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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi
10-09-2025
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाए जाने की घोषणा के बाद से ही इंडियन टेक्नोलॉजी कंपनियों द्वारा ऑफर की जाने वाली सर्विसेज पर भी किसी प्रकार के टैक्स लगाए जाने की आशंका लगातार बनी हुई थी। अमरीका में हाल ही में टेक्नोलॉजी सर्विसेज आउटसोर्सिंग पर टैक्स लगाने के लिए एक कानून बनाए जाने की चर्चा है व यदि यह कानून लागू हो जाता है तो इससे इंडियन टेक्नोलॉजी कंपनियां बड़े स्तर पर इंपैक्ट हो सकती है क्योंकि इससे इंडियन टेक्नोलॉजी कंपनियां अपना कॉस्ट-एडवांटेज खो सकती है। अमरीका में पिछले सप्ताह सीनेटर बनी मोरेना ने The Halting International Relocation of Employment Act (HIRE Act) बिल अमरीकी सीनेट में पेश किया जिसमें प्रपोज किया गया है कि उन अमेरिकी कंपनियों पर 25 प्रतिशत टैक्स लगाया जाये जो विदेशों में काम व नौकरियां आउटसोर्स करती हैं। एक्सपटर्स का मानना है कि यदि यह बिल पास हो जाता है तो इंडियन टेक्नोलॉजी सर्विसेज आउटसोर्सिंग रेवेन्यू में 60 प्रतिशत शेयर रखने वाली अमरीकी कंपनियों द्वारा आईटी स्पेंडिंग को और कम किया जा सकता है। इससे नए कांट्रेक्ट्स व ऑर्डर्स में स्लोडाउन के अलावा इंडियन आईटी कंपनियों के मार्जिनों पर दबाव बढ़ सकता है। इस बिल के पास होने की स्थिति में अमरीकी कंपनियों द्वारा लार्ज-स्केल डील्स को रोका जा सकता है या वर्तमान में चल रहे कांट्रेक्ट्स को भी री-नेगोशिएट किया जा सकता है। कई कंपनियां टैक्स से बचने के लिए कुछ काम अमरीका में ही वापस शिफ्ट कर सकती हैं। एक एनालिस्ट के अनुसार यदि यह बिल पास हो जाता है तो अमरीका में एक्साइज टैक्स, फेडेरल कॉर्पोरेट टैक्स व स्टेट स्पेसिफिक टैक्स मिलाकर विदेशों में आउटसोर्स की गई सर्विसेज की कॉस्ट को 60 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं। इसी अनिश्चितता के चलते संभवतया इंडियन आईटी इंडेक्स ने पिछले 1 वर्ष में बेंचमार्क इंडेक्सों को अंडरपरफोर्म किया है। उल्लेखनीय है कि पिछले 1 वर्ष में Nifty IT Index में 19 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इस दौरान सभी प्रमुख टियर-1 आईटी कंपनियों के शेयरों में 10 प्रतिशत से लेकर 32 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
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