अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को राष्ट्रपति ट्रम्प ने दवा कहा था जिसका उपयोग कभी-कभी बिगड़ी सेहत को सुधारने के लिए करना पड़ता है। दवा का असर तत्काल नहीं होता यानि कुछ समय बाद दवा अपना असर दिखाने लगती है लेकिन उस समय को निकालना सबसे मुश्किल व परेशानी वाला होता है। अमेरिका ने 2 दिनों में ही टैरिफ के मामले में यू-टर्न क्यों लिया, इस लाखों डॉलर के सवाल का जवाब दुनियाभर में लोग ढूंढने की कोशिशे कर रहे हैं पर इसका जवाब खुद राष्ट्रपति ट्रम्प ही जानते हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा 90 दिनों के लिए टैरिफ टालने का निर्णय एक हफ्ते तक दुनियाभर के शेयर बाजारों में मचे कोहराम के बाद लिया गया। इस खतरनाक स्थिति पर ट्रम्प की नजर जरूर रही होगी पर ऐसा लगता है कि दुनियाभर के करोड़ों लोगों की टैरिफ वार के खत्म होने की दुआ ने भी कही न कही अपना काम किया है। शेयर बाजारों की भयंकर गिरावट ने तो संदेश दे ही दिया था कि टैरिफ वार को किसी ने पसंद नहीं किया पर साथ ही अमेरिका के कुछ लोगों को छोड़ दुनियाभर के बुद्धिजीवी, डिप्लोमेट, इकोनोमिस्ट, दिग्गज कारोबारी, फाइनेंस और इकोनोमिक्स की दुनिया के टॉप लोग, राजनेता व कई देशों के प्रधानमंत्री भी टैरिफ लगाने की स्ट्रेटेजी का खुलकर विरोध करने लगे थे जिनकी आवाज भी ट्रम्प के कानों तक पहुंची होगी। एक अंदाजा यह भी लगाया जा रहा है कि ट्रम्प को टैरिफ पर आ रही प्रतिक्रयाएं परेशान करने लगी थी जिसमें JP Morgan के सीईओ का वह बयान जिसमें उन्होंने मंदी आने की बात कही थी सबसे ज्यादा परेशान करने वाला रहा। ट्रम्प टैरिफ लगाने के संकेत बहुत पहले से देते रहे हैं पर टैरिफ को टालने का निर्णय उनका एकाएक लिया निर्णय कहा जा सकता है जिसके लिए उन्होंने कुछ Calculate (हिसाब लगाना) करने की बजाए अतंरात्मा की आवाज को ज्यादा महत्व दिया। पूरी दुनिया के लिए टैरिफ टालने की घोषणा किसी बड़े Surprise से कम नहीं थी क्योंकि इस कदम को उठाने की संभावना पर शायद ही किसी ने ध्यान दिया था। सरकारी पॉलिसियों में इस तरह के बदलाव उसके कई करीबी लोगों को फायदा पहुंचाते हैं यह सच किसी से छुपा नहीं है जो हर देश पर समान रूप से लागू होता है। ट्रम्प द्वारा लगाए टैरिफ का असर आम लोगों पर आने से पहले ही शेयर बाजारों की बिगड़ी चाल अगर टैरिफ टालने का आधार बनी है तो इसका पहले से किसे पता था और किसने इस बीच शेयरों की खरीद बेच करके आम इंवेस्टर को लूटा है, ये सवाल भी उठने लगे हैं। यह कोई विश्वास से नहीं कह सकता कि टैरिफ लगाना और फिर तुरंत टाल देना किसी तय स्ट्रेटेजी का हिस्सा था या दुनिया से आ रहे खतरनाक सिग्नलों का Reaction था लेकिन इतना जरूर समझ आता है कि अमेरिका टैरिफ से अपनी पॉवर का प्रदर्शन जरूर कर रहा था व यह समझना चाहता था कि उसके पास किस-किस को झुकाने व डील करने की शक्ति आज भी मौजूद है। वास्तव में अमेरिका टैरिफ के बहाने चीन की चाल को देखना चाहता था जो टैरिफ के आगे नहीं झुका और अमेरिका शायद यही दुनिया को भी दिखाना चाहता था। जब तक टैरिफ का मामला पूरी तरह हल होकर तय नहीं हो जाता जब तक शायद ही कोई कंपनी अपना इंवेस्टमेंट शिफ्ट करने पर खर्च करेगी और यह होने से पहले कितने अच्छे-बुरे Surprise देखने होंगे यह भी कोई नहीं जानता इसलिए अच्छा होने की दुआ करने की पॉवर को दवा लेने के बढ़ते ट्रेंड में कम नहीं माना जाना चाहिए, ऐसा संकेत पिछले दिनों बनी स्थितियां देती है।