चीन बहुत तेजी से ईवी का ग्लोबल गढ़ बनकर उभरा है। वैन गैंग 2007 से 2018 तक चीन में साइंस एंड टेक्नोलॉजी के मिनिस्टर थे। इन्होंने ही चीन को ईवी में ग्लोबल लीडर बनाने का पूरा प्लान तैयार किया था। इनका मानना था कि चीन को कुछ बड़ा करना है तो बिल्कुल ग्राउंड अप... जीरो से करना होगा। और इसके लिए चीन की सेंट्रल और रीजनल सरकारें एक साथ काम करेंगी और फंडिंग देंगी। इस एकमेव मिशन के चलते चीन में 2009 से 2023 के बीच ईवी इकोसिस्टम खड़ा करने पर 230 बिलियन डॉलर यानी करीब 19 लाख करोड़ रुपये का इंवेस्टमेंट हुआ।...नतीजा 2018 में चीन में 500 ईवी स्टार्टअप थे। जिनमें से ज्यादातर टिक नहीं पाए लेकिन अभी भी 100 ईवी मेकर काम कर रहे हैं। हालांकि जिस तरह से चीन के ईवी मार्केट में कत्ले-आम हो रहा है गिने-चुने ही बच पाएंगे। बाकी खेत रहेंगे। जिस तरह से जापान की ऑटो इंडस्ट्री में कोई दस साल से कंसोलिडेशन की हवा बह रही है ऐसा ही कुछ चीन में होगा। ऑटो इंडस्ट्री की ग्लोबल कंसल्टेंट एलिक्स पार्टनर्स ने कहा है कि 2030 आते-आते चीन में बमुश्किल 15 ईवी स्टार्टअप बचेंगे। वहीं मैकिंजी का मानना है कि 2030 तक 50 ईवी स्टार्टअप बच पाएंगे। एलिक्स पार्टनर्स के अनुसार चीन में अभी ईवी और प्लग-इन-हाइब्रिड बनाने वाली 129 कंपनियां काम कर रही हैं जिनमें से 2030 तक 15 ही फाइनेंशियली वायबल रहेंगी। भयंकर कंपीटिशन के कारण बड़े पैमाने पर कंसोलिडेशन होगा और कुछ बाजार में टिक ही नहीं पाएंगी। इन 15 ब्रांड्स का 2030 तक चीन के ईवी और प्लग-इन-हाइब्रिड मार्केट में 75 परसेंट शेयर होगा। और इनकी औसत सालाना सेल 10.20 लाख यूनिट्स होगी।
हालांकि एलिक्स पार्टनर्स ने उन कंपनियों का नाम नहीं बताया जो इन 15 में शामिल होंगी। लेकिन एलिक्स पार्टनर्स के ऑटोमोटिव लीड स्टीफन डायर का मानना है कि चीन में कंसोलिडेशन की रफ्तार अन्य देशों के मुकाबले सुस्त रहेगी। क्योंकि जो ब्रांड वायबल नहीं होंगे उन्हें रीजनल सरकारें सपोर्ट कर सकती हैं। क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर की ये कंपनियां रीजनल इकोनॉमी, जॉब और सप्लाई चेन के लिहाज से बहुत अहम होती हैं। डायर कहते हैं कि एनईवी यानी न्यू एनर्जी वेहीकल्स के मामले में चीन पूरी दुनिया में सबसे कंपीटिटिव है। यहां भयंकर प्राइस वॉर चल रहा है, कंपनियां बहुत तेजी से इनोवेशन कर रही हैं और नई कंपनियां क्वॉलिटी बेंचमार्क को लगातार ऊंचा कर रही हैं। चीन में पिछले डेढ़ दशक में ईवी का जो इकोसिस्टम खड़ा हुआ है उसके कारण टेक्नोलॉजी और कॉस्ट एफिशिएंसी बहुत तेजी से सुधर रही है। लेकिन यही ज्यादातर कंपनियों के लिए क्राइसिस का कारण बन रहा है और वे सस्टेनेबल प्रॉफिट कमाने में पिछड़ रही हैं। प्राइस वॉर से गुजर रहे दुनिया के सबसे बड़ा ऑटोमोटिव मार्केट चीन बड़ी ओवरकैपेसिटी पर बैठा है। इन दोनों के कारण ज्यादातर कंपनियां प्रॉफिट कमाने के लिए रस रही हैं। डायर के अनुसार पिछले साल चीन की ऑटो इंडस्ट्री का कैपेसिटी यूटिलाइजेशन दस साल में सबसे कम 50 परसेंट के लेवल पर आ गया था। बीवाईडी और ली ऑटो के अलावा कोई भी लिस्टेड ईवी कंपनी फुल ईयर प्रॉफिट नहीं दिखा पा रही है। इसे देखते हुए चीन के मार्केट रेगुलेटर ने कंपनियों को प्राइसवॉर खत्म करने को कहा है। लेकिन डायर का मानना है कि इसके चलते रहने की संभावना है।...खुलेआम प्राइस कट के बजाय कंपनियां इंश्योरेंस और जीरो इंटरेस्ट फाइनेंसिंग के जरिए कंपीटिटर से कस्टमर तोडऩे की कोशिश करती रहेंगी।
