पिछले दिनों आपने पढ़ा था कि गाडिय़ों पर जीएसटी कट के प्लान से अगस्त और सितंबर में सेल्स पर बड़े इंपैक्ट देखने को मिलेगा। इंवेस्टमेंट बैंक नुवामा इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में अब यही बात दोहराई है। लेटेस्ट डीलर चैनल चेक्स के आधार पर लिखी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि कस्टमर इंक्वायरी बहुत स्ट्रॉन्ग है लेकिन एक सप्ताह में ही नई बुकिंग्स में बहुत तेज गिरावट आई है। रिपोर्ट में कहा गया है जीएसटी में कटौती से गाडिय़ों की प्राइस में कमी आने की संभावना की खबरें आने के बाद से ऑटो बायर वेट एंड वॉच के मोड में चले गये हैं। रिपोर्ट के अनुसार टू-व्हीलर्स, पैसेंजर वेहीकल्स और ट्रैक्टर्स आदि सभी सेगमेंट्स में डीलरों ने बुकिंग एक्टिविटी में अच्छी-खासी कमी की बात कही है। हालांकि कमर्शियल वेहीकल्स अभी तक इस खबर से बेअसर बताए जाते हैं। कस्टमर फुटफॉल है और इंक्वायरी भी लेकिन फाइनल फैसले के फिलहाल टाल रहे हैं। आमजन को उम्मीद है कि जीएसटी कट से गाडिय़ों के दाम घट सकते हैं, इसलिए बायर क्लैरिटी के लिए थोड़ा इंतजार कर रहे हैं। पिछले दिनों फाडा ने भी कहा था कि जीएसटी को लेकर क्लैरिटी नहीं होने के कारण शॉर्ट टर्म सेल्स पर असर पड़ेगा। रूरल मार्केट्स में जहां ट्रैक्टर और एंट्री-लेवल टू-व्हीलर की डिमांड आमतौर पर सेंटिमेंट और मॉनसून पर निर्भर करती है, वहां जीएसटी कट के बारे में कम लोगों को जानकारी है लेकिन डीलरों का कहना है कि टैक्स कटौती की खबरें तेजी से वायरल हो रही हैं जिससे आने वाले सप्ताहों में रूरल मार्केट्स में भी ठंड पड़ सकती है। रिपोर्ट के अनुसार ट्रैक्टर मार्केट के लिए हालात और विकट हैं क्योंकि रूरल बायर बहुत ज्यादा प्राइस सेंसिटिव होते हैं और कॉस्ट-बेनेफिट के आधार पर फैसला करते हैं।
इंवेंटरी: डीलरों की एक और बड़ी चिंता यह है कि मौजूदा इंवेंटरी यानी बिना बिकी गाडिय़ों पर नए जीएसटी रेट्स कैसे लागू होंगे। कई डीलरों का अनुमान है कि यदि जीएसटी कटौती लागू हुई तो यह केवल नई डिस्पैच पर ही नहीं बल्कि मौजूदा स्टॉक पर भी लागू होगी। ऐसा होने पर डीलर टैक्स कटौती का फायदा तुरंत कस्टर को दे पाएंगे। इससे बाजार में सकारात्मक माहौल बनेगा और सेल्स कन्वर्जन तेज हो सकता है।
ट्रक: रिपोर्ट में कहा गया है कि मीडियम और हेवी कमर्शियल वेहीकल (एमएचसीवी) सेगमेंट पर जीएसटी बदलाव का असर नहीं के बराबर है। डीलरों के अनुसार इस सेगमेंट में खरीद के फैसले टैक्स रेट्स के बजाय फ्रेट डिमांड और फाइनेंस की उपलब्धता पर निर्भर करते हैं।
आगे क्या: जीएसटी रैशनलाइजेशन पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने केंद्र सरकार का 12 और 28 परसेंट स्लैब को खत्म कर केवल 5 और 18 परसेंट स्लैब रखने का प्रपोजल स्वीकार कर लिया है। अगले महीने होने वाली जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में इस प्रपोजल पर राज्यों की मंजूरी ली जाएगी। रिपोर्ट्स के अनुसार बड़ी कार और एसयूवी को 40 परसेंट वाले ...सिनटैक्स के स्लैब में रखा जा सकता है।