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23-07-2025

फास्ट ट्रांजेक्शन में ग्लोबल लीडर बना इंडिया

  •  भारत फास्ट पेमेंट में दुनिया में ग्लोबल लीडर के रूप में उभरा है। यूपीआई से अकेले जून माह में 24.03 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन 18.39 अरब ट्रांजैक्शन के माध्यम से हुआ है। यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से जारी किए गए नोट में दी गई। बीते महीने वार्षिक आधार पर यूपीआई लेनदेन की संख्या में 32 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। गत वर्ष जून में यूपीआई लेनदेन की संख्या 13.88 अरब थी। आईएमएफ की रिपोर्ट में बताया गया कि वर्तमान में भारत में सभी डिजिटल लेनदेन में यूपीआई की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत और दुनिया भर में सभी रियल टाइम डिजिटल भुगतानों में यूपीआई की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि अब यह प्रतिदिन 64 करोड़ से ज्यादा लेनदेन संभालता है, जो वीजा जैसी ग्लोबल दिग्गज कंपनियों से कहीं ज्यादा है, जो प्रतिदिन लगभग 63.9 करोड़ लेनदेन संभालती हैं। यह उपलब्धि काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यूपीआई केवल नौ वर्षों में इस मुकाम तक पहुंच गया है।यूपीआई प्लेटफॉर्म वर्तमान में 49.1 करोड़ व्यक्तियों और 6.5 करोड़ व्यापारियों को सेवाएं प्रदान करता है और 675 बैंकों को एक ही प्रणाली के माध्यम से जोड़ता है। इसने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे देशभर के लोगों विशेष रूप से ग्रामीण और छोटे शहरों के लोगों को आसान और किफायती तरीके से डिजिटल वित्तीय सेवाओं तक पहुंचने में मदद मिली है। आईएमएफ की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत की सफलता वर्षों के डिजिटल आधारभूत कार्य और समावेशी विकास के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग की एक मजबूत दृष्टि का परिणाम है। यूपीआई, जिसकी शुरुआत एक पेमेंट प्रोसेस के रूप में हुई थी, अब सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे में एक वैश्विक मानक बन गया है। यूपीआई का प्रभाव केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। यह पहले से ही संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस सहित सात देशों में मौजूद है। फ्रांस में इसकी शुरुआत यूरोप में इसके प्रवेश का प्रतीक है, जिससे वहां यात्रा करने वाले या रहने वाले भारतीय निर्बाध भुगतान कर सकेंगे। भारत ब्रिक्स समूह में भुगतान मानक के रूप में यूपीआई को अपनाने की भी वकालत कर रहा है, जिसमें हाल ही में छह नए सदस्य देश शामिल हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इसे स्वीकार कर लिया जाता है, तो इससे सीमा पार भुगतान तेज, सस्ता और अधिक सुरक्षित हो सकता है, जिससे वैश्विक डिजिटल लीडर के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत होगी। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा 2016 में लॉन्च किए गए यूपीआई ने डिजिटल भुगतान को सरल, तेज और सुलभ बना दिया है। मोबाइल फोन पर बस कुछ ही टैप से, यूजर्स व्यापारियों को भुगतान कर सकते हैं, दोस्तों को पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं, या अपने बैंक खातों का प्रबंधन कर सकते हैं। इसकी सुविधा और गति ने इसे व्यक्तियों और व्यवसायों दोनों के बीच एक लोकप्रिय विकल्प बना दिया है।

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फास्ट ट्रांजेक्शन में ग्लोबल लीडर बना इंडिया

 भारत फास्ट पेमेंट में दुनिया में ग्लोबल लीडर के रूप में उभरा है। यूपीआई से अकेले जून माह में 24.03 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन 18.39 अरब ट्रांजैक्शन के माध्यम से हुआ है। यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से जारी किए गए नोट में दी गई। बीते महीने वार्षिक आधार पर यूपीआई लेनदेन की संख्या में 32 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। गत वर्ष जून में यूपीआई लेनदेन की संख्या 13.88 अरब थी। आईएमएफ की रिपोर्ट में बताया गया कि वर्तमान में भारत में सभी डिजिटल लेनदेन में यूपीआई की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत और दुनिया भर में सभी रियल टाइम डिजिटल भुगतानों में यूपीआई की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि अब यह प्रतिदिन 64 करोड़ से ज्यादा लेनदेन संभालता है, जो वीजा जैसी ग्लोबल दिग्गज कंपनियों से कहीं ज्यादा है, जो प्रतिदिन लगभग 63.9 करोड़ लेनदेन संभालती हैं। यह उपलब्धि काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यूपीआई केवल नौ वर्षों में इस मुकाम तक पहुंच गया है।यूपीआई प्लेटफॉर्म वर्तमान में 49.1 करोड़ व्यक्तियों और 6.5 करोड़ व्यापारियों को सेवाएं प्रदान करता है और 675 बैंकों को एक ही प्रणाली के माध्यम से जोड़ता है। इसने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे देशभर के लोगों विशेष रूप से ग्रामीण और छोटे शहरों के लोगों को आसान और किफायती तरीके से डिजिटल वित्तीय सेवाओं तक पहुंचने में मदद मिली है। आईएमएफ की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत की सफलता वर्षों के डिजिटल आधारभूत कार्य और समावेशी विकास के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग की एक मजबूत दृष्टि का परिणाम है। यूपीआई, जिसकी शुरुआत एक पेमेंट प्रोसेस के रूप में हुई थी, अब सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे में एक वैश्विक मानक बन गया है। यूपीआई का प्रभाव केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। यह पहले से ही संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस सहित सात देशों में मौजूद है। फ्रांस में इसकी शुरुआत यूरोप में इसके प्रवेश का प्रतीक है, जिससे वहां यात्रा करने वाले या रहने वाले भारतीय निर्बाध भुगतान कर सकेंगे। भारत ब्रिक्स समूह में भुगतान मानक के रूप में यूपीआई को अपनाने की भी वकालत कर रहा है, जिसमें हाल ही में छह नए सदस्य देश शामिल हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इसे स्वीकार कर लिया जाता है, तो इससे सीमा पार भुगतान तेज, सस्ता और अधिक सुरक्षित हो सकता है, जिससे वैश्विक डिजिटल लीडर के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत होगी। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा 2016 में लॉन्च किए गए यूपीआई ने डिजिटल भुगतान को सरल, तेज और सुलभ बना दिया है। मोबाइल फोन पर बस कुछ ही टैप से, यूजर्स व्यापारियों को भुगतान कर सकते हैं, दोस्तों को पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं, या अपने बैंक खातों का प्रबंधन कर सकते हैं। इसकी सुविधा और गति ने इसे व्यक्तियों और व्यवसायों दोनों के बीच एक लोकप्रिय विकल्प बना दिया है।


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