चीन ने प्राइस वॉर को कंट्रोल करने के लिए कड़ा नियम लागू कर दिया है। इसके चलते अब कंपनियां अब उत्पादों को लागत से नीचे बेचने के लिए मजबूर नहीं कर सकेंगी। चीन की ट्रेड रेगुलेटर ने एंटी-अनफेयर कंपीटिशन लॉ में संशोधन किया है जिसके कारण अब ऑनलाइन प्लेटफॉम्र्स द्वारा वेंडर पर दबाव डालकर कम कीमतों पर बेचने के सिस्टम को बैन कर दिया गया है। यह नया कानून इनवोल्यूशनल कंपीटिशन को कंट्रोल करने के लिए लाया है है। इनवोल्यूशन कंपीटिशन यानी जब कंपनियां एक-दूसरे से आगे निकलने के फेर में क्वॉलिटी और प्राइस दोनों घटा देती हैं। उदाहरण के तौर पर चीन के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जेडी डॉट कॉम पर बबल टी और कॉफी केवल 20 रुपये में बेची जा रही हैं। कंपनी फूड कैटेगरी पर कब्जा करने के लिए 10 अरब युआन की सब्सिडी झोंक रही है। नए नियम के अनुसार यदि कोई प्लेटफॉर्म वेंडर पर कॉस्ट से कम कीमत पर बेचने का दबाव डालता है, तो उस पर 20 लाख युआन तक का जुर्माना लग सकता है। चीनी शब्द नेइजुआन अब बड़ी आर्थिक बहस का हिस्सा बन गया है। ऐसा बेकार का कंपीटिशन जिसमें ना तो कस्टमर को फायदा होता है तो ना ही इंडस्ट्री को। सरकार का कहना है कि अब कंपनियों को क्वॉलिटी, सर्विस और इनोवेशन पर फोकस करना चाहिए ना कि प्राइस कंपीटिशन पर। आप जानते हैं कुछ महीने पहले चीन की जिस ईवी इंडस्ट्री को ग्लोबल दिग्गज कहा जा रहा था वो भयंकर प्राइसवॉर के चलते आपस में ही लडक़र खत्म हो रही है। नए नियमों के अनुसार अब बड़े कारोबारी वे छोटे सप्लायरों पर पेमेंट की अनुचित शर्त नहीं थोप सकेंगे। इंडस्ट्री डेटा कहता है कि ऑटो इंडस्ट्री में 8 लिस्टेड बैटरी कंपनियों अपने सप्लायर्स को औसतन 255 दिन बाद पेमेंट किया जबकि उन्हें खुद भुगतान सिर्फ 103 दिनों में मिल गया था।