कमिटमेंट 2025 तक 25 परसेंट का था लेकिन जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का शेयर 10 साल से 16 परसेंट के फेर में फंसा हुआ है। कभी चीन क्रिटिकल इंपोर्ट को ब्लॉक कर देता है। आपने सुना होगा चीन ने लार्ज साइज टनल बोरिंग मशीन के एक्सपोर्ट को हरी झंडी नहीं दी है। मशीन जर्मन कंपनी चीन में बनाती है लेकिन चीन में पोर्ट पर इसका शिपमेंट एक-डेढ़ साल से अटका है। नतीजा बुलट ट्रेन टनल फंस गई है। चीन ने आईफोन17 के लिए जरूरी कई हाईटेक इक्विपमेंट्स के भारत एक्सपोर्ट में रोड़ा लगाया और सैंकड़ों चाइनीज इंजीनियरों को वापस बुला लिया। लेकिन ये तो टीथिंग प्रॉब्लम्स (छोटी-छोटी समस्याएं) हैं। इन सबके बावजूद 10 वर्ष में भारत का मैन्युफैक्चरिंग जीवीए (ग्रॉस वेल्यू एडिशन) 16.2 लाख करोड़ रुपये से बढक़र 36.5 लाख करोड़ रुपये हो गया। फिर भी भारत में मैन्युफैक्चरिंग में ग्रोथ का हेडरूम बहुत है इसलिए सिंगुलैरिटी एएमसी नाम का एक वीसी फंड बना है। रिलायंस कैपिटल में रहे मधुसुदन केला के सपोर्ट वाला फंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में इंवेस्टमेंट के लिए कैपिटल जुटा रहा है। यह फंड ग्रीन एनर्जी, एनर्जी स्टोरेज, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन, बैटरी मैटीरियल्स, क्रिटिकल एनर्जी मिनरल्स, डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, मेडिकल डिवाइसज, न्यूक्लियर एनर्जी, एयरोस्पेस और ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स जैसे हाईग्रोथ सैक्टर की कंपनियों की फंडिंग करेगा। इसके फाउंडर यश केला ने कहते हैं हाई ग्रोथ मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में 250 से 500 करोड़ की फंडिंग होगी। पिछले एक वर्ष में कई कंपनियों ने नए मैन्युफैक्चरिंग फंड लॉन्च किए हैं। वेंचर इंटेलिजेंस के अनुसार अमिकस कैपिटल, ट्राइडेंट ग्रोथ पार्टनर्स, रेवएक्स कैपिटल, वेलोस अपॉर्चुनिटीज फंड, फिननोव, और फोक्स मोटर इनमें शामिल हैं। स्मार्ट मनी की मैन्युफैक्चरिंग में एंट्री हो रही है। अमिकस कैपिटल ने $200 मिलियन डॉलर के टार्गेट वाले फंड के पहले चरण में ही 177 मिलियन डॉलर जुटा लिए हैं। ट्राइफेक्टा कैपिटल ने $240 मिलियन के टार्गेट में से 120 मिलियन जुटा लिए हैं वहीं ट्राइडेंट ग्रोथ पार्टनर्स ने $234 मिलियन लक्ष्य में से 117 मिलियन जुटा लिए हैं। छोटे इंवेस्टर भी मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस बढ़ा रहे हैं। कैपिटल-ए नाम के एक सीड इंवेस्टर ने अपने $50 मिलियन डॉलर फंड को मैन्युफैक्चरिंग और डीपटेक पर केंद्रित किया है। इसके फाउंडर अंकित केडिया कहते हैं देश में मैक्रोइकनॉमिक टेलविंड्स (अनुकूल परिस्थितियां) बहुत मजबूत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ओर इशारा कर रही हैं। कोविड के दौरान हुए सप्लाई डिसरप्शन और ग्लोबल जियोपॉलिटिक्स के खतरनाक रूप से ले लेने के बाद से भारत में लोकल मैन्युफैक्चरिंग को लेकर नजरिया बदल रहा है। वेंचर इंटेलिजेंस के अनुसार मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने अब तक लगभग 1.9 बिलियन डॉलर जुटाए हैं, जो कि 2025 के आखिर तक $3.2 बिलियन तक पहुंच सकता है। एक्सेल ने 650 मिलियन का आठवां फंड लॉन्च किया है जिसमें मैन्युफैक्चरिंग प्रमुख है। मोतीलाल ओसवाल अल्टरनेट्स ने भी अपनी टीम को मजबूत किया है और डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव और मैन्युफैक्चरिंग मैटीरियल जैसे क्षेत्रों में फोकस बढ़ाया है।
