क्रिसिल की रिपोर्ट में बताया गया कि उच्च आधार प्रभाव के कारण प्रमुख सब्जियों की कीमतों में तेज गिरावट की वजह से मई में घर में पकाई गई शाकाहारी और मांसाहारी थाली की कीमत में सालाना आधार पर 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। शाकाहारी थाली की कीमत मासिक आधार पर स्थिर रही, जबकि मांसाहारी थाली की कीमत में पिछले महीने 2 प्रतिशत की कमी आई। ‘रोटी राइस दर’ (आरआरआर) रिपोर्ट के अनुसार, मई में टमाटर की कीमतें 33 रुपए प्रति किलोग्राम से 29 प्रतिशत गिरकर 23 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गईं। बीते वर्ष पैदावार को लेकर चिंताओं के कारण कीमतों में वृद्धि दर्ज की गई थी। प्याज और आलू की कीमतों में क्रमश: 15 प्रतिशत और 16 प्रतिशत की गिरावट आई है। बीते वर्ष पश्चिम बंगाल में फसल को हुए नुकसान और बेमौसम बारिश के कारण आलू की कीमतों में उछाल आया था। इसी तरह महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में पानी की उपलब्धता कम होने के कारण रबी की फसल के कम रकबे और उपज के कारण प्याज की कीमतों में उछाल आया था। घर पर थाली तैयार करने की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित इनपुट कीमतों के आधार पर की जाती है। मासिक परिवर्तन आम आदमी के खर्च पर पडऩे वाले प्रभाव को दर्शाता है। डेटा में यह भी जानकारी मिलती है कि अनाज, दालें, ब्रॉयलर, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल और रसोई गैस जैसी सामग्री थाली की कीमत को किस प्रकार बदल रही हैं। क्रिसिल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर-रिसर्च, पुशन शर्मा ने कहा, मई 2025 में थाली की लागत में मामूली अंतर आया, जिसमें शाकाहारी थाली स्थिर रही और मांसाहारी थाली 2 प्रतिशत सस्ती हो गई। टमाटर और आलू महंगे हो गए, जबकि प्याज की कीमतों में गिरावट आई, जिससे शाकाहारी थाली की लागत क्रमिक रूप से स्थिर रही। हालांकि, ब्रॉयलर की कीमतों में गिरावट के कारण मांसाहारी थाली की लागत में कमी आई है ब्रॉयलर की कीमतों में मई में 4 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है, जिससे मांसाहारी थाली की लागत में कमी आई है। शर्मा ने आगे कहा, आगे चलकर, हम मौसमी बदलावों के कारण सब्जियों की कीमतों में तेजी की उम्मीद करते हैं और मजबूत घरेलू उत्पादन के बीच गेहूं और दालों की कीमतों में थोड़ी कमी आने की उम्मीद है।