आजकल पर न्यूजपेपर, सोशियल मीडिया, टेलीविजन पर क्विक कॉमर्स यानि क्यू कॉमर्स शब्द काफी ट्रेंड में है। क्विक कॉमर्स यानि दस मिनट से लेकर तीस मिनट में आपके घर तक प्रोडक्ट की डिलीवरी कर देना। सेगमेंट ने मैट्रो शहरों में तो काफी प्रसार कर लिया है, टीयर वन,टू , थ्री सिटीज में भी स्पीड पकड़ रहा है। ऐसे में सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है और प्रमुख प्लेयर्स मार्केटिंग स्पेंड को बढ़ा रहे हैं। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की मानें तो वर्ष 2025 में मार्केटिंग स्पेंड तीस-चालीस प्रतिशत बढक़र करीब दो हजार करोड़ रुपये पर पहुंचने की सम्भावना है। यह मार्केटिंग स्पेंड प्रमुख रूप से टीयर वन सिटीज में डिजिटल मार्केटिंग, सोशियल मीडिया कैम्पेन, हाइपरलोकल टार्गेटिंग, व्हाट्सएप प्रमोशंस, पर्सनेलाइज्ड नोटीफिकेशंस पर किये जाने का टार्गेट है। छोटे शहर जहां पर क्विक कॉमर्स कम्पनियां आगे बढ़ रही हैं, वहां पर फम्र्स डिजिटल एफर्ट के साथ ऑफलाइन स्ट्रेटजी जैसे होर्डिंग और फ्री सैम्पल्स को भी कम्बाइन करने की योजना बना रही हैं। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार क्विक कॉमर्स प्लेयर्स जिस प्रकार से आक्रामक प्लानिंग कर रहे हैं उससे मार्केटिंग बजट 30 से 40 प्रतिशत बढ़ सकता है। यह सेगमेंट ब्लिंकइट, जेप्टो और स्विगी इन्स्टामार्ट के साथ प्रमुख रूप से डॉमीनेट कर रहा है और संयुक्त रूप से 77,642 करोड़ रुपये का है। एन्यूअलाइज्ड ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू करीब 86,269 करोड़ रुपये है। इस सेगमेंट में नये प्लेयर्स जैसे फ्लिपकार्ट मिनट्स, अमेजॉन और बिग बास्केट भी शामिल हो गये हैं। ऐसे में मार्केट शेयर पर कब्जा करने के लिये रेस और तेज हो रही है। डेटम इंटेलीजेंस के एक एनेलिस्ट के अनुसार यह लो-मार्जिन बिजनस है और यहां पर लाभ कमाने के लिये वॉल्यूम अहम है। यहां हम जोमाटो का उदाहरण देखें कि तीसरी तिमाही में एडवरटाइजिंग और सेल्स प्रमोशन पर करीब 521 करोड़ रुपये खर्च किये गये। यह गत वर्ष की समान तिमाही से करीब 39.3 प्रतिशत अधिक है। दूसरी ओर जेप्टो, स्विगी इन्स्टामार्ट भी पीछे रहने के मूड में नहीं है और चालू वर्ष में यह ट्रेंड हम आगे बढ़ता हुआ देख सकते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार आने वाले वर्षों में नॉन-मैट्रो मार्केट्स में विस्तार होगा। यहां पर महानगरों की तुलना में बेहतर मार्जिन मिलने की सम्भावना है लेकिन पेनीट्रेशन के लिये इन्वेस्टमेंट करना होगा। बहरहाल फ्लिपकार्ट, अमेजॉन स्थापित प्लेयर्स से प्रतिस्पर्धा करने के लिये बेहतर प्रमोशन करने का विचार कर रही है। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और ऐसे में प्लेयर्स मार्केटिंग खर्च को बढ़ा कर शेयर को बढ़ा लेना चाहते हैं।