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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

07-06-2025

आरबीआई ने दिया डिमांड बढ़ाने के लिए ढाई लाख करोड़ का टर्बो चार्ज

  •  महंगाई दर में नरमी के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से प्रमुख नीतिगत दर रेपो को उम्मीद से अधिक 0.5' घटाकर 5.5' कर दिया। केंद्रीय बैंक ने लगातार तीसरी बार रेपो दर में कटौती की है।  आरबीआई ने बैंकों के लिए अप्रत्याशित रूप से नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी एक प्रतिशत की कटौती की घोषणा की। इन उपायों से वैश्विक स्तर पर जारी चुनौतियों के बीच अर्थव्यवस्था को जरूरी समर्थन मिलेगा। आरबीआई ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर लगभग छह साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत और आर्थिक वृद्धि दर 2024-25 में चार साल के न्यूनतम स्तर 6.5 प्रतिशत पर आ गयी है।  चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘‘उभरती वृहद आर्थिक, वित्तीय गतिविधियों और आर्थिक परिदृश्य पर गौर करने के बाद छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो दर में 0.50 प्रतिशत कटौती करने का निर्णय किया है। समिति के पांच सदस्यों ने नीतिगत दर में कटौती के पक्ष में मतदान किया।’’ उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, नकद आरक्षित अनुपात को भी एक प्रतिशत घटाकर तीन प्रतिशत कर दिया गया है। इससे बैंकों के पास नकदी में 2.5 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इस कटौती के साथ रेपो दर तीन साल के निचले स्तर 5.5 प्रतिशत पर आ गयी है। इससे मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्ज पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कमी आ सकती है जिससे लोगों को राहत मिलेगी। रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। इससे पहले, पांच अगस्त, 2022 को यह 5.40 प्रतिशत के स्तर पर थी। आरबीआई इस साल फरवरी से लेकर अबतक रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती कर चुका है। इस साल फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। आरबीआई ने मौद्रिक नीति रुख को उदार से बदलकर तटस्थ कर दिया है। इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक स्थिति के हिसाब से नीतिगत दर में समायोजन को लेकर लचीला बना रहेगा। मल्होत्रा ने कहा, ‘‘रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती के बाद, मौद्रिक नीति के पास वृद्धि को समर्थन देने के लिए अब सीमित गुंजाइश बची है।’’ रेपो दर में कटौती के बाद स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) 5.25 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा तथा बैंक दर 5.75 प्रतिशत हो गयी है।

    आरबीआई ने 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। वहीं चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को चार प्रतिशत से घटाकर 3.7 कर दिया गया है। नीतिगत दर में कटौती के कारण का जिक्र करते हुए मल्होत्रा ने कहा, ‘‘पिछले छह महीनों में मुद्रास्फीति में काफी नरमी आई है। यह अक्टूबर, 2024 में संतोषजनक स्तर से ऊपर थी और अब यह व्यापक आधार पर नरमी के संकेत के साथ लक्ष्य से काफी नीचे आ गई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘...निकट भविष्य और मध्यम अवधि के परिदृश्य को देखते हुए हमें यह भरोसा है वर्ष के दौरान यह निर्धारित लक्ष्य से कम रहेगी।’’ मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी से खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर लगभग छह साल के निचले सतर 3.16 प्रतिशत पर आ गयी थी। आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। मल्होत्रा ने कहा कि दूसरी तरफ चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिवेश और अनिश्चितता के बीच वृद्धि उम्मीद से कम बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘ इस प्रकार, आर्थिक वृद्धि की गति को बढ़ाने के लिए नीतिगत उपायों के माध्यम से घरेलू निजी खपत और निवेश को प्रोत्साहित करना जरूरी है।’’ मल्होत्रा ने कहा, ‘‘ वृद्धि-मुद्रास्फीति की स्थिति को देखते हुए न केवल नीतिगत मोर्चे पर ढील को जारी रखना आवश्यक है, बल्कि वृद्धि को समर्थन देने के लिए ब्याज दर में कटौती को भी आगे बढ़ाना होगा।’’ मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई बैंकों में पर्याप्त नकदी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। सीआरआर में छह सितंबर से 29 नवंबर, 2025 के बीच चार बराबर किस्तों में 0.25 प्रतिशत की कटौती होगी जिससे यह घटकर तीन प्रतिशत रह जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘ सीआरआर में कटौती से दिसंबर, 2025 तक बैंकिंग प्रणाली में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी। टिकाऊ नकदी प्रदान करने के अलावा, इससे बैंकों की वित्तपोषण लागत कम होगी। इससे नीतिगत दर में कटौती का लाभ ग्राहकों को पहुंचाने में मदद मिलेगी।’’  मल्होत्रा ने कहा, ‘‘चूंकि वैश्विक परिवेश अनिश्चित बना हुआ है, इसलिए निरंतर मूल्य स्थिरता के बीच घरेलू वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। आज की मौद्रिक नीति उसी दिशा में उठाया गया कदम है।’’आर्थिक वृद्धि के बारे में मल्होत्रा ने कहा, ‘‘सामान्य से अधिक दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश की उम्मीद से कृषि क्षेत्र और ग्रामीण मांग के परिदृश्य को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। दूसरी ओर, सेवा गतिविधियों में निरंतर उछाल से शहरी खपत में सुधार आएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बैंकों और कंपनियों के मजबूत बही-खातों, पूंजीगत व्यय पर सरकार के निरंतर जोर, क्षमता उपयोग में वृद्धि, व्यापार को लेकर धारणा में सुधार और वित्तीय स्थितियों में सुधार से निवेश गतिविधियों को गति मिलने की उम्मीद है।’’ मल्होत्रा ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर के 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’

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आरबीआई ने दिया डिमांड बढ़ाने के लिए ढाई लाख करोड़ का टर्बो चार्ज

 महंगाई दर में नरमी के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से प्रमुख नीतिगत दर रेपो को उम्मीद से अधिक 0.5' घटाकर 5.5' कर दिया। केंद्रीय बैंक ने लगातार तीसरी बार रेपो दर में कटौती की है।  आरबीआई ने बैंकों के लिए अप्रत्याशित रूप से नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी एक प्रतिशत की कटौती की घोषणा की। इन उपायों से वैश्विक स्तर पर जारी चुनौतियों के बीच अर्थव्यवस्था को जरूरी समर्थन मिलेगा। आरबीआई ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर लगभग छह साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत और आर्थिक वृद्धि दर 2024-25 में चार साल के न्यूनतम स्तर 6.5 प्रतिशत पर आ गयी है।  चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘‘उभरती वृहद आर्थिक, वित्तीय गतिविधियों और आर्थिक परिदृश्य पर गौर करने के बाद छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो दर में 0.50 प्रतिशत कटौती करने का निर्णय किया है। समिति के पांच सदस्यों ने नीतिगत दर में कटौती के पक्ष में मतदान किया।’’ उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, नकद आरक्षित अनुपात को भी एक प्रतिशत घटाकर तीन प्रतिशत कर दिया गया है। इससे बैंकों के पास नकदी में 2.5 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इस कटौती के साथ रेपो दर तीन साल के निचले स्तर 5.5 प्रतिशत पर आ गयी है। इससे मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्ज पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कमी आ सकती है जिससे लोगों को राहत मिलेगी। रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। इससे पहले, पांच अगस्त, 2022 को यह 5.40 प्रतिशत के स्तर पर थी। आरबीआई इस साल फरवरी से लेकर अबतक रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती कर चुका है। इस साल फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। आरबीआई ने मौद्रिक नीति रुख को उदार से बदलकर तटस्थ कर दिया है। इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक स्थिति के हिसाब से नीतिगत दर में समायोजन को लेकर लचीला बना रहेगा। मल्होत्रा ने कहा, ‘‘रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती के बाद, मौद्रिक नीति के पास वृद्धि को समर्थन देने के लिए अब सीमित गुंजाइश बची है।’’ रेपो दर में कटौती के बाद स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) 5.25 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा तथा बैंक दर 5.75 प्रतिशत हो गयी है।

आरबीआई ने 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। वहीं चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को चार प्रतिशत से घटाकर 3.7 कर दिया गया है। नीतिगत दर में कटौती के कारण का जिक्र करते हुए मल्होत्रा ने कहा, ‘‘पिछले छह महीनों में मुद्रास्फीति में काफी नरमी आई है। यह अक्टूबर, 2024 में संतोषजनक स्तर से ऊपर थी और अब यह व्यापक आधार पर नरमी के संकेत के साथ लक्ष्य से काफी नीचे आ गई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘...निकट भविष्य और मध्यम अवधि के परिदृश्य को देखते हुए हमें यह भरोसा है वर्ष के दौरान यह निर्धारित लक्ष्य से कम रहेगी।’’ मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी से खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर लगभग छह साल के निचले सतर 3.16 प्रतिशत पर आ गयी थी। आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। मल्होत्रा ने कहा कि दूसरी तरफ चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिवेश और अनिश्चितता के बीच वृद्धि उम्मीद से कम बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘ इस प्रकार, आर्थिक वृद्धि की गति को बढ़ाने के लिए नीतिगत उपायों के माध्यम से घरेलू निजी खपत और निवेश को प्रोत्साहित करना जरूरी है।’’ मल्होत्रा ने कहा, ‘‘ वृद्धि-मुद्रास्फीति की स्थिति को देखते हुए न केवल नीतिगत मोर्चे पर ढील को जारी रखना आवश्यक है, बल्कि वृद्धि को समर्थन देने के लिए ब्याज दर में कटौती को भी आगे बढ़ाना होगा।’’ मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई बैंकों में पर्याप्त नकदी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। सीआरआर में छह सितंबर से 29 नवंबर, 2025 के बीच चार बराबर किस्तों में 0.25 प्रतिशत की कटौती होगी जिससे यह घटकर तीन प्रतिशत रह जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘ सीआरआर में कटौती से दिसंबर, 2025 तक बैंकिंग प्रणाली में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी। टिकाऊ नकदी प्रदान करने के अलावा, इससे बैंकों की वित्तपोषण लागत कम होगी। इससे नीतिगत दर में कटौती का लाभ ग्राहकों को पहुंचाने में मदद मिलेगी।’’  मल्होत्रा ने कहा, ‘‘चूंकि वैश्विक परिवेश अनिश्चित बना हुआ है, इसलिए निरंतर मूल्य स्थिरता के बीच घरेलू वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। आज की मौद्रिक नीति उसी दिशा में उठाया गया कदम है।’’आर्थिक वृद्धि के बारे में मल्होत्रा ने कहा, ‘‘सामान्य से अधिक दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश की उम्मीद से कृषि क्षेत्र और ग्रामीण मांग के परिदृश्य को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। दूसरी ओर, सेवा गतिविधियों में निरंतर उछाल से शहरी खपत में सुधार आएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बैंकों और कंपनियों के मजबूत बही-खातों, पूंजीगत व्यय पर सरकार के निरंतर जोर, क्षमता उपयोग में वृद्धि, व्यापार को लेकर धारणा में सुधार और वित्तीय स्थितियों में सुधार से निवेश गतिविधियों को गति मिलने की उम्मीद है।’’ मल्होत्रा ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर के 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’


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