भारत में वर्कफोर्स में स्त्री-पुरुष अनुपात में अंतर कायम है। प्राइवेट सेक्टर में शुरुआती स्तर की तीन में से केवल एक भूमिका महिलाएं संभालती हैं और प्रबंधकीय स्तर के पद पर तो सिर्फ 24 प्रतिशत महिलाएं हैं। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। मैकिन्से एंड कंपनी की ‘कार्यस्थल में महिलाएं’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विश्वविद्यालय स्नातक पूल का आधा हिस्सा होने के बावजूद, महिलाओं को औपचारिक रोजगार में प्रवेश, उन्नति और प्रतिधारण के लिए प्रणालीगत बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसमें बताया गया है कि निजी क्षेत्र में प्रवेश स्तर की तीन में से सिर्फ एक भूमिका पर महिला काबिज है तथा प्रबंधक स्तर के पदों पर केवल 24 प्रतिशत ही महिलाएं हैं, जो संभावित और वास्तविक प्रतिनिधित्व के बीच व्यापक अंतर को दर्शाता है। यह रिपोर्ट भारत, नाइजीरिया और केन्या के 324 संगठनों के निष्कर्षों पर आधारित है। इनमें लगभग 14 लाख लोग कार्यरत हैं, जिनमें भारत के 77 निजी क्षेत्र के संगठन (कुल नौ लाख कर्मचारी) शामिल हैं। भारत में स्त्री-पुरुष अनुपात में असंतुलन शुरुआती के पदों पर उम्र के अंतर से साफ हो जाता है। प्रवेश स्तर की भूमिकाओं में काम करने वाली महिलाओं की औसत आयु 39 वर्ष है जबकि पुरुषों के मामले में यह 32 वर्ष है। यह अध्ययन में शामिल तीनों देशों में सबसे बड़ा अंतर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे पता चलता है कि कई महिलाएं औपचारिक रोजगार बाद में शुरू करती हैं या स्थिर रहती हैं, आगे बढऩे से पहले लंबे समय तक शुरुआती स्तर की भूमिकाओं में रहती हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट में पाया गया कि शुरुआती स्तर पर महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बहुत कम पदोन्नति मिलती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवेश स्तर पर एक पुरुष को प्रबंधकीय पद पर पदोन्नत किए जाने की संभावना उसी पद पर एक महिला की तुलना में 2.4 गुना है। वहीं, इस स्तर पर महिलाओं के अपने पद छोडऩे की संभावना पुरुषों की तुलना में 1.3 गुना है।