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26-09-2024

गेहूं की बिक्री टेंडर में नहीं होने से और तेजी की संभावना

  •  सरकार द्वारा ओएमएसएस में गेहूं, टेंडर द्वारा रोलर फ्लोर मिलों एवं आटा चक्कियों को पहले एक अगस्त से बेचने की घोषणा की गई थी, उसके बाद अक्टूबर में देने की योजना थी, बाद में नहीं देने की घोषणा हो गई, जिससे 3000 रुपए बनने के आसार बन गए हैं। गेहूं की बिजाई अधिक होने से देश में उत्पादन अधिक हुआ है, लेकिन पाइप लाइन में पुराना स्टाक नहीं होने तथा मंडियों में बड़ी कंपनियों द्वारा प्रतिस्पर्धात्मक खरीद किए जाने से समर्थन मूल्य से ऊंचा गेहूं अप्रैल-मई में ही बिक गया। सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 का है, जबकि एमपी की मंडियों में 2350 से 2550 रुपए तक गेहूं बड़ी कंपनी ने खरीद किया, जिस कारण सरकार को वहां गेहूं की वसूली कम हो पाई। उधर हरियाणा पंजाब में गेहूं अधिक मिला, इसके बावजूद भी सकल खरीद लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो पाया। वर्तमान में बड़ी कंपनियों द्वारा गेहूं रोक लिया गया है। उधर किसानी माल की आवक पूरी तरह समाप्त हो गई है, जिससे निरंतर गेहूं में तेजी बनी हुई है। वर्तमान में इसके भाव 10 दिन के अंतराल 70/80 रुपए बढक़र 2920/2930 रुपए प्रति कुंतल हो गए हैं। यह गत वर्ष की अपेक्षा 400 रुपए ऊंचा भाव है। गौरतलब है कि सरकार द्वारा गत एक अगस्त से ही ओपन मार्केट सेल स्कीम के अंतर्गत गेहूं की बिक्री 2300/2325 रुपए प्रति कुंतल के भाव में किए जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन उसके बाद अक्टूबर में देने की बात कही गई तथा अंत में खुले बाजार में टेंडर द्वारा गेहूं बेचने की योजना ही समाप्त कर दी गई है। जिस कारण रोलर फ्लोर मिलों एवं आटा चक्कियों की मांग बढ़ गई है, इस वजह से एक बार फिर तेजी की आग लग गई है। गौरतलब है कि गेहूं का उत्पादन इस बार सरकारी अनुमान के मुताबिक 1120.70 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान लगाया गया था, जो गत वर्ष के 1090 लाख मीट्रिक टन से अधिक रहा है, लेकिन गेहूं एमपी राजस्थान में आने के साथ ही बड़ी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक खरीद चलने से बाजार उछलता चला गया, जिससे सरकार को निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप गेहूं नहीं मिल पाया। गेहूं की कुल खरीद इस बार 267 लाख मीट्रिक टन के करीब रह गई, जबकि गत वर्ष 262 लाख मीट्रिक टन हुई थी। वर्ष 2022 में भी सरकारी गेहूं की खरीद कुल 188 लाख मीट्रिक टन के आसपास ही रह गई थी। यही कारण है बड़ी कंपनियां अभी बिकवाल नहीं आ रहे हैं, जिससे इसके भाव लगातार बढ़ते हुए 2920/2930 रुपए की ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। गेहूं की बिजाई अक्टूबर-नवंबर में होगी तथा इसकी नई फसल मार्च-अप्रैल में आएगी। अत: अभी फसल के लिए लंबा समय बाकी है। वहीं सरकार द्वारा की बिक्री करने से मना कर दिया गया है, इन परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा आभास हो रहा है कि गेहूं जल्दी दिल्ली में 3000 रुपए प्रति कुंतल हो सकता है।

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गेहूं की बिक्री टेंडर में नहीं होने से और तेजी की संभावना

 सरकार द्वारा ओएमएसएस में गेहूं, टेंडर द्वारा रोलर फ्लोर मिलों एवं आटा चक्कियों को पहले एक अगस्त से बेचने की घोषणा की गई थी, उसके बाद अक्टूबर में देने की योजना थी, बाद में नहीं देने की घोषणा हो गई, जिससे 3000 रुपए बनने के आसार बन गए हैं। गेहूं की बिजाई अधिक होने से देश में उत्पादन अधिक हुआ है, लेकिन पाइप लाइन में पुराना स्टाक नहीं होने तथा मंडियों में बड़ी कंपनियों द्वारा प्रतिस्पर्धात्मक खरीद किए जाने से समर्थन मूल्य से ऊंचा गेहूं अप्रैल-मई में ही बिक गया। सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 का है, जबकि एमपी की मंडियों में 2350 से 2550 रुपए तक गेहूं बड़ी कंपनी ने खरीद किया, जिस कारण सरकार को वहां गेहूं की वसूली कम हो पाई। उधर हरियाणा पंजाब में गेहूं अधिक मिला, इसके बावजूद भी सकल खरीद लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो पाया। वर्तमान में बड़ी कंपनियों द्वारा गेहूं रोक लिया गया है। उधर किसानी माल की आवक पूरी तरह समाप्त हो गई है, जिससे निरंतर गेहूं में तेजी बनी हुई है। वर्तमान में इसके भाव 10 दिन के अंतराल 70/80 रुपए बढक़र 2920/2930 रुपए प्रति कुंतल हो गए हैं। यह गत वर्ष की अपेक्षा 400 रुपए ऊंचा भाव है। गौरतलब है कि सरकार द्वारा गत एक अगस्त से ही ओपन मार्केट सेल स्कीम के अंतर्गत गेहूं की बिक्री 2300/2325 रुपए प्रति कुंतल के भाव में किए जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन उसके बाद अक्टूबर में देने की बात कही गई तथा अंत में खुले बाजार में टेंडर द्वारा गेहूं बेचने की योजना ही समाप्त कर दी गई है। जिस कारण रोलर फ्लोर मिलों एवं आटा चक्कियों की मांग बढ़ गई है, इस वजह से एक बार फिर तेजी की आग लग गई है। गौरतलब है कि गेहूं का उत्पादन इस बार सरकारी अनुमान के मुताबिक 1120.70 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान लगाया गया था, जो गत वर्ष के 1090 लाख मीट्रिक टन से अधिक रहा है, लेकिन गेहूं एमपी राजस्थान में आने के साथ ही बड़ी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक खरीद चलने से बाजार उछलता चला गया, जिससे सरकार को निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप गेहूं नहीं मिल पाया। गेहूं की कुल खरीद इस बार 267 लाख मीट्रिक टन के करीब रह गई, जबकि गत वर्ष 262 लाख मीट्रिक टन हुई थी। वर्ष 2022 में भी सरकारी गेहूं की खरीद कुल 188 लाख मीट्रिक टन के आसपास ही रह गई थी। यही कारण है बड़ी कंपनियां अभी बिकवाल नहीं आ रहे हैं, जिससे इसके भाव लगातार बढ़ते हुए 2920/2930 रुपए की ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। गेहूं की बिजाई अक्टूबर-नवंबर में होगी तथा इसकी नई फसल मार्च-अप्रैल में आएगी। अत: अभी फसल के लिए लंबा समय बाकी है। वहीं सरकार द्वारा की बिक्री करने से मना कर दिया गया है, इन परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा आभास हो रहा है कि गेहूं जल्दी दिल्ली में 3000 रुपए प्रति कुंतल हो सकता है।


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