भारत में 1.20 करोड़ से 1.30 करोड़ रिटेल स्टोर्स हैं। यदि एक रिटेलर के परिवार में चार निर्भर सदस्य मान लिए जाएं तो रिटेलिंग भारत में सीधे-सीधे 5 करोड़ लोगों के लिए आर्थिक सुरक्षा का मामला है। लेकिन पिछले पंद्रह साल रिटेलिंग खासकर मॉम एंड पॉप स्टोर्स यानी छोटे रिटेलर्स के लिए बहुत मुश्किल भरे रहे हैं। 2010 के बाद से अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉम और फिर ब्लिंकिट, जियोमार्ट जैसे क्यू-कॉम के एक्टिव हो जाने के कारण परंपरागत रिटेलर्स के सामने एक्जिसटेंशियल क्राइसिस (अस्तित्व का संकट) आ खड़ा हुआ है। देश में रिटेलर्स की प्रतिनिधि संस्था कैट (कन्फैडरेशन ऑफ इंडियन ट्रेडर्स) लगातार डीप डिस्काउंटिंग को लेकर मॉडर्न टेक बेस्ड रिटेलर्स का विरोध करती रही है। बीच-बीच में कंपीटिशन कमिशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) भी एक्टिव होता है लेकिन अब तो संसदीय समिति ने सीधे कंपीटिशन कमिशन से ही पूछ लिया कि आपने स्मॉल रिटेलर्स के हितों को सुरक्षित करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। समिति ने सीसीआई से पूछा....वे छोटे हैं...और कुछ बड़े खिलाडिय़ों द्वारा अपनाई जा रही डीप डिस्काउंटिंग और अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिसेस (अनुचित व्यापार प्रथाओं) के आरोपों पर क्या कदम उठाए हैं। संसदीय समिति डूइंग बिजनस इन इंडिया: द वे फॉरवर्ड नाम की एक रिपोर्ट तैयार कर रही है। समिति ने क्यू-कॉमर्स की तेज ग्रोथ पर लगाम लगाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं उन पर सीसीआई से रिपोर्ट मांगी है। समिति ने साथ ही सीसीआई से यह भी पूछा है कि क्यू-कॉमर्स की विस्फोटक ग्रोथ को मैनेज करने के लिए किस तरह के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की जरूरत है। समिति ने यह भी कहा है कि ई-कॉमर्स के बारे में बात करते समय रिटेलर्स की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि देश की आबादी का 20 परसेंट किसी ना किसी रूप से रिटेलिंग से जुड़ा है। आपको याद होगा पर्सनल केयर कंपनी मामाअर्थ को हाल ही कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स के डिस्ट्रीब्यूटर्स की एसोसिशन ने इंवेंट्री पुश करने के लिए टार्गेट पर ले लिया था। पिछले महीने इसी संघ ने सीसीआई में ब्लिंकिट, •ोप्टो और स्विगी इंस्टामार्ट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। समिति ने कहा है कि भारत की रिटेलिंग में लेवल प्लेइंग फील्ड (सबको एक जैसा काम का माहौल मिलना) घट रहा है और ई-कॉम व क्यू-कॉम के जरिए कुछ ही कंपनियों का दबदबा बढ़ रहा है जिससे ये प्राइस कंट्रोल अपने हाथ में रही हैं और परंपरागत रिटेलर्स को नुकसान हो रहा है। कॉमर्स मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने यूरोपीय संघ, जापान और ऑस्ट्रेलिया के डिजिटल कंपीटिशन कानूनों की बेस्ट प्रेक्टिस की स्टडी करने का निर्देश दिया है। टीएमसी सांसद डोला सेन की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति का मानना है कि क्यू-कॉमर्स कंपनियां डीप डिस्काउंटिंग और एक्सक्सलूसिव पार्टनरशिप के नाम पर बाजार को अपनी तरह से चलाती हैं और प्राइस फिक्स करती हैं जिससे कंपीटिशन की भावना को नुकसान पहुंच रहा है।

