भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगभग 9,000 परिपत्र निरस्त करने का प्रस्ताव रखा ताकि नियामकीय बोझ एवं अनुपालन लागत को कम किया जा सके तथा मौजूदा निर्देशों की समय-समय पर समीक्षा सुनिश्चित की जा सके। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि उसने विनियमन विभाग द्वारा जारी सभी नियामकीय निर्देशों को एकीकृत करने का व्यापक कार्य किया है।  इस प्रक्रिया के तहत नौ अक्टूबर, 2025 तक जारी सभी निर्देशों को 30 कार्य-क्षेत्रों में 11 तरह की विनियमित संस्थाओं के लिए 238 मास्टर दिशानिर्देशों में एकीकृत किया गया है। आरबीआई ने कहा, इस वजह से विनियमन विभाग की तरफ से जारी करीब 9,000 परिपत्रों (मास्टर परिपत्र एवं मास्टर दिशानिर्देश समेत) को निरस्त किया जाएगा। केंद्रीय बैंक ने इन परिपत्रों को एकीकृत किए जाने से संबंधित प्रारूप दस्तावेजों पर हितधारकों से सुझाव भी मांगे हैं। आरबीआई ने कहा कि पिछले कई दशकों में विभिन्न अधिनियमों के तहत कई दिशानिर्देश जारी किए गए थे, जिसकी वजह से नियामकीय ढांचे की जटिलता बढ़ गई है।