दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपनी पत्नी को प्रताडि़त करने और उसे खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने पीडि़ता को दहेज के लिए कथित तौर पर प्रताड़ित किए जाने के बारे में उसके माता-पिता की गवाही पर गौर करते हुए कहा कि शादी के बाद बेटी के माता-पिता अजनबी नहीं हो जाते। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांत शर्मा ने 25 जुलाई के अपने आदेश में माता-पिता की दलील पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि आरोपी व्यक्ति अपनी पत्नी से मोटरसाइकिल और सोने की चेन की मांग करता था और मांग पूरी न होने पर उससे झगड़ा करता था। बाद में तंग आकर पत्नी ने आत्महत्या कर ली। न्यायमूर्ति शर्मा ने शिकायत दर्ज कराने वाले मृतका के माता-पिता को निजी गवाह बताने की आरोपी व्यक्ति की दलील को खारिज कर दिया और इसे अजीब तथा भारतीय समाज की वास्तविकता से कोसों दूर बताया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 18 वर्षीय मृतका उत्तर प्रदेश के हरदोई की रहने वाली थी और उसकी शादी 21 मई 2023 को दिल्ली में आरोपी व्यक्ति से हुई थी। उसने छह फरवरी 2024 को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि उसे दहेज के लिए परेशान किया जा रहा था और मृत्यु के समय वह तीन महीने की गर्भवती थी।