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10-06-2025

रिटेल में इस तरह हो रहा है Personalisation का ‘खेल’!

  •  वो कहते हैं ना जितने मूंह उतनी बात...रिटेलिंग के इवॉल्यूशन के लिए सही साबित हो रही है। फिजिकल और डिजिटल से कहानी अब फिजिटल और ओमनी चैनल तक पहुंच चुकी है। फिजिटल यानी फिजिकल स्टोर्स का डिजिटल प्लेटफॉर्म। ओमनी चैनल यानी फिजिकल भी, डिजिटल भी। आप चाहें तो ऑनलाइन ऑर्डर कर ऑफलाइन पिकअप कर सकते हैं। साथ में लगी टेबल 1 से पता चलता है कि भारत में इलीट, एफ्लूएंट और एस्पायरर परिवार दस साल में करीब 3 गुना हो जाएंगे। हाल ही हुए एक इवेंट में ब्रिक एंड मॉर्टर इन अ डिजिटल वल्र्ड : रिटेल्स रोड अहेड सब्जेक्ट पर रिटेलिंग दिग्गज और स्पेशलिस्ट्स ने फिजिकल स्टोर्स की अहमियत, डिजिटल टूल्स के फायदे और फिजिटल कॉन्सेप्ट में होने वाले कॉस्ट व इन्वेंटरी ऑप्टिमाइजेशन पर बात की। एपैरेल ग्रुप के सीईओ नीरज टेकचंदानी ने कहा कि आज अमूमन हर रिटेलर ओमनीचैनल या कनेक्टेड कॉमर्स का हिस्सा बन चुका है। वे कहते हैं अब कंज़्यूमर की जर्नी डिजिटल से शुरू होती है। लगभग 75 परसेंट कस्टमर पहले ही ऑनलाइन रिसर्च कर चुके होते हैं। फिर स्टोर पर जाए या न जाए उनकी मर्जी है। इस मॉडल से कस्टमर के पास ऑनलाइन शॉपिंग कर स्टोर से एक्सचेंज या रिटर्न कर सकते हैं या इसके उलट भी। फैशन रिटेलिंग में 60 मिनट डिलिवरी का ट्रेंड है और फिजिकल स्टोर्स फुलफिलमेंट सेंटर्स में बदल रहे हैं। टाइटन कंपनी के इंटरनेशनल बिजनेस के सीईओ कुरुविला मार्कोस ने कहा कि भारत में डिजिटल कॉमर्स तेजी से बढ़ रहा है और ऑफलाइन रिटेलिंग भी। जब 2016 में कंपनी ने कैरटलेन को खरीदा, तब उसके 600 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का 99.5 परसेंट ऑनलाइन से आता था। अब वह कंपनी 4000 करोड़ के पार जा चुकी है और ऑनलाइन का योगदान सिर्फ 8 परसेंट रह गया है यानी फिजिकल रिटेल स्टोर्स का सेल्स में शेयर 92 परसेंट है। यानी डिजिटल और फिजिकल दोनों फॉर्मेट में बैलेंस बनाने की जरूरत है। एक प्राइस लेवल से नीचे कस्टमर ऑनलाइन शॉपिंग में कंफर्टेबल होता है। भारत में 40 डॉलर से कम की घड़ी ऑनलाइन बिकती है जबकि ज्यूलरी के लिए यह लिमिट 200 डॉलर के आसपास है। इससे ऊपर के प्राइस ब्रेकेट में शॉपिंग कस्टमर फिजिकल स्टोर से करना पसंद करता है। टेकचंदानी के अनुसार स्टोर्स ऑफ द फ्यूचर में कस्टमर को फिजिकल स्टोर में ही डिजिटल एक्सपीरियंस दिया जा रहा है। टॉमी हिलफिगर ने स्टोर में स्मार्ट मिरर लगाए हैं। वहीं दुबई हिल्स मॉल में कंपनी के पहले फिजिटल स्टोर में मोबाइल पॉइंट ऑफ सेल और फ्रिक्शनलेस चेकआउट जैसे फीचर्स हैं। यहां तक कि लॉयल्टी प्रोग्राम भी एप के जरिए चलाया जा रहा है। बैकएंड ऑपरेशंस में स्टोर ट्रांसफर ऑप्टिमाइजेशन, मार्कडाउन ऑप्टिमाइजेशन, प्राइस ऑप्टिमाइजेशन और अलोकेशन ऑप्टिमाइजेशन टेकटूल्स के जरिए ही किया जा रहा है ताकि सही प्रोडक्ट सही स्टोर पर हो। मार्कोस के अनुसार आज रिटेलिंग में चॉइस की भरमार है और कस्टमर कन्फ्यूज हो जाता है। ऐसे में गेम अब पर्सनलाइजेशन का है। इसमें कस्टमर प्रॉफाइल, प्रिफरेंस के आधार पर पोर्टफोलियो तैयार किया जाता है। तनिष्क के पास 60 हजार से ज्यादा एसकेयू हैं लेकिन जरूरत इस बात की है कि हर ग्राहक को वही 2-4 प्रोडक्ट दिखाए जाएं जो उसके लिए सही हों।

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रिटेल में इस तरह हो रहा है Personalisation का ‘खेल’!

 वो कहते हैं ना जितने मूंह उतनी बात...रिटेलिंग के इवॉल्यूशन के लिए सही साबित हो रही है। फिजिकल और डिजिटल से कहानी अब फिजिटल और ओमनी चैनल तक पहुंच चुकी है। फिजिटल यानी फिजिकल स्टोर्स का डिजिटल प्लेटफॉर्म। ओमनी चैनल यानी फिजिकल भी, डिजिटल भी। आप चाहें तो ऑनलाइन ऑर्डर कर ऑफलाइन पिकअप कर सकते हैं। साथ में लगी टेबल 1 से पता चलता है कि भारत में इलीट, एफ्लूएंट और एस्पायरर परिवार दस साल में करीब 3 गुना हो जाएंगे। हाल ही हुए एक इवेंट में ब्रिक एंड मॉर्टर इन अ डिजिटल वल्र्ड : रिटेल्स रोड अहेड सब्जेक्ट पर रिटेलिंग दिग्गज और स्पेशलिस्ट्स ने फिजिकल स्टोर्स की अहमियत, डिजिटल टूल्स के फायदे और फिजिटल कॉन्सेप्ट में होने वाले कॉस्ट व इन्वेंटरी ऑप्टिमाइजेशन पर बात की। एपैरेल ग्रुप के सीईओ नीरज टेकचंदानी ने कहा कि आज अमूमन हर रिटेलर ओमनीचैनल या कनेक्टेड कॉमर्स का हिस्सा बन चुका है। वे कहते हैं अब कंज़्यूमर की जर्नी डिजिटल से शुरू होती है। लगभग 75 परसेंट कस्टमर पहले ही ऑनलाइन रिसर्च कर चुके होते हैं। फिर स्टोर पर जाए या न जाए उनकी मर्जी है। इस मॉडल से कस्टमर के पास ऑनलाइन शॉपिंग कर स्टोर से एक्सचेंज या रिटर्न कर सकते हैं या इसके उलट भी। फैशन रिटेलिंग में 60 मिनट डिलिवरी का ट्रेंड है और फिजिकल स्टोर्स फुलफिलमेंट सेंटर्स में बदल रहे हैं। टाइटन कंपनी के इंटरनेशनल बिजनेस के सीईओ कुरुविला मार्कोस ने कहा कि भारत में डिजिटल कॉमर्स तेजी से बढ़ रहा है और ऑफलाइन रिटेलिंग भी। जब 2016 में कंपनी ने कैरटलेन को खरीदा, तब उसके 600 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का 99.5 परसेंट ऑनलाइन से आता था। अब वह कंपनी 4000 करोड़ के पार जा चुकी है और ऑनलाइन का योगदान सिर्फ 8 परसेंट रह गया है यानी फिजिकल रिटेल स्टोर्स का सेल्स में शेयर 92 परसेंट है। यानी डिजिटल और फिजिकल दोनों फॉर्मेट में बैलेंस बनाने की जरूरत है। एक प्राइस लेवल से नीचे कस्टमर ऑनलाइन शॉपिंग में कंफर्टेबल होता है। भारत में 40 डॉलर से कम की घड़ी ऑनलाइन बिकती है जबकि ज्यूलरी के लिए यह लिमिट 200 डॉलर के आसपास है। इससे ऊपर के प्राइस ब्रेकेट में शॉपिंग कस्टमर फिजिकल स्टोर से करना पसंद करता है। टेकचंदानी के अनुसार स्टोर्स ऑफ द फ्यूचर में कस्टमर को फिजिकल स्टोर में ही डिजिटल एक्सपीरियंस दिया जा रहा है। टॉमी हिलफिगर ने स्टोर में स्मार्ट मिरर लगाए हैं। वहीं दुबई हिल्स मॉल में कंपनी के पहले फिजिटल स्टोर में मोबाइल पॉइंट ऑफ सेल और फ्रिक्शनलेस चेकआउट जैसे फीचर्स हैं। यहां तक कि लॉयल्टी प्रोग्राम भी एप के जरिए चलाया जा रहा है। बैकएंड ऑपरेशंस में स्टोर ट्रांसफर ऑप्टिमाइजेशन, मार्कडाउन ऑप्टिमाइजेशन, प्राइस ऑप्टिमाइजेशन और अलोकेशन ऑप्टिमाइजेशन टेकटूल्स के जरिए ही किया जा रहा है ताकि सही प्रोडक्ट सही स्टोर पर हो। मार्कोस के अनुसार आज रिटेलिंग में चॉइस की भरमार है और कस्टमर कन्फ्यूज हो जाता है। ऐसे में गेम अब पर्सनलाइजेशन का है। इसमें कस्टमर प्रॉफाइल, प्रिफरेंस के आधार पर पोर्टफोलियो तैयार किया जाता है। तनिष्क के पास 60 हजार से ज्यादा एसकेयू हैं लेकिन जरूरत इस बात की है कि हर ग्राहक को वही 2-4 प्रोडक्ट दिखाए जाएं जो उसके लिए सही हों।


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