यूएन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जनसंख्या 2025 में 1.46 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। लेकिन भारत में कुल प्रजनन दर (टोटल फर्टिलिटी रेट यानी टीएफआर) रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे गिर गई है। रिप्लेसमेंट लेवल यानी 2.1 यानी जितनी मौतें होती हैं उतने ही जन्म होते हैं यानी आबादी स्थिर रहती है। लेकिन टीएफआर के रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे फिसल जाने का अर्थ है कि भारत भी अब आबादी घटने के मामले में जापान के रास्ते पर बढ़ रहा है। यूएनएफपीए की द रियल फर्टिलिटी क्राइसिस 2025 नाम की वल्र्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट में कहा गया है भारत की कुल प्रजनन दर घटकर प्रति महिला 1.9 जन्म रह गई है, जो प्रतिस्थापन स्तर 2.1 से नीचे है। हालांकि भारत में बर्थ रेट घट रही है लेकिन युवा आबादी महत्वपूर्ण है। नवजात से 14 वर्ष तक के बच्चे भारत की आबादी में 24 परसेंट हैं। वहीं 10-19 वर्ष तक के 17 परसेंट। 10-24 वर्ष तक के 26 परसेंट हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत की 68 परसेंट आबादी वर्किंग एज (15-64 वर्ष) में है। वरिष्ठ नागरिक (65 वर्ष+) अभी आबादी का 7 परसेंट हैं। वर्ष 2025 तक जन्म के समय पुरुषों की औसत जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) 71 वर्ष और महिलाओं की 74 वर्ष अनुमानित है। रिपोर्ट के अनुसार भारत की वर्तमान जनसंख्या 146.39 करोड़ है। भारत की जनसंख्या लगभग 170 करोड़ तक बढ़ेगी, इसके बाद अगले 40 वर्ष में घटने लगेगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि 1960 में, जब भारत की जनसंख्या लगभग 43.6 करोड़ थी, एक महिला औसतन 6 बच्चे जन्म देती थी।