दलहन बाजार में देसी चना न्यूनतम स्तर पर आ गया है तथा उत्पादक मंडियों में भी आवक टूट गई है, इन सब के बावजूद भी दाल व बेसन की बिक्री अनुकूल नहीं होने से बाजार उठने का नाम नहीं ले रहा है तथा भविष्य में मंदा भी नहीं लग रहा है, क्योंकि किसी भी मंडी में आज की तारीख में माल मांगने पर मिलना मुश्किल है। इसमें लंबे दिनों से ठहराव का मुख्य कारण मटर की दाल सस्ती बिकनी है तथा इसका मिलावट वाला बेसन भी पूर्वी भारत में धड़ल्ले से बिक रहा है, जो देसी चने को बिक्री में बाधक बना हुआ है। देसी चने की आपूर्ति राजस्थान के नोहर भादरा, सवाई माधोपुर, सरदारशहर, तारानगर के साथ-सथ महाराष्ट्र के अकोला जलगांव परभणी एवं मध्य प्रदेश के ग्वालियर इंदौर शिवपुरी कटनी भोपाल आदि किसी भी मंडी में केवल 10 प्रतिशत रह गई है। देसी चना किसी भी उत्पादक मंडियों से आज की तारीख में दिल्ली मंगाने पर 5975 से कम का पड़ता नहीं आ रहा है, इसमें घटती अलग है, लेकिन यहां 5800 का व्यापार हो रहा है तथा कुछ बढिय़ा चना 5825 राजस्थान का बोल रहे हैं। इधर ऑस्ट्रेलिया का माल भी मंडियों में ज्यादा नहीं है, लेकिन कुछ आयातकों के पास आए हुए हैं, जो 5875 से कम में बिकवाल नहीं है। गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया में भी इस बार काले चने की बिजाई पिछले दो-तीन वर्षों की अपेक्षा कम सुनने में आ रही है, लेकिन सटोरिए अक्टूबर-नवंबर शिपमेंट के सौदे गत वर्ष की अपेक्षा काफी सस्ता बोलने लगे हैं, इसे देखकर कारोबारी अपना माल औने-पौने भाव में काटने में जुट गए हैं। आगे वास्तविकता का क्या होगा, यह भगवान ही जाने, लेकिन फिलहाल बाजारों में दाल व बेसन की बिक्री पूरी तरह ठंडी पड़ गई है। इसका मुख्य कारण यह है कि मुंदड़ा मुंबई एवं कोलकाता बंदरगाहों से मटर सस्ते भाव में बिक रही है, कोलकाता मंडी मुंदड़ा से कुछ ऊंची बिक रही है, क्योंकि उसकी दाल व बेसन उस पोर्ट से लगातार लोड हो रही है, इस तरह देसी चने की बिक्री पर सीधा प्रहार कर रही है। यहां तक की तुवर का व्यापार भी, मटर का दबाव झेल रहा है, क्योंकि यूपी बिहार बंगाल असम झारखंड उड़ीसा आदि सभी राज्यों में तुवर की दाल खाई जाती है तथा उसमें छोटी मटर की दाल आराम से 30-35 मिलाकर धड़ल्ले से बिक रही है। पूर्वी राज्यों में जितना ही दाल गलती है, उतना ही बढिय़ा मानी जाती है तथा मटर बनने के बाद गल कर रंगा हो जाती है। यही कारण है कि तुवर की दाल का व्यापार पूरे वर्ष मंदा रहने वाला है। देसी चना व बेसन में भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिस कारण अभी कुछ दिन बाजार उठने नहीं देगा, लेकिन हाल ही में मटर के भाव कनाडा में अक्टूबर शिपमेंट के कुछ ऊंचे बोल रहे हैं। तथा देसी चने के पड़ते भी ऑस्ट्रेलिया से वर्तमान भाव से ऊपर ही लग रहे हैं, इसलिए जो देसी चना 5800 रुपए प्रति क्विंटल लॉरेंस रोड पर मिल पहुंच में बिक रहा है, इसमें घटने की गुंजाइश अब बिल्कुल नहीं है तथा ऐसा आभास हो रहा है कि 31 अगस्त से पहले एक बार देसी चना 500 बढ़ सकता है।