सोने की लगातार बढ़ती कीमतों के मद्देनजर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए 9 कैरेट सोने के गहनों को भी हॉलमार्किंग के दायरे में लाने का निर्णय लिया है। यह नया नियम इसी माह से प्रभावी होगा, जिससे बाजार में और अधिक पारदर्शिता आएगी। बीआईएस के नवीनतम दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब 9 कैरेट सोने में कम से कम 37.5 परसेंट शुद्ध सोना होना अनिवार्य होगा। इस निर्णय से पहले तक केवल 14 कैरेट और उससे ऊपर के सोने पर ही हॉलमार्किंग की अनिवार्यता थी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह कदम मध्यम वर्ग के उन ग्राहकों के हित में लिया गया है जो बढ़ती कीमतों के कारण कम कैरेट के सोने की ओर रुख कर रहे हैं। ज्वैलरी उद्योग ने इस फैसले का स्वागत किया है। ऑल इंडिया जेम एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल के अध्यक्ष मनोज जैन ने कहा, यह निर्णय उद्योग और उपभोक्ताओं दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा। सेंको गोल्ड लि. के प्रबंध निदेशक सुवंकर सेन ने इस फैसले को ज्यूलरी क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव बताते हुए कहा कि इससे न केवल ग्राहकों को भरोसा मिलेगा, बल्कि डिजाइनर ज्वैलरी के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, बीआईएस ने कुछ वस्तुओं को इस नियम से छूट भी दी है। सोने की घडिय़ों, पेन और कुछ विशेष प्रकार के सिक्के (जिनकी कोई कानूनी मुद्रा मूल्य न हो) पर हॉलमार्किंग अनिवार्य नहीं होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय भारतीय सोना बाजार को और अधिक संगठित बनाएगा तथा छोटे शहरों में जहां 9-14 कैरेट सोने की मांग अधिक है, वहां ग्राहकों को गुणवत्ता का आश्वासन देगा। इसके साथ ही, यह कदम नकली और मिलावटी सोने से निपटने में भी मददगार साबित होगा।