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13-12-2025

मेड इन इंडिया कार बन रही ग्लोबल शाहकार

  •  भले ही मैक्सिको ने भारत से एक्सपोर्ट पर टैरिफ बढ़ा दिया हो लेकिन भारत बहुत तेजी से ऑटोमोबाइल का ग्लोबल पावरहाउस बन रहा है। ग्लोबल ऑटोमेकर भारत से यूरोप के लिए कारों का एक्सपोर्ट बढ़ा रहे हैं। भारतीय कंपनियों को जापान में भी बड़ी कामयाबी मिली है जिससे लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और मिडिल ईस्ट जैसे परंपरागत एक्सपोर्ट मार्केट्स के इतर डाइवर्सिफाई करने में मदद मिल रही है। जापान की मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यूरोप और यूके को मेड इन इंडिया पैसेंजर वेहीकल और टू-व्हीलर के एक्सपोर्ट में जो जंप आया है उससे भारत की लो-कॉस्ट हाई क्वॉलिटी वाले ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में साख बढ़ रही है। सुजुकी भारत को ई-विटारा सहित कई मॉडलों के लिए ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में डवलप कर रही है। मेड इन इंडिया फ्रॉन्क्स और जिम्नी जापान में हाई डिमांड में हैं। सुजुकी के साथ ही होंडा मोटर ने भारत को अपने नए प्लान में बड़ा स्थान दिया है। सरकारी डेटा के अनुसार अप्रैल से अगस्त के बीच यूके, जर्मनी, स्पेन और नॉर्वे को मेड इन इंडिया कारों का कुल एक्सपोर्ट $63 मिलियन डॉलर का रहा। भले ही यह भारत के कुल कार एक्सपोर्ट का केवल 2 परसेंट है लेकिन एक ही साल में इसमें 9 गुना ग्रोथ हो चुकी है। इसका बड़ा कारण चीन के ईवी अटैक के बचे गैप को भरना है। वित्त वर्ष 2024 में भारत से जापान को कार एक्सपोर्ट लगभग चार गुना बढक़र $813 मिलियन हो गया। सुजुकी 2031 तक 7.7 बिलियन डॉलर के इंवेस्टमेंट से भारत में अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी को 25 लाख से बढ़ाकर 40 लाख करने के प्लान पर काम कर रही है और देश कंपनी का ग्लोबल ईवी हब होगा।  कंपनी गुजरात प्लांट में मिड-एसयूवी ई-विटारा की अब तक 7,400 से ज्यादा यूनिट्स यूरोपीय मार्केट्स यूके, जर्मनी, नॉर्वे और फ्रांस को भेज चुकी है। दूसरी ओर होंडा ने कहा है कि उसकी आने वाली ईवी में से एक का हब भारत में होगा, जिसे जापान व अन्य एशियाई देशों को एक्सपोर्ट किया जाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार ह्यूंदे और टोयोटा भी भारत को ग्लोबल हब के रूप में डवलप करने के लिए बड़ा इंवेस्टमेंट कर रही हैं। हालांकि इसका बड़ा कारण ग्लोबल ऑटो ब्रांड्स के लिए चीन का मार्केट हाथ से फिसलना है। ऐसे में उन्हें भारत में ग्रोथ का हैडरूम नजर आ रहा है और  एक्सपोर्ट की संभावना भी दिख रही है। एलिक्स पार्टनर्स के अनुमान के अनुसार, यूरोप में चीनी ईवी का मार्केट शेयर 2030 तक दोगुनी होकर 10 परसेंट तक पहुंच सकती है। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि अप्रेल-नवंबर के बीच भारत से 5.99 लाख पैसेंजर वेहीकल एक्सपोर्ट हुए हैं। जबकि पिछले पूरे वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 7.70 लाख यूनिट्स का था। मारुति देश की सबसे बड़ी कार एक्सपोर्टिंग कंपनी है। भारत के कुल पीवी एक्सपोर्ट में  दक्षिण अफ्रीका 17 परसेंट शेयर के साथ अव्वल मार्केट है। जबकि सऊदी अरब 16.5, मैक्सिको 13, जापान 11 और यूएई का 7 परसेंट शेयर है। एनेलिस्ट्स के अनुसार पिछले सालों में भारत में सेफ्टी और क्वॉलिटी नॉम्र्स में सुधार होने से ग्लोबल मार्केट खुल गया है। पिछले वित्त वर्ष में भारत से $22.9 बिलियन डॉलर के के कंपोनेंट एक्सपोर्ट हुए जिनमें यूरोप का शेयर 29 परसेंट था।

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मेड इन इंडिया कार बन रही ग्लोबल शाहकार

 भले ही मैक्सिको ने भारत से एक्सपोर्ट पर टैरिफ बढ़ा दिया हो लेकिन भारत बहुत तेजी से ऑटोमोबाइल का ग्लोबल पावरहाउस बन रहा है। ग्लोबल ऑटोमेकर भारत से यूरोप के लिए कारों का एक्सपोर्ट बढ़ा रहे हैं। भारतीय कंपनियों को जापान में भी बड़ी कामयाबी मिली है जिससे लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और मिडिल ईस्ट जैसे परंपरागत एक्सपोर्ट मार्केट्स के इतर डाइवर्सिफाई करने में मदद मिल रही है। जापान की मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यूरोप और यूके को मेड इन इंडिया पैसेंजर वेहीकल और टू-व्हीलर के एक्सपोर्ट में जो जंप आया है उससे भारत की लो-कॉस्ट हाई क्वॉलिटी वाले ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में साख बढ़ रही है। सुजुकी भारत को ई-विटारा सहित कई मॉडलों के लिए ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में डवलप कर रही है। मेड इन इंडिया फ्रॉन्क्स और जिम्नी जापान में हाई डिमांड में हैं। सुजुकी के साथ ही होंडा मोटर ने भारत को अपने नए प्लान में बड़ा स्थान दिया है। सरकारी डेटा के अनुसार अप्रैल से अगस्त के बीच यूके, जर्मनी, स्पेन और नॉर्वे को मेड इन इंडिया कारों का कुल एक्सपोर्ट $63 मिलियन डॉलर का रहा। भले ही यह भारत के कुल कार एक्सपोर्ट का केवल 2 परसेंट है लेकिन एक ही साल में इसमें 9 गुना ग्रोथ हो चुकी है। इसका बड़ा कारण चीन के ईवी अटैक के बचे गैप को भरना है। वित्त वर्ष 2024 में भारत से जापान को कार एक्सपोर्ट लगभग चार गुना बढक़र $813 मिलियन हो गया। सुजुकी 2031 तक 7.7 बिलियन डॉलर के इंवेस्टमेंट से भारत में अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी को 25 लाख से बढ़ाकर 40 लाख करने के प्लान पर काम कर रही है और देश कंपनी का ग्लोबल ईवी हब होगा।  कंपनी गुजरात प्लांट में मिड-एसयूवी ई-विटारा की अब तक 7,400 से ज्यादा यूनिट्स यूरोपीय मार्केट्स यूके, जर्मनी, नॉर्वे और फ्रांस को भेज चुकी है। दूसरी ओर होंडा ने कहा है कि उसकी आने वाली ईवी में से एक का हब भारत में होगा, जिसे जापान व अन्य एशियाई देशों को एक्सपोर्ट किया जाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार ह्यूंदे और टोयोटा भी भारत को ग्लोबल हब के रूप में डवलप करने के लिए बड़ा इंवेस्टमेंट कर रही हैं। हालांकि इसका बड़ा कारण ग्लोबल ऑटो ब्रांड्स के लिए चीन का मार्केट हाथ से फिसलना है। ऐसे में उन्हें भारत में ग्रोथ का हैडरूम नजर आ रहा है और  एक्सपोर्ट की संभावना भी दिख रही है। एलिक्स पार्टनर्स के अनुमान के अनुसार, यूरोप में चीनी ईवी का मार्केट शेयर 2030 तक दोगुनी होकर 10 परसेंट तक पहुंच सकती है। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि अप्रेल-नवंबर के बीच भारत से 5.99 लाख पैसेंजर वेहीकल एक्सपोर्ट हुए हैं। जबकि पिछले पूरे वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 7.70 लाख यूनिट्स का था। मारुति देश की सबसे बड़ी कार एक्सपोर्टिंग कंपनी है। भारत के कुल पीवी एक्सपोर्ट में  दक्षिण अफ्रीका 17 परसेंट शेयर के साथ अव्वल मार्केट है। जबकि सऊदी अरब 16.5, मैक्सिको 13, जापान 11 और यूएई का 7 परसेंट शेयर है। एनेलिस्ट्स के अनुसार पिछले सालों में भारत में सेफ्टी और क्वॉलिटी नॉम्र्स में सुधार होने से ग्लोबल मार्केट खुल गया है। पिछले वित्त वर्ष में भारत से $22.9 बिलियन डॉलर के के कंपोनेंट एक्सपोर्ट हुए जिनमें यूरोप का शेयर 29 परसेंट था।


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