परिधान निर्यातकों के संगठन एईपीसी ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के भारतीय वस्तुओं पर शुल्क को दोगुना करके 50 प्रतिशत करने का फैसला सूक्ष्म और मध्यम उद्यमों के लिए बहुत बुरा है और खासकर अमेरिकी बाजार पर अत्यधिक निर्भर उद्यमों के लिए यह मौत की घंटी जैसा होगा। उद्योग निकाय ने सरकार से तत्काल वित्तीय सहायता की मांग भी की है। परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने कहा कि यह घोषणा श्रम-प्रधान निर्यात उद्योग के लिए एक बड़ा झटका है। उन्होंने कहा कि उद्योग इसे किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं कर सकता। मुझे यकीन है कि सरकार को भी यह अहसास है कि शुल्क में यह अनुचित वृद्धि सूक्ष्म और मध्यम परिधान उद्योग, खासकर उन उद्योगों के लिए मौत की घंटी जैसा होगा, जो मुख्य रूप से अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की वित्तीय सहायता से ही उद्योग को बचाया जा सकता है। अमेरिका भारतीय तैयार परिधान निर्यात का एक प्रमुख बाजार है। भारत के कुल परिधान निर्यात में 2024 में अमेरिका का हिस्सा 33 प्रतिशत था। इसकी हिस्सेदारी 2020 में 4.5 प्रतिशत से बढक़र 2024 में 5.8 प्रतिशत हो गई है।