टेस्ला को भारत लाने के लिए सरकार रैड कार्पेट बिछा रही है। बजट में इंपोर्ट ड्यूटी घटाई जा चुकी है। लेकिन रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक कारों पर इंपोर्ट ड्यूटी को और घटाने का प्लान है। हालांकि देसी दिग्गज इंपोर्ट टैरिफ घटाने के इस प्लान को चार साल टालने का दबाव बना रहे हैं लेकिन चर्चा है कि सरकार ने उनकी मांग को रिजेक्ट कर दिया है। अमेरिका की ट्रेड टीम पिछले महीने भारत आई थी और खबर है कि मोटी-मोटी सहमति बन गई है और बहुत संभव है कि अक्टूबर-नवंबर से इंडिया-यूएस बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट लागू हो सकता है। ईवी पर टैरिफ घटाकर भारत सरकार अमेरिका को पॉजिटिव संदेश देना चाहती है। वैसे भी ईवी भारत सरकार के एक्शन प्लान में बहुत ऊपर है लेकिन भारतीय कंपनियां इस मामले में गो स्लो की स्ट्रेटेजी पर चल रही हैं। भारत की कार कंपनियां ईवी इंपोर्ट टैरिफ में किसी भी कटौती को 2029 तक टालने के लिए मोदी सरकार के साथ पैरवी कर रही हैं। हालांकि सरकार ईवी टैरिफ को कम करने के बारे में गंभीर है। प्रेसिडेंट ट्रंप के सहयोगी टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के लिए भारत का ईवी टैरिफ बड़ा बैरियर साबित हुआ है और 2016 से इंडिया प्रॉजेक्ट हाथ में होने के बावजूद अब 2025 में टेस्ला भारत आ रही है। चर्चा है कि भारत सरकार अमेरिका के साथ बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट की पहली किश्त में ही ईवी टैरिफ को शामिल करना चाहती है। भारत सरकार के एक अधिकारी के अनुसार भारत की ऑटो इंडस्ट्री सक्षम है। लंबे समय तक इसे प्रॉटेक्ट करके रखा गया है अब इसे खोलने का समय आ गया है। सरकार टैरिफ में बड़ी कटौती करना चाहती है और इस प्लान में ईवी भी शामिल है। भारत सरकार ट्रंप के साथ ब्रिज बिल्ड करना चाहती है और ईवी सहित अन्य प्रॉडक्ट पर टैरिफ इसमें मददगार साबित हो सकते हैं। वैसे भी ट्रंप भारत को टैरिफ किंग कहते आए हैं। और लिबरेशन डे पर उन्होंने 2 अप्रेल को भारत पर 27 परसेंट टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यदि भारत सरकार ईवी पर इंपोर्ट टैरिफ में कटौती के प्लान को फास्ट्रेक करती है तो टेस्ला के लिए हालात विन-विन वाले हो जाएंगे। कंपनी भारत में शुरुआत सीबीयू इंपोर्ट के साथ करेगी और दिल्ली, मुंबई, बैंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में आउटलैट्स खोलेगी। टेस्ला दिल्ली और मुंबई के आउटलैट्स की लीज एग्रीमेंट तो कर भी चुकी है। ट्रंप ने कहा है कि वर्तमान में टेस्ला के लिए भारत में बेचना असंभव है और अगर उसे वहां कारखाना बनाना पड़े तो यह अनुचित होगा। लेकिन यह टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी घरेलू कंपनियों के लिए इंपोर्ट टैरिफ को घटाना एक झटका होगा क्योंकि इन्होंने भारत में ईवी इकोसिस्टम तैयार करने पर बिलियन डॉलर्स का इंवेस्टमेंट किया है। ऑटो इंक को डर यह है कि यदि अमेरिका के लिए भारत ईवी पर इंपोर्ट टैरिफ घटाता है तो फिर यूरोपीय संघ और यूके के साथ चल रही ट्रेड टॉक्स के लिए एक मिसाल बन जाएगा। जिससे भारत जैसे नीश ईवी मार्केट में कंपीटिशन बहुत गर्म हो सकता है। वर्ष 2024 में भारत में करीब 1 लाख ईवी की सेल हुई थी जो कुल पीवी मार्केट के 2.5 परसेंट के बराबर है। जबकि भारत सरकार का टार्गेट ईवी शेयर को 2030 तक 30 परसेंट पहुंचाने का है। ऑटो इंक का कहना है कि ऑटो ईवी पीएलआई स्कीम 2029 तक चलेगी ऐसे में कंपनियों के लिए यहां इंवेस्टमेंट करना घाटे का सौदा हो जाएगा क्योंकि सस्ते इंपोर्ट से उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।