एक्सपर्ट्स के अनुसार इसका सबसे बड़ा कारण यूजर बिहेवियर है। फास्ट प्रोडक्ट डिलीवरी और वो भी बिना फिजिकल स्टोर जाये, यदि मिलती है तो यूजर को यह सर्विस पसंद आ रही है। यंग अरबन कन्ज्यूमर्स प्राइवेसी और हैल्थ को वैल्यू करते हैं और ऐसे में इन प्रोडक्ट्स की सेल्स हाई है। टेकसीएक्सएन डेटा के अनुसार 51 सैक्जुअल वैलनेस स्टार्टअप्स ने कलेक्टिवली करीब 29.54 मिलियन डॉलर का फंड रेज किया है। इनमें बोल्ड केयर, एल्लो हैल्थ, काइंडली, आदार, आरएक्समैन, थेटमेट और कुपिडकेयर शामिल हैं। वैलनेस सप्लीमेंट्स, कार्ड गेम्सआदि सबसे ज्यादा सेल होने वाली कैटेगरीज हैं। देश का सैक्जुअल वैलनेस मार्केट गत वर्ष 1.4 बिलियन डॉलर का रहा और वर्ष 2033 में बढक़र 2.5 बिलियन डॉलर का हो जाने की सम्भावना है। आईएमएआरसी गु्रप ने यह अनुमान जताया है। यानि ग्रोथ रेट 6.2 प्रतिशत की रह सकती है। इसमें क्विक डिलीवरी मॉडल को शानदार रेस्पांस मिलने की सम्भावना है। कई फीमेल प्रोडक्ट्स तो ऐसे होते हैं, जिसके बारे में गल्र्स, लेडिज परिवारवालों को पता नहीं चलने देना चाहती, ऐसे में क्विक कॉमर्स को इसका लाभ मिल रहा है। क्विक कॉमर्स लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप जिप्पी के फाउंडर और सीईओ के अनुसार बॉयर्स अपनी प्राइवेसी और फास्ट डिलीवरी दोनों को मेनटेन रखना चाहते हैं। इसलिये यह चैनल फलफूल रहा है। कस्टमर्स इसके लिये बीस से तीस प्रतिशत ज्यादा भुगतान करने को भी राजी हैं। टीयर टू सिटीज में फस्र्ट टाइम और रिपीट कन्ज्यूमर वर्ग में युवतियां शामिल हैं।