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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

26-04-2025

वाकई क्राइसिस में है इंडिया की आईटी इंडस्ट्री!

  •  भारत की ग्रोथ स्टोरी की ब्लू आइड ब्वॉय (लाडला) इंफोसिस की वर्ष 2017 की वो इंवेस्टर्स कॉन्फ्रेंस याद है जब कंपनी के फ्यूचर को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे और आलोचकों को चुप करने के लिए कंपनी के तब के सीईओ विशाल सिक्का ऑटोपायलट कार से आए थे। दावा था कि कंपनी फ्यूचर टेक पर इंवेस्ट कर रही है। लेकिन आठ साल हो गए इतने में तो प्रॉडक्ट आते हैं और बिलियन डॉलर का बिजनस खड़ा कर देते हैं। साल 2021 का वह वाकया भी आपको याद होगा जब इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल में आ रही बार-बार ग्लिच (टेक्निकल प्रॉबलम्स) के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख को बुलाकर ...एनकाउंटर... कर दिया था। ये दो उदाहरण भर हैं लेकिन एक दौर में आईटी इंडस्ट्री योगा और सिनेमा की तरह भारत की सॉफ्टपावर का सिंबल बनकर उभरी थी। पर अब लगता है पहिया उलटा घूमने लगा है। आईटी इंक अब रेवेन्यू की स्लो ग्रोथ से तो परेशान है ही टेलेंट को जोड़े रखना भी बड़ा चैलेंज साबित हो रहा है। कंपनियों के वित्तीय पूर्वानुमान और भर्ती टार्गेट भी घट रहे हैं। और सबसे बड़े सवाल फ्यूचर टेक में इंवेस्टमेंट को लेकर हैं। पिछले दिनों कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने टेक स्टार्टअप्स को डीपटेक के बजाय फूड डिलिवरी और ग्रोसरी डिलिवरी में लो कॉस्ट लेबर क्रिएट करने वाला बताकर तो जैसे बर्र के छत्ते में ही हाथ डाल दिया था। कॉरपोरेट मिनिस्ट्री का डेटा तो और भी ग्रिम (भयानक) पिक्चर दिखाता है। डेटा के अनुसार वर्ष 2020 में देश में 15 हजार से ज्यादा आईटी कंपनियां थीं। लेकिन बाद के पांच सालों में इनकी संख्या केवल...2419... रह गई। भारत के लिए चैलेंज इसलिए भी बड़ा है कि एआई जैसे सनराइज सैक्टर में भारत पिछड़ता दिख रहा है। स्टैनफोर्ड एआई इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल एआई पेटेंट्स में भारत का शेयर केवल 0.37 परसेंट है। जबकि अमेरिका का 14 परसेंट है और 70 परसेंट के साथ चीन लीडर है। भारत में एआई में प्राइवेट इंवेस्टमेंट के इनफ्लो से भी इस गैप का अंदाजा लग सकता है। भारत में एआई में केवल 11.29 बिलियन डॉलर का प्राइवेट इंवेस्टमेंट हुआ जबकि अमेरिका ने इसमें 470 बिलियन डॉलर लगाए हैं। अमेरिका में 1 हजार नई एआई स्टार्टअप खड़ी की गई हैं जबकि भारत 100 से भी कम कंपनियों के साथ एआई स्टार्टअप्स इकोसिस्टम में भी पीछे चल रहा है। हालांकि सिल्वरलाइन यह है कि भारत में एआई हायरिंग अपने पीक लेवल पर पहुंच गई है और साल दर साल आधार पर इसमें 33 परसेंट की ग्रोथ हुई है। स्टैनफोर्ड एआई इंडेक्स रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2024 में एआई स्किल्स पेनीट्रेशन के लिहाज से 2.8 के स्कोर के साथ भारत दुनिया में अव्वल था। इसका सीधा अर्थ है कि भारत में एआई टेलेंट पूल की भरमार है लेकिन इसे खपाने के लिए आईटी और एआई इकोसिस्टम की नहीं। टीमलीज डिजिटल की सीईओ नीति शर्मा कहती हैं कि पिछले वित्त वर्ष में फ्रेशर और एक्सपीरियंस्ड प्रॉफेशनल मिलाकर केवल 60 हजार भर्तियां हुई हैं।

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वाकई क्राइसिस में है इंडिया की आईटी इंडस्ट्री!

 भारत की ग्रोथ स्टोरी की ब्लू आइड ब्वॉय (लाडला) इंफोसिस की वर्ष 2017 की वो इंवेस्टर्स कॉन्फ्रेंस याद है जब कंपनी के फ्यूचर को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे और आलोचकों को चुप करने के लिए कंपनी के तब के सीईओ विशाल सिक्का ऑटोपायलट कार से आए थे। दावा था कि कंपनी फ्यूचर टेक पर इंवेस्ट कर रही है। लेकिन आठ साल हो गए इतने में तो प्रॉडक्ट आते हैं और बिलियन डॉलर का बिजनस खड़ा कर देते हैं। साल 2021 का वह वाकया भी आपको याद होगा जब इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल में आ रही बार-बार ग्लिच (टेक्निकल प्रॉबलम्स) के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख को बुलाकर ...एनकाउंटर... कर दिया था। ये दो उदाहरण भर हैं लेकिन एक दौर में आईटी इंडस्ट्री योगा और सिनेमा की तरह भारत की सॉफ्टपावर का सिंबल बनकर उभरी थी। पर अब लगता है पहिया उलटा घूमने लगा है। आईटी इंक अब रेवेन्यू की स्लो ग्रोथ से तो परेशान है ही टेलेंट को जोड़े रखना भी बड़ा चैलेंज साबित हो रहा है। कंपनियों के वित्तीय पूर्वानुमान और भर्ती टार्गेट भी घट रहे हैं। और सबसे बड़े सवाल फ्यूचर टेक में इंवेस्टमेंट को लेकर हैं। पिछले दिनों कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने टेक स्टार्टअप्स को डीपटेक के बजाय फूड डिलिवरी और ग्रोसरी डिलिवरी में लो कॉस्ट लेबर क्रिएट करने वाला बताकर तो जैसे बर्र के छत्ते में ही हाथ डाल दिया था। कॉरपोरेट मिनिस्ट्री का डेटा तो और भी ग्रिम (भयानक) पिक्चर दिखाता है। डेटा के अनुसार वर्ष 2020 में देश में 15 हजार से ज्यादा आईटी कंपनियां थीं। लेकिन बाद के पांच सालों में इनकी संख्या केवल...2419... रह गई। भारत के लिए चैलेंज इसलिए भी बड़ा है कि एआई जैसे सनराइज सैक्टर में भारत पिछड़ता दिख रहा है। स्टैनफोर्ड एआई इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल एआई पेटेंट्स में भारत का शेयर केवल 0.37 परसेंट है। जबकि अमेरिका का 14 परसेंट है और 70 परसेंट के साथ चीन लीडर है। भारत में एआई में प्राइवेट इंवेस्टमेंट के इनफ्लो से भी इस गैप का अंदाजा लग सकता है। भारत में एआई में केवल 11.29 बिलियन डॉलर का प्राइवेट इंवेस्टमेंट हुआ जबकि अमेरिका ने इसमें 470 बिलियन डॉलर लगाए हैं। अमेरिका में 1 हजार नई एआई स्टार्टअप खड़ी की गई हैं जबकि भारत 100 से भी कम कंपनियों के साथ एआई स्टार्टअप्स इकोसिस्टम में भी पीछे चल रहा है। हालांकि सिल्वरलाइन यह है कि भारत में एआई हायरिंग अपने पीक लेवल पर पहुंच गई है और साल दर साल आधार पर इसमें 33 परसेंट की ग्रोथ हुई है। स्टैनफोर्ड एआई इंडेक्स रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2024 में एआई स्किल्स पेनीट्रेशन के लिहाज से 2.8 के स्कोर के साथ भारत दुनिया में अव्वल था। इसका सीधा अर्थ है कि भारत में एआई टेलेंट पूल की भरमार है लेकिन इसे खपाने के लिए आईटी और एआई इकोसिस्टम की नहीं। टीमलीज डिजिटल की सीईओ नीति शर्मा कहती हैं कि पिछले वित्त वर्ष में फ्रेशर और एक्सपीरियंस्ड प्रॉफेशनल मिलाकर केवल 60 हजार भर्तियां हुई हैं।


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