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04-09-2025

हवा-पानी से इलेक्ट्रिसिटी बनाएगा आईआईटी इंदौर में डवलप किया गया डिवाइस

  •  इंदौर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के अनुसंधानकर्ताओं ने ऐसा उपकरण विकसित किया है जो बिना सूरज की रोशनी, बैटरी या किसी जटिल मशीन के सिर्फ पानी और वाष्पीकरण की प्राकृतिक प्रक्रिया से बिजली उत्पन्न करेगा और छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लगातार ऊर्जा प्रदान कर सकेगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि यह अनुसंधान आईआईटी इंदौर की ‘सस्टेनेबल एनर्जी एंड एन्वायरन्मेंटल मटेरियल्स लैब’ में संस्थान के प्रोफेसर धीरेंद्र के. राय के नेतृत्व में किया गया। अधिकारियों ने बताया कि इस उपकरण का आधार एक विशेष प्रकार का मेम्ब्रेन (झिल्ली) है। यह मेम्ब्रेन ग्रैफीन ऑक्साइड (कार्बन का परतदार रूप) और जिंक-इमिडाजोल नाम के यौगिक को मिलकर बनाया गया है। जब इस मेम्ब्रेन को आंशिक रूप से पानी में डुबोया जाता है, तो पानी सूक्ष्म चैनलों के माध्यम से ऊपर की ओर बढ़ता है और भाप में बदल जाता है। इस प्रक्रिया से मेम्ब्रेन के दो सिरों पर धनात्मक और ऋणात्मक आयन अलग हो जाते हैं जिससे स्थिर वोल्टेज उत्पन्न होता है। अधिकारियों के अनुसार तीन गुणा दो सेंटीमीटर का एक मेम्ब्रेन 0.75 वोल्ट तक बिजली उत्पन्न कर सकता है और जाहिर है कि कई मेम्ब्रेन को जोडऩे पर बिजली उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि खास बात यह है कि यह उपकरण साफ पानी के साथ ही खारे और मटमैले पानी से भी लंबे समय तक बिजली बना सकता है। अधिकारियों ने बताया कि यह उपकरण कहीं भी काम कर सकता है क्योंकि इसे न तो धूप की जरूरत है और न ही बैटरी की। उन्होंने बताया कि यह उपकरण रात में, घर के अंदर और बादल छाए रहने की स्थिति में भी बिजली पैदा कर सकता है तथा वजन में हल्का होने के कारण इसे दुर्गम इलाकों में भी ले जाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि यह उपकरण जंगलों और खेतों में पर्यावरणीय सेंसर चलाने, बिजली गुल होने के दौरान आपातकालीन स्थिति में रोशनी का इंतजाम करने और दूर-दराज के दवाखानों में कम ऊर्जा खपत वाले चिकित्सा उपकरणों को चलाने में मददगार साबित हो सकता है। अनुसंधान के अगुवा प्रोफेसर धीरेंद्र के. राय ने कहा कि यह उपकरण खुद चार्ज होते रहने वाला ऊर्जा स्रोत है जो महज हवा और पानी से चलता है। जब तक वाष्पीकरण जारी रहता है, यह उपकरण बड़े आराम से स्वच्छ बिजली उत्पन्न करता रहता है।

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हवा-पानी से इलेक्ट्रिसिटी बनाएगा आईआईटी इंदौर में डवलप किया गया डिवाइस

 इंदौर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के अनुसंधानकर्ताओं ने ऐसा उपकरण विकसित किया है जो बिना सूरज की रोशनी, बैटरी या किसी जटिल मशीन के सिर्फ पानी और वाष्पीकरण की प्राकृतिक प्रक्रिया से बिजली उत्पन्न करेगा और छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लगातार ऊर्जा प्रदान कर सकेगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि यह अनुसंधान आईआईटी इंदौर की ‘सस्टेनेबल एनर्जी एंड एन्वायरन्मेंटल मटेरियल्स लैब’ में संस्थान के प्रोफेसर धीरेंद्र के. राय के नेतृत्व में किया गया। अधिकारियों ने बताया कि इस उपकरण का आधार एक विशेष प्रकार का मेम्ब्रेन (झिल्ली) है। यह मेम्ब्रेन ग्रैफीन ऑक्साइड (कार्बन का परतदार रूप) और जिंक-इमिडाजोल नाम के यौगिक को मिलकर बनाया गया है। जब इस मेम्ब्रेन को आंशिक रूप से पानी में डुबोया जाता है, तो पानी सूक्ष्म चैनलों के माध्यम से ऊपर की ओर बढ़ता है और भाप में बदल जाता है। इस प्रक्रिया से मेम्ब्रेन के दो सिरों पर धनात्मक और ऋणात्मक आयन अलग हो जाते हैं जिससे स्थिर वोल्टेज उत्पन्न होता है। अधिकारियों के अनुसार तीन गुणा दो सेंटीमीटर का एक मेम्ब्रेन 0.75 वोल्ट तक बिजली उत्पन्न कर सकता है और जाहिर है कि कई मेम्ब्रेन को जोडऩे पर बिजली उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि खास बात यह है कि यह उपकरण साफ पानी के साथ ही खारे और मटमैले पानी से भी लंबे समय तक बिजली बना सकता है। अधिकारियों ने बताया कि यह उपकरण कहीं भी काम कर सकता है क्योंकि इसे न तो धूप की जरूरत है और न ही बैटरी की। उन्होंने बताया कि यह उपकरण रात में, घर के अंदर और बादल छाए रहने की स्थिति में भी बिजली पैदा कर सकता है तथा वजन में हल्का होने के कारण इसे दुर्गम इलाकों में भी ले जाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि यह उपकरण जंगलों और खेतों में पर्यावरणीय सेंसर चलाने, बिजली गुल होने के दौरान आपातकालीन स्थिति में रोशनी का इंतजाम करने और दूर-दराज के दवाखानों में कम ऊर्जा खपत वाले चिकित्सा उपकरणों को चलाने में मददगार साबित हो सकता है। अनुसंधान के अगुवा प्रोफेसर धीरेंद्र के. राय ने कहा कि यह उपकरण खुद चार्ज होते रहने वाला ऊर्जा स्रोत है जो महज हवा और पानी से चलता है। जब तक वाष्पीकरण जारी रहता है, यह उपकरण बड़े आराम से स्वच्छ बिजली उत्पन्न करता रहता है।


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