देश के एडवरटाइजिंग मार्केट ने फाइनेंशियल ईयर 2025 में एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है। इसमें डिजिटल एडवरटाइजिंग का शेयर करीब 45-46 प्रतिशत है। क्रिसिल इंटेलीजेंस की रिपोर्ट के अनुसार गत पांच फाइनेंशियल ईयर्स में एड इंडस्ट्री में छह से सात प्रतिशत के सीएजीआर से ग्रोथ देखी जा रही है। फास्टेस्ट ग्रोइंग सेगमेंट में डिजिटल एडवरटाइजिंग शामिल है। चालू वित्तीय वर्ष में ट्रेडीशनल और डिजिटल मीडिया के बीच गैप और बढऩे की सम्भावना है। नौ से ग्यारह प्रतिशत का ग्रोथ फिगर रह सकता है। इसका कारण यह है कि भारत में कंटेंट कन्ज्यूम करने का तरीका बदल रहा है। इस ट्रांसफॉर्मेशन का असर देश के मीडिया चैनल्स पर नजर आ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार टेलीविजन इंडस्ट्री दो तरीके की मार झेल रही है। एक तो ब्रॉडकास्टर्स रेवेन्यू लॉस भुगत रहे हैं क्योंकि दर्शक ओटीटी प्लेटफॉम्र्स पर शिफ्ट हो रहे हैं और दूसरा डिस्ट्रीब्यूशन नेटवक्र्स के सब्सक्राइबर्स ऑप्टिक फाइबर बेस्ड सर्विसेज पर जा रहे हैं। प्रिंट मीडिया के सामने सर्कूलेशन घटने की चुनौतियां हैं। डिजिटल न्यूज एप्लीकेशंस के कारण प्रिंट मीडिया के सब्सक्राइबर्स वहां पर शिफ्ट हो रहे हैं। ऐसे में डिजिटल प्लेटफॉमर्स की रीडरशिप बढ़ रही है। जहां पाठक होंगे, वहीं एड वरटाइजिंग का फ्लो ज्यादा होगा। क्रिसिल इंटेलीजेंस के डायरेक्टर के अनुसार एडवरटाइजिंग स्पेंड पैटर्न अनेक सेक्टर्स में नजर आ रहा है। फास्ट मूविंग कन्ज्यूमर गुड्ज, ऑटोमोबाइल्स, ई-कॉमर्स सेक्टर्स में यह देखा जा सकता है। एफएमसीजी कम्पनियां अब एड बजट का करीब 55 से 60 प्रतिशत डिजिटल पर स्पेंड कर रही है। जबकि वित्तीय वर्ष 2020 में यह केवल 30 प्रतिशत हुआ करता था। यानि कि दोगुनी वृद्धि हो गई है। कंटेंट क्रिएटर्स से कोलेबोरेशंस, टारर्गेटेड एड नजर आ रहे हैं। ऑटोमोबाइल कम्पनियों ने भी डिजिटल एड स्पेंस को 35 से 40 प्रतिशत बढ़ा लिया है। इसी प्रकार ई-कॉमर्स प्लेयर्स के लिये डिजिटल एड स्पेंड करीब 60 प्रतिशत पर पहुंच गया है। रिपोर्ट के अनुसार देश में कंटेंट कन्जम्पशन को लेकर ट्रांसफॉर्मेशन का दौर चल रहा है, जो एड स्पेंड के चक्र को भी बदलने का काम कर रहा है।