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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

19-04-2025

Q-Commerce ने किया कमाल... मॉल होने लगे Small

  •  जमेटो वाले दीपेंदर गोयल ने नाम भी सही रखा है...ब्लिंकइट। ब्लिंक यानी आंख झपकना। ब्लिंकइट का नाम ही नहीं काम भी जबरदस्त है...आंख झपकी नहीं की ऑर्डर डिलिवर हो गया। लेकिन क्यू-कॉमर्स की इस करामात ने ट्रेडिशनल रिटेलिंग का खेल खराब कर दिया है। मिनटों में डिलिवरी वाले इस क्यू-कॉमर्स मार्केट में ब्लिंकइट, •ोप्टो, स्विगी इंस्टामार्ट, जियोमार्ट, फ्लिपकार्ट मिनट्स, अमेजन तेज और डीलशेयर आदि बड़े प्लेयर हैं। सुपरफास्ट डिलिवरी का यह ट्रेंड इतनी तेजी से घर कर रहा है कि फ्लिपकार्ट और अमे•ान जो आमतौर पर 1-3 दिन में डिलिवरी देते हैं को पसीने आ गए। नतीजा महारथियों को भी क्यू-कॉम सैगमेंट में उतरना पड़ गया। रिटेलिंग में जो टेक रेवॉल्यूशन हो रही है उसकी मार मॉल पर भी पड़ रही है क्योंकि  मॉल में खुलने वाले सुपरमार्केट स्टोर्स का साइज अब घटकर आधा रह गया है। रियल एस्टेट एक्जेक्टिव्स कहते हैं कि ऑनलाइन ग्रोसरी डिलिवरी ने रिटेलिंग के साथ ही मॉलस्पेस के डायनामिक्स को बदल दिया है। पैसिफिक मॉल्स के एक्जेक्टिव डायरेक्टर अभिषेक बंसल के अनुसार डिजिटल अटैक ने लार्ज फॉर्मेट सुपरमार्केट चेन्स को बेहाल कर दिया है। पिछले पांच साल में सुपरमार्केट्स के फॉर्मेट में बड़ा बदलाव आया है। कुछ सिकुड़ गए हैं तो कुछ ने शटर गिरा दिए हैं। कुशमैन एंड वेकफील्ड के एमडी सौरभ शतदल के अनुसार सुपरमार्केट्स अब घटकर 15 हजार-20 हजार वर्गफीट में खुल रहे हैं। खासकर, अर्बन एरिया में क्विक-कॉमर्स के कारण कंज्यूमर प्रिफरेंस बदल रहा है। हालांकि अभी भी क्विक कॉमर्स के 75 परसेंट ऑर्डर ग्रोसरी और डेली इसेंशियल्स (रोजमर्रा का जरूरी सामान) के होते हैं। लेकिन ये टेक प्लेटफॉर्म बहुत तेजी से कैटेगरी बढ़ाकर सुपरमार्केट्स और ई-कॉम को चुनौती दे रहे हैं। आपको याद होगा हाल ही ब्लिंकइट ने 10 मिनट में आईफोन डिलिवरी शुरू की है। हालांकि सलेक्टेड रेंज डिस्प्ले करने वाले लक्जरी और प्रीमियम सुपरमार्केट्स का क्लाइंटेल बना हुआ है क्योंकि यह कैटेगरी क्यू-कॉम के कस्टमर प्रॉफाइल में फिट कम होती है। फिर इस कैटेगरी के स्टोर्स में कस्टमर एक्सपीरियंस भी बड़ा सैलिंग पॉइंट होता है। एक ओर जहां सुपरमार्केट्स डाउनसाइज हो रहे हं वहीं एफ एंड बी (फूड एंड बिवरेज) कैटेगरी में मॉल स्पेस डिमांड बढ़ रही है। इसी तरह ब्यूटी, वैलनेस, ज्यूलरी और एथलीजर एंड स्पोर्ट्स कैटेगरी में भी फिजिकल स्टोर्स साइज और नेटवर्क दोनों लिहाज से बढ़ रहे हैं। कुशमैन एंड वेकफील्ड का डेटा कहता है कि ब्यूटी एंड वैलनेस और फूड एंड बिवरेज कैटेगरी का मॉल स्पेस में शेयर पहले 5-6 परसेंट रहता था जो अब 15-16 परसेंट तक हो गया है। इसी तरह एथलीजर एंड स्पोर्ट्स कैटेगरी का मॉल स्पेस में शेयर 11-13 परसेंट तक पहुंच गया है।

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Q-Commerce ने किया कमाल... मॉल होने लगे Small

 जमेटो वाले दीपेंदर गोयल ने नाम भी सही रखा है...ब्लिंकइट। ब्लिंक यानी आंख झपकना। ब्लिंकइट का नाम ही नहीं काम भी जबरदस्त है...आंख झपकी नहीं की ऑर्डर डिलिवर हो गया। लेकिन क्यू-कॉमर्स की इस करामात ने ट्रेडिशनल रिटेलिंग का खेल खराब कर दिया है। मिनटों में डिलिवरी वाले इस क्यू-कॉमर्स मार्केट में ब्लिंकइट, •ोप्टो, स्विगी इंस्टामार्ट, जियोमार्ट, फ्लिपकार्ट मिनट्स, अमेजन तेज और डीलशेयर आदि बड़े प्लेयर हैं। सुपरफास्ट डिलिवरी का यह ट्रेंड इतनी तेजी से घर कर रहा है कि फ्लिपकार्ट और अमे•ान जो आमतौर पर 1-3 दिन में डिलिवरी देते हैं को पसीने आ गए। नतीजा महारथियों को भी क्यू-कॉम सैगमेंट में उतरना पड़ गया। रिटेलिंग में जो टेक रेवॉल्यूशन हो रही है उसकी मार मॉल पर भी पड़ रही है क्योंकि  मॉल में खुलने वाले सुपरमार्केट स्टोर्स का साइज अब घटकर आधा रह गया है। रियल एस्टेट एक्जेक्टिव्स कहते हैं कि ऑनलाइन ग्रोसरी डिलिवरी ने रिटेलिंग के साथ ही मॉलस्पेस के डायनामिक्स को बदल दिया है। पैसिफिक मॉल्स के एक्जेक्टिव डायरेक्टर अभिषेक बंसल के अनुसार डिजिटल अटैक ने लार्ज फॉर्मेट सुपरमार्केट चेन्स को बेहाल कर दिया है। पिछले पांच साल में सुपरमार्केट्स के फॉर्मेट में बड़ा बदलाव आया है। कुछ सिकुड़ गए हैं तो कुछ ने शटर गिरा दिए हैं। कुशमैन एंड वेकफील्ड के एमडी सौरभ शतदल के अनुसार सुपरमार्केट्स अब घटकर 15 हजार-20 हजार वर्गफीट में खुल रहे हैं। खासकर, अर्बन एरिया में क्विक-कॉमर्स के कारण कंज्यूमर प्रिफरेंस बदल रहा है। हालांकि अभी भी क्विक कॉमर्स के 75 परसेंट ऑर्डर ग्रोसरी और डेली इसेंशियल्स (रोजमर्रा का जरूरी सामान) के होते हैं। लेकिन ये टेक प्लेटफॉर्म बहुत तेजी से कैटेगरी बढ़ाकर सुपरमार्केट्स और ई-कॉम को चुनौती दे रहे हैं। आपको याद होगा हाल ही ब्लिंकइट ने 10 मिनट में आईफोन डिलिवरी शुरू की है। हालांकि सलेक्टेड रेंज डिस्प्ले करने वाले लक्जरी और प्रीमियम सुपरमार्केट्स का क्लाइंटेल बना हुआ है क्योंकि यह कैटेगरी क्यू-कॉम के कस्टमर प्रॉफाइल में फिट कम होती है। फिर इस कैटेगरी के स्टोर्स में कस्टमर एक्सपीरियंस भी बड़ा सैलिंग पॉइंट होता है। एक ओर जहां सुपरमार्केट्स डाउनसाइज हो रहे हं वहीं एफ एंड बी (फूड एंड बिवरेज) कैटेगरी में मॉल स्पेस डिमांड बढ़ रही है। इसी तरह ब्यूटी, वैलनेस, ज्यूलरी और एथलीजर एंड स्पोर्ट्स कैटेगरी में भी फिजिकल स्टोर्स साइज और नेटवर्क दोनों लिहाज से बढ़ रहे हैं। कुशमैन एंड वेकफील्ड का डेटा कहता है कि ब्यूटी एंड वैलनेस और फूड एंड बिवरेज कैटेगरी का मॉल स्पेस में शेयर पहले 5-6 परसेंट रहता था जो अब 15-16 परसेंट तक हो गया है। इसी तरह एथलीजर एंड स्पोर्ट्स कैटेगरी का मॉल स्पेस में शेयर 11-13 परसेंट तक पहुंच गया है।


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