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04-07-2025

डाइट में अनाज-दाल का रेश्यो घटा, मिल्क प्रोडक्ट्स का कंजंप्शन बढ़ा

  •  देश में खाने में अनाज और दाल का अनुपात कम हुआ है जबकि दूध और उसके उत्पादों का कंजंप्शन बढ़ा है। सरकार के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन के मुताबिक, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 2023-24 में अनाज और दालों का सेवन कम हुआ है, जबकि दूध और उसके उत्पादों की खपत में वृद्धि हुई है। घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) से पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अंडे, मछली और मांस की खपत में वृद्धि हुई है। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में इनका अनुपात स्थिर रहा है। यह व्यय सर्वेक्षण अगस्त, 2022 से जुलाई, 2023 और अगस्त, 2023  से जुलाई, 2024 के दौरान किए गए हैं। अध्ययन के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में खपत में अनाज का अनुपात 2022-23 में 38.8 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 38.7 प्रतिशत रह गया। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के मामले में, अनुपात 46.9 प्रतिशत से घटकर 45.9 प्रतिशत रहा। दालों के मामले में शहरी क्षेत्रों में खपत का अनुपात 9.6 प्रतिशत से घटकर 9.1 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 8.8 प्रतिशत से घटकर 8.7 प्रतिशत पर आ गया। दूसरी तरफ, शहरी क्षेत्रों में आहार में दूध और उसके उत्पादों का अनुपात 12.8 प्रतिशत से बढक़र 12.9 प्रतिशत हो गया, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 10.6 प्रतिशत से बढक़र 11 प्रतिशत हो गया। जहां तक अंडे, मछली और मांस का सवाल है, ग्रामीण क्षेत्रों में आहार में इनका अनुपात 12.3 प्रतिशत से बढक़र 12.4 प्रतिशत हो गया, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 14.1 प्रतिशत के समान स्तर पर बना हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में ‘अन्य खाद्य’ वस्तुओं का अनुपात 21.4 प्रतिशत से बढक़र 22 प्रतिशत और शहरों में 24.8 प्रतिशत से बढक़र 25.3 प्रतिशत हो गया। अध्ययन से पता चलता है कि गांवों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी सेवन 2022-23 और 2023-24 में क्रमश: 2,233 किलो कैलोरी और 2,212 किलो कैलोरी था, जबकि शहरी क्षेत्र में दो वर्षों के लिए यह क्रमश: 2,250 किलो कैलोरी और 2,240 किलो कैलोरी था। सर्वेक्षण के अनुसार, 2022-23 के साथ-साथ 2023-24 में प्रमुख राज्यों में औसत प्रति व्यक्ति प्रति दिन कैलोरी सेवन और औसत प्रति उपभोक्ता इकाई प्रति दिन कैलोरी सेवन दोनों में व्यापक तौर पर अंतर पाया गया है। मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) में वृद्धि के साथ ग्रामीण और शहरी भारत में औसत कैलोरी सेवन भी बढ़ता है।

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डाइट में अनाज-दाल का रेश्यो घटा, मिल्क प्रोडक्ट्स का कंजंप्शन बढ़ा

 देश में खाने में अनाज और दाल का अनुपात कम हुआ है जबकि दूध और उसके उत्पादों का कंजंप्शन बढ़ा है। सरकार के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन के मुताबिक, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 2023-24 में अनाज और दालों का सेवन कम हुआ है, जबकि दूध और उसके उत्पादों की खपत में वृद्धि हुई है। घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) से पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अंडे, मछली और मांस की खपत में वृद्धि हुई है। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में इनका अनुपात स्थिर रहा है। यह व्यय सर्वेक्षण अगस्त, 2022 से जुलाई, 2023 और अगस्त, 2023  से जुलाई, 2024 के दौरान किए गए हैं। अध्ययन के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में खपत में अनाज का अनुपात 2022-23 में 38.8 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 38.7 प्रतिशत रह गया। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के मामले में, अनुपात 46.9 प्रतिशत से घटकर 45.9 प्रतिशत रहा। दालों के मामले में शहरी क्षेत्रों में खपत का अनुपात 9.6 प्रतिशत से घटकर 9.1 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 8.8 प्रतिशत से घटकर 8.7 प्रतिशत पर आ गया। दूसरी तरफ, शहरी क्षेत्रों में आहार में दूध और उसके उत्पादों का अनुपात 12.8 प्रतिशत से बढक़र 12.9 प्रतिशत हो गया, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 10.6 प्रतिशत से बढक़र 11 प्रतिशत हो गया। जहां तक अंडे, मछली और मांस का सवाल है, ग्रामीण क्षेत्रों में आहार में इनका अनुपात 12.3 प्रतिशत से बढक़र 12.4 प्रतिशत हो गया, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 14.1 प्रतिशत के समान स्तर पर बना हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में ‘अन्य खाद्य’ वस्तुओं का अनुपात 21.4 प्रतिशत से बढक़र 22 प्रतिशत और शहरों में 24.8 प्रतिशत से बढक़र 25.3 प्रतिशत हो गया। अध्ययन से पता चलता है कि गांवों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी सेवन 2022-23 और 2023-24 में क्रमश: 2,233 किलो कैलोरी और 2,212 किलो कैलोरी था, जबकि शहरी क्षेत्र में दो वर्षों के लिए यह क्रमश: 2,250 किलो कैलोरी और 2,240 किलो कैलोरी था। सर्वेक्षण के अनुसार, 2022-23 के साथ-साथ 2023-24 में प्रमुख राज्यों में औसत प्रति व्यक्ति प्रति दिन कैलोरी सेवन और औसत प्रति उपभोक्ता इकाई प्रति दिन कैलोरी सेवन दोनों में व्यापक तौर पर अंतर पाया गया है। मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) में वृद्धि के साथ ग्रामीण और शहरी भारत में औसत कैलोरी सेवन भी बढ़ता है।


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