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13-08-2025

कर्नाटक में सुपारी की फसल पर ‘फ्रूट रॉट’ का संकट : उत्पादन प्रभावित होने की आशंका

  •  कर्नाटक में सुपारी की फसल फिलहाल गंभीर संकट का सामना कर रही है। राज्य के प्रमुख सुपारी उत्पादक क्षेत्रों में लगातार और अत्यधिक बारिश के कारण फसल ‘फ्रूट रॉट’ (फल सडऩ) नामक रोग से बुरी तरह प्रभावित हो गई है। यह बीमारी तेजी से फैलकर विकसित हो रही सुपारी की फसल का बड़ा हिस्सा नष्ट कर रही है, जिससे किसानों की आय पर सीधा असर तो पड़ ही रहा है इसके आगे सुपारी की कीमतों में भी तेजी की संभावना है। दक्षिण कन्नड़, उडुपी, उत्तर कन्नड़, शिवमोग्गा और चिक्कमगलूरु जैसे जिलों में इस बार मानसून का जलस्तर सामान्य से काफी अधिक रहा। लगातार हो रही बारिश से खेतों में नमी का स्तर इतना बढ़ गया कि फफूंदजनित रोग फैलने के लिए अनुकूल माहौल बन गया। किसानों ने कई बार फफूंदनाशक का छिडक़ाव किया, लेकिन लगातार वर्षा के कारण इसका असर सीमित रहा। नतीजतन, राज्य में लगभग 40-50 प्रतिशत तक सुपारी की पैदावार को नुकसान पहुंचा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौसम की मौजूदा स्थिति बनी रही, तो आने वाले दिनों में फसल को नुकसान और बढ़ सकता है। इससे न केवल किसानों की आजीविका प्रभावित होगी, बल्कि राज्य के सुपारी उद्योग पर भी बड़ा असर पड़ेगा, जो स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। कर्नाटक भारत का सबसे बड़ा सुपारी उत्पादक राज्य है। वर्ष 2023-24 के अनुमानों के अनुसार, यहां 6.77 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 10.32 लाख टन सुपारी का उत्पादन हुआ। यह देश के कुल उत्पादन का 73 प्रतिशत और कुल क्षेत्रफल का 71 प्रतिशत हिस्सा है। इतनी बड़ी हिस्सेदारी होने के कारण, यहां फसल को हुआ नुकसान राष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय है। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए, किसान संगठन और सहकारी संस्थाएं राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रही हैं। उनका कहना है कि सरकार को एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराकर वास्तविक फसल हानि का आकलन करना चाहिए और प्रभावित किसानों को समय पर मुआवजा प्रदान करना चाहिए। इससे किसानों को आर्थिक राहत मिलेगी और वे अगले सीजन के लिए अपनी खेती को बचा सकेंगे। कृषि विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए दीर्घकालिक उपाय भी जरूरी हैं। इसमें जल निकासी व्यवस्था में सुधार, रोग-प्रतिरोधी पौधों का विकास, और फसल प्रबंधन के आधुनिक तरीकों को अपनाना शामिल है। इससे भविष्य में इस तरह के रोगों के असर को कम किया जा सकेगा। कुल मिलाकर, कर्नाटक में सुपारी की फसल पर ‘फ्रूट रॉट’ रोग का प्रकोप किसानों के लिए आर्थिक और मानसिक दोनों स्तरों पर बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। समय पर सरकारी मदद और दीर्घकालिक योजना ही इस संकट से उबरने का एकमात्र उपाय मानी जा रही है।

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कर्नाटक में सुपारी की फसल पर ‘फ्रूट रॉट’ का संकट : उत्पादन प्रभावित होने की आशंका

 कर्नाटक में सुपारी की फसल फिलहाल गंभीर संकट का सामना कर रही है। राज्य के प्रमुख सुपारी उत्पादक क्षेत्रों में लगातार और अत्यधिक बारिश के कारण फसल ‘फ्रूट रॉट’ (फल सडऩ) नामक रोग से बुरी तरह प्रभावित हो गई है। यह बीमारी तेजी से फैलकर विकसित हो रही सुपारी की फसल का बड़ा हिस्सा नष्ट कर रही है, जिससे किसानों की आय पर सीधा असर तो पड़ ही रहा है इसके आगे सुपारी की कीमतों में भी तेजी की संभावना है। दक्षिण कन्नड़, उडुपी, उत्तर कन्नड़, शिवमोग्गा और चिक्कमगलूरु जैसे जिलों में इस बार मानसून का जलस्तर सामान्य से काफी अधिक रहा। लगातार हो रही बारिश से खेतों में नमी का स्तर इतना बढ़ गया कि फफूंदजनित रोग फैलने के लिए अनुकूल माहौल बन गया। किसानों ने कई बार फफूंदनाशक का छिडक़ाव किया, लेकिन लगातार वर्षा के कारण इसका असर सीमित रहा। नतीजतन, राज्य में लगभग 40-50 प्रतिशत तक सुपारी की पैदावार को नुकसान पहुंचा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौसम की मौजूदा स्थिति बनी रही, तो आने वाले दिनों में फसल को नुकसान और बढ़ सकता है। इससे न केवल किसानों की आजीविका प्रभावित होगी, बल्कि राज्य के सुपारी उद्योग पर भी बड़ा असर पड़ेगा, जो स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। कर्नाटक भारत का सबसे बड़ा सुपारी उत्पादक राज्य है। वर्ष 2023-24 के अनुमानों के अनुसार, यहां 6.77 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 10.32 लाख टन सुपारी का उत्पादन हुआ। यह देश के कुल उत्पादन का 73 प्रतिशत और कुल क्षेत्रफल का 71 प्रतिशत हिस्सा है। इतनी बड़ी हिस्सेदारी होने के कारण, यहां फसल को हुआ नुकसान राष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय है। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए, किसान संगठन और सहकारी संस्थाएं राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रही हैं। उनका कहना है कि सरकार को एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराकर वास्तविक फसल हानि का आकलन करना चाहिए और प्रभावित किसानों को समय पर मुआवजा प्रदान करना चाहिए। इससे किसानों को आर्थिक राहत मिलेगी और वे अगले सीजन के लिए अपनी खेती को बचा सकेंगे। कृषि विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए दीर्घकालिक उपाय भी जरूरी हैं। इसमें जल निकासी व्यवस्था में सुधार, रोग-प्रतिरोधी पौधों का विकास, और फसल प्रबंधन के आधुनिक तरीकों को अपनाना शामिल है। इससे भविष्य में इस तरह के रोगों के असर को कम किया जा सकेगा। कुल मिलाकर, कर्नाटक में सुपारी की फसल पर ‘फ्रूट रॉट’ रोग का प्रकोप किसानों के लिए आर्थिक और मानसिक दोनों स्तरों पर बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। समय पर सरकारी मदद और दीर्घकालिक योजना ही इस संकट से उबरने का एकमात्र उपाय मानी जा रही है।


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