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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

06-12-2025

मारुति का...30 तक 50...का टार्गेट!

  •  पीवी लीडर इन दिनों ब्रीदर में है। पीवी लीडर यानी मारुति। मार्केट बदल रहा है तो कंपनी स्ट्रेटेजी भी बदल रही है। कंपनी ने रिकॉर्ड डॉमेस्टिक सेल्स के बीच अपने लॉन्ग टर्म टार्गेट को भी फाइनट्यून कर लिया है। कंपनी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने हाल ही कहा कि मारुति सुजुकी 2030 तक 50 परसेंट मार्केट शेयर तक वापसी करना चाहती है। साथ में लगी टेबल के अनुसार वित्त वर्ष 2019 में मारुति का मार्केट शेयर 51.2 परसेंट था लेकिन टाटा और महिन्द्रा के हाइपरएक्टिव होने और एसयूवी का ट्रेंड और तेज हो जाने के कारण स्मॉल या कहें तो कॉम्पेक्ट कार दिग्गज को वॉल्यूम ना सही मार्केट शेयर में जरूर नुकसान उठाना पड़ा है। बात सिर्फ डॉमेस्टिक मार्केट की नहीं है। भार्गव के अनुसार कंपनी आने वाले वर्षों में एक्सपोर्ट वॉल्यूम को 7.5 से 8 लाख यूनिट्स तक पहुंचाने के लिए एक्शन प्लान पर काम कर रही है। भार्गव के अनुसार यह टार्गेट कंपनी की लॉन्गटर्म स्ट्रेटेजी का हिस्सा है। कंपनी 2030-31 तक 7.50 से 8.00 लाख कारों का एक्सपोर्ट करने की दिशा में बढ़ रही है। इस वर्ष 15 अगस्त के बाद डीलर डिस्पैच में गिरावट आई थी क्योंकि प्राइस कट की उम्मीद में बायर्स वेट एंड वॉच मोड में थे लेकिन 22 सितंबर को जीएसटी दरों में कटौती की घोषणा होने के बाद सेल्स में अचानक रिकॉर्ड उछाल देखने को मिला। कंपनी के सीनियर एक्जेक्टिव ऑफिसर (मार्केटिंग एंड सेल्स) पार्थो बनर्जी के अनुसार अक्टूबर में मारुति ने 2,42,096 यूनिट्स की रिटेल सेल्स की, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20 परसेंट अधिक है। यह अक्टूबर महीने में मारुति सुजुकी की अब तक की सबसे बड़ी रिटेल सेल्स रही। चालीस दिन के फेस्टिव सीजन में कंपनी ने 5 लाख बुकिंग्स और 4.1 लाख रिटेल सेल्स दर्ज कीं, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दोगुनी हैं। बनर्जी के अनुसार पहले बाजार में नए ग्राहकों की संख्या कम हो रही थी, लेकिन जीएसटी कट के बाद फस्र्ट टाइम बायर फिर से बाजार में लौट रहे हैं। भार्गव के अनुसार जीएसटी कट और डिमांड रिवाइवल के चलते कंपनी की लॉन्गटर्म ग्रोथ की संभावनाएं मजबूत हैं। भार्गव ने कहा है कि कंपनी की वॉल्यूम ग्रोथ आने वाले महीनों में 7-8' के लेवल पर स्थिर हो जाएगी, जबकि वित्त वर्ष 2025-26 में एक्सपोर्ट 4 लाख यूनिट्स के लेवल को पार कर सकता है जो पिछले वर्ष के 3.10 लाख यूनिट्स के एक्सपोर्ट के मुकाबले 25-30 परसेंट की ग्रोथ दिखाता है। भार्गव के अनुसार 18 परसेंट जीएसटी ब्रैकेट वाली छोटी कारों की डिमांड में तेज ग्रोथ हुई है। अक्टूबर में इस सेगमेंट की सेल्स पिछले साल के मुकाबले 30 परसेंट ज्यादा रही। भार्गव के अनुसार कंपनी अपनी पांचवीं मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के लिए फिलहाल जगह की तलाश में हैं। कंपनी पहले ही खरखोदा (हरियाणा) में तीसरे प्लांट के लिए 7,410 करोड़ का निवेश कर चुकी है। 

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मारुति का...30 तक 50...का टार्गेट!

 पीवी लीडर इन दिनों ब्रीदर में है। पीवी लीडर यानी मारुति। मार्केट बदल रहा है तो कंपनी स्ट्रेटेजी भी बदल रही है। कंपनी ने रिकॉर्ड डॉमेस्टिक सेल्स के बीच अपने लॉन्ग टर्म टार्गेट को भी फाइनट्यून कर लिया है। कंपनी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने हाल ही कहा कि मारुति सुजुकी 2030 तक 50 परसेंट मार्केट शेयर तक वापसी करना चाहती है। साथ में लगी टेबल के अनुसार वित्त वर्ष 2019 में मारुति का मार्केट शेयर 51.2 परसेंट था लेकिन टाटा और महिन्द्रा के हाइपरएक्टिव होने और एसयूवी का ट्रेंड और तेज हो जाने के कारण स्मॉल या कहें तो कॉम्पेक्ट कार दिग्गज को वॉल्यूम ना सही मार्केट शेयर में जरूर नुकसान उठाना पड़ा है। बात सिर्फ डॉमेस्टिक मार्केट की नहीं है। भार्गव के अनुसार कंपनी आने वाले वर्षों में एक्सपोर्ट वॉल्यूम को 7.5 से 8 लाख यूनिट्स तक पहुंचाने के लिए एक्शन प्लान पर काम कर रही है। भार्गव के अनुसार यह टार्गेट कंपनी की लॉन्गटर्म स्ट्रेटेजी का हिस्सा है। कंपनी 2030-31 तक 7.50 से 8.00 लाख कारों का एक्सपोर्ट करने की दिशा में बढ़ रही है। इस वर्ष 15 अगस्त के बाद डीलर डिस्पैच में गिरावट आई थी क्योंकि प्राइस कट की उम्मीद में बायर्स वेट एंड वॉच मोड में थे लेकिन 22 सितंबर को जीएसटी दरों में कटौती की घोषणा होने के बाद सेल्स में अचानक रिकॉर्ड उछाल देखने को मिला। कंपनी के सीनियर एक्जेक्टिव ऑफिसर (मार्केटिंग एंड सेल्स) पार्थो बनर्जी के अनुसार अक्टूबर में मारुति ने 2,42,096 यूनिट्स की रिटेल सेल्स की, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20 परसेंट अधिक है। यह अक्टूबर महीने में मारुति सुजुकी की अब तक की सबसे बड़ी रिटेल सेल्स रही। चालीस दिन के फेस्टिव सीजन में कंपनी ने 5 लाख बुकिंग्स और 4.1 लाख रिटेल सेल्स दर्ज कीं, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दोगुनी हैं। बनर्जी के अनुसार पहले बाजार में नए ग्राहकों की संख्या कम हो रही थी, लेकिन जीएसटी कट के बाद फस्र्ट टाइम बायर फिर से बाजार में लौट रहे हैं। भार्गव के अनुसार जीएसटी कट और डिमांड रिवाइवल के चलते कंपनी की लॉन्गटर्म ग्रोथ की संभावनाएं मजबूत हैं। भार्गव ने कहा है कि कंपनी की वॉल्यूम ग्रोथ आने वाले महीनों में 7-8' के लेवल पर स्थिर हो जाएगी, जबकि वित्त वर्ष 2025-26 में एक्सपोर्ट 4 लाख यूनिट्स के लेवल को पार कर सकता है जो पिछले वर्ष के 3.10 लाख यूनिट्स के एक्सपोर्ट के मुकाबले 25-30 परसेंट की ग्रोथ दिखाता है। भार्गव के अनुसार 18 परसेंट जीएसटी ब्रैकेट वाली छोटी कारों की डिमांड में तेज ग्रोथ हुई है। अक्टूबर में इस सेगमेंट की सेल्स पिछले साल के मुकाबले 30 परसेंट ज्यादा रही। भार्गव के अनुसार कंपनी अपनी पांचवीं मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के लिए फिलहाल जगह की तलाश में हैं। कंपनी पहले ही खरखोदा (हरियाणा) में तीसरे प्लांट के लिए 7,410 करोड़ का निवेश कर चुकी है। 


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