वर्ष 2017-18 के लिए भारत सरकार ने टेक्सटाइल निर्यात लक्ष्य को घटाकर 45 बि.डॉलर कर दिया है। पूर्व में सरकार ने 48.5 बि.डॉलर का लक्ष्य निर्धारित किया था। वर्ष 2017-18 का लक्ष्य हालांकि वर्ष 2016-17 के 38.6 बि.डॉलर निर्यात के मुकाबले 17 प्रतिशत अधिक होगा। वर्ष 2016-17 के दौरान वस्त्र निर्यात में सामान्य वृद्धि दर्ज की गई है लेकिन टेक्सटाइल निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2015-16 के दौरान देश का कुल टेक्सटाइल निर्यात 40 बि.डॉलर था।
वर्ष 2016-17 के दौरान भारत के निर्यात लक्ष्य से पिछड़ गये थे। चीन से कपास व यार्न की मांग में गिरावट दर्ज की गई थी इसके साथ ही विश्व के विकसित बाजारों में विशेष रूप से अमेरिका व यूरोपीय यूनियन की अर्थव्यवस्था में सुधार की स्थिति भी बहुत कमजोर थी। कुछ समय के दौरान विमोद्रीकरण का भी उत्पादन व निर्यात पर प्रतीकूल प्रभाव देखने को मिला था अनेक श्रमिकों को दैनिक व साप्ताहिक स्तर पर भुगतान करना पड़ता है और विमोद्रीकरण के दौरान नकद श्रम के क्षेत्र पर प्रतीकूल प्रभाव पड़ा था। भारत को इसी दौर में बांग्लादेश, वियतनाम, पाकिस्तान के साथ कठिन प्रतिस्पर्धा का भी सामना करना पड़ा है इन देशों को यूरोपीय यूनियन व अमेरिका में शून्य शुल्क पर निर्यात की अनुमति है। बांग्लादेश, अमेरिका व यूरोप में शून्य शुल्क पर निर्यात करता है जहां भारत की कुल निर्यात हिस्सेदारी 65 प्रतिशत है। अपने स्तर पर देश के टेक्सटाइल मंत्रालय ने भारत यूरोपीय यूनियन स्वतंत्र व्यापार समझौते को त्वरित स्तर पर सम्पन्न करने का प्रयास किया है लेकिन इसमें अब तक अनेक कारणों से सफलता नहीं मिल पाई है। यूरोप ऑटोमोबाइल व स्पिरिट पर शुल्क छूट की मांग कर रहा है जो भारतीय घरेलू उद्योग के हित में नहीं है। सरकार ने वस्त्र निर्यात क्षेत्र को जून 2016 में 6000 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन भी उपलब्ध किया है। अब टेक्सटाइल मंत्रालय निटवियर क्षेत्र के लिए भी अलग से प्रोत्साहन पैकेज पर विचार कर रहा है। टेक्सटाइल मंत्रालय ने छह देशों में निर्यात को बढ़ाने की दृष्टि से रोड शो भी आयोजित किये है इनमे ब्रिटेन, अमेरिका, चीन, रूस, दक्षिण कोरिया, यूएई शामिल है। सरकार ने 1900 करोड़ रुपये वर्ष 2016-17 के दौरान नई ड्यूटी ड्रा बेक योजना के लिए भी उपलब्ध किये है। वर्ष 2017-18 के लिए 1555 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है।
- वाणिज्य डेस्क