हो रहा है। बटर की कमी से देसी घी की शॉर्टेज आगे चलकर और बन सकती है, इस स्थिति में इसमें 10-15 रुपए प्रति किलो यानी 150/200 प्रति टीन की और तेजी लग रही है। दूसरी ओर दूध पाउडर के भाव भी 300/305 रुपए प्रति किलो के एट पार पड़ रहे हैं तथा आगे इस बार जुलाई तक लगातार शादियां हैं, उसके अलावा बड़ी खपत वाला समय महाकुंभ का 2 महीने तक रहेगा, इन परिस्थितियों में दूध पाउडर में भी घटन की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है।