केंद्र सरकार ने टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) के तहत लक्जरी प्रोडक्ट्स की एक लिस्ट जारी की है। मकसद टैक्स बेस को बढ़ाना और हाई-एंड परचेज पर नजर रखना है। वित्त वर्ष 25 के बजट में इसका प्रस्ताव किया गया था। इस लिस्ट में लक्जरी घडिय़ां, कलाकृतियां (आर्ट आईटम्स), एंटीक, यॉट (नाव), लक्जरी हैंडबैग, हाई-एंड स्पोर्ट्सवियर, रेस के घोड़े, होम थिएटर सिस्टम, स्कीइंग गियर, गोल्फ किट और यहां तक कि हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं। बजट में एचएनआई के लक्जरी आइटम्स पर बढ़ते खर्च को देखते हुए 10 लाख रुपये से अधिक की खरीद पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया था। हालांकि इसमें शामिल लक्जरी आइटम्स की लिस्ट अब जारी की गई है जिससे लक्जरी गुड्स की परिभाषा स्पष्ट हो गई है। सरकार ने इनकमटैक्स एक्ट की धारा 206सी (1एफ) के तहत यह नोटिफिकेशन जारी किया है। इस लिस्ट में शामिल आइटम बेचने पर कस्टमर से 1 परसेंट टीसीएस कलेक्ट करना होगा। सरकार का मानना है कि इससे टेक्स आधार का विस्तार होगा और लक्जरी मार्केट में बेहिसाब पैसे के इस्तेमाल पर भी रोक लगेगी। आरबीआई की एलआरएस (लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम) के तहत विदेशों में भेजे जाने वाले 7 लाख रुपये की जगह अब 10 लाख रुपये से अधिक की रकम पर ही टीसीएस लगेगा। अभी तक एलआरएस के तहत किए गए सभी विदेशी भुगतान (बैंक ट्रांसफर, फॉरेक्स खरीद, फॉरेक्स कार्ड लोडिंग आदि) पर 7 लाख रुपये से अधिक की रकम पर 20 परसेंट टीसीएस लगता था। हालांकि, मेडिकल खर्च या स्कूल/कॉलेज फीस के लिए भेजी गई रकम पर यह लागू नहीं होगा। कुछ विशेष मामलों को छोडक़र 7 लाख रुपये से कम के लेन-देन पर टीसीएस नहीं लगता।