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13-09-2025

बढ़ रही है मेंटल हैल्थ स्टार्टअप्स की संख्या

  •  हमारे देश में मेंटल हैल्थ की समस्या बढ़ रही है। टीनेजर्स, युवा यहां तक कि बुजुर्ग भी इससे खासे परेशान हैं। पहले की बात करें तो लोग इस पर ध्यान नहीं देते थे लेकिन एक्सपर्ट्स , सेलीब्रिटीज द्वारा इस पर बात करने से लोगों में अवेयरनैस आई है। वे यह समझने लगे हैं कि जिस प्रकार शरीर बीमार होता है, उसी प्रकार मन-मस्तिष्क भी बीमार होता है, तब इसके इलाज की जरूरत पड़ती है। ऐसे में देश में इस सेगमेंट में एप स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ रही है। इसका कारण यह है कि अब लोग मेंटल हैल्थ के प्रति जागरुक हो रहे हैं। गत तीन-चार वर्ष में करीब दो सौ इन्वेस्टर्स  ने ऐसी फम्र्स में निवेश किया है। अमाहा, वायसा, त्रीजोग, लिसुन आदि स्टार्टअप्स ने अच्छा फंड जुटाया है। देश में करीब साढ़े चार सौ से भी अधिक स्टार्टअप्स मेंटल हैल्थ सेगमेंट में कार्यरत हैं। सर्टीफाइड मेंटल हैल्थ पे्रक्टीशनर्स की उपलब्धता बड़ी समस्या है। देश में प्रति एक लाख लोगों पर केवल 0.3 साइकेट्रिस्ट, 0.07 साइकोलॉजिस्ट और 0.07 सोशियल वर्कर्स हैं। भारत जैसे विकासशील देश में प्रति एक लाख लोगों में कम से कम 6.6 साइकेट्रिस्ट की जरूरत है, यह संख्या विकसित देशों की है। विकसित देशों में प्रति एक लाख लोगों पर 6.6 साइकेट्रिस्ट हैं। वेंचर कैपीटल फर्म फायरसाइड वेंचर्स जो कि अमाहा में निवेशक भी है के सूत्रों के अनुसार आजकल लोगों में स्ट्रेस काफी ज्यादा है। वे इसे मैनेज करना भी नहीं जानते। ऐसे में मेंटल हैल्थ इशू जब हो तो ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। यह भी देखना होगा कि इलाज पैसों की मांग करता है। अमाहा थेरेपी, साइकेट्री, सैल्फ केयर सर्विस उनके प्लेटफॉर्म पर ऑफर करते हैं। वच्र्यूअल सपोर्ट गु्रप्स, डिजिटल मेंटल हैल्थ टूल्स की मदद से यह सब किया जाता है। देश का मेंटल हैल्थ एप मार्केट आने वाले चार वर्ष में करीब 15 प्रतिशत सीएजीआर से बढऩे की सम्भावना है। यह डेटा यूनिवडाटोज मार्केट इनसाइट ने दिया है। अमाहा के पास करीब 150 थेरेपिस्ट और साइकेट्रिस्ट पे-रोल पर हैं। दिल्ली-एनसीआर, मुम्बई और बैंगलुरु में इन-पर्सन क्लिनिक्स भी हैं। क-फाउंडर के अनुसार वे प्रतिमाह करीब दस हजार कन्सल्टेशंस को हैंडल कर रहे हैं। उनके अनुसार वे पूरे इको-सिस्टम के साथ काम कर रहे हैं। इसमें थेरेपिस्ट, साइकेट्रिस्ट आदि एक साथ काम करते हैं। वायसा जो कि एआई चैटबॉट लैड मेंटल हैल्थ प्लेटफॉर्म है के अनुसार फिलहाल कोई विश्वसनीय, बाहरी रेगूलेटरी बॉडी नहीं है। सेक्टर शुरूआती स्तर पर है। वायसा में व्यक्ति एआई चैटबॉट से बात कर सकता है। हर समय व्यक्ति को किसी व्यक्ति से बात करने की आवश्यकता नहीं होती, वह चैटबॉट से इंटरेक्शन कर सकता है। मेंटल हैल्थ की समस्या एक ऐसी समस्या है, जिसे इंडीविज्युअल, परिवार सब छुपा कर रखना पसंद करते हैं। ऐसे में इलाज में देरी होती है। पर यदि सीके्रट रूप से एप के माध्यम से इलाज मिलने के कारण लोग आगे भी आ रहे हैं। वे कनसल्ट करते हैं और संवाद भी करते हैं। कई समस्याएं तो चैटबॉट से इंटरेक्शन से भी समाप्त हो सकती है। अकेलेपन से जूझ रहे युवाओं को यह रास्ता रास आ रहा है।

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बढ़ रही है मेंटल हैल्थ स्टार्टअप्स की संख्या

 हमारे देश में मेंटल हैल्थ की समस्या बढ़ रही है। टीनेजर्स, युवा यहां तक कि बुजुर्ग भी इससे खासे परेशान हैं। पहले की बात करें तो लोग इस पर ध्यान नहीं देते थे लेकिन एक्सपर्ट्स , सेलीब्रिटीज द्वारा इस पर बात करने से लोगों में अवेयरनैस आई है। वे यह समझने लगे हैं कि जिस प्रकार शरीर बीमार होता है, उसी प्रकार मन-मस्तिष्क भी बीमार होता है, तब इसके इलाज की जरूरत पड़ती है। ऐसे में देश में इस सेगमेंट में एप स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ रही है। इसका कारण यह है कि अब लोग मेंटल हैल्थ के प्रति जागरुक हो रहे हैं। गत तीन-चार वर्ष में करीब दो सौ इन्वेस्टर्स  ने ऐसी फम्र्स में निवेश किया है। अमाहा, वायसा, त्रीजोग, लिसुन आदि स्टार्टअप्स ने अच्छा फंड जुटाया है। देश में करीब साढ़े चार सौ से भी अधिक स्टार्टअप्स मेंटल हैल्थ सेगमेंट में कार्यरत हैं। सर्टीफाइड मेंटल हैल्थ पे्रक्टीशनर्स की उपलब्धता बड़ी समस्या है। देश में प्रति एक लाख लोगों पर केवल 0.3 साइकेट्रिस्ट, 0.07 साइकोलॉजिस्ट और 0.07 सोशियल वर्कर्स हैं। भारत जैसे विकासशील देश में प्रति एक लाख लोगों में कम से कम 6.6 साइकेट्रिस्ट की जरूरत है, यह संख्या विकसित देशों की है। विकसित देशों में प्रति एक लाख लोगों पर 6.6 साइकेट्रिस्ट हैं। वेंचर कैपीटल फर्म फायरसाइड वेंचर्स जो कि अमाहा में निवेशक भी है के सूत्रों के अनुसार आजकल लोगों में स्ट्रेस काफी ज्यादा है। वे इसे मैनेज करना भी नहीं जानते। ऐसे में मेंटल हैल्थ इशू जब हो तो ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। यह भी देखना होगा कि इलाज पैसों की मांग करता है। अमाहा थेरेपी, साइकेट्री, सैल्फ केयर सर्विस उनके प्लेटफॉर्म पर ऑफर करते हैं। वच्र्यूअल सपोर्ट गु्रप्स, डिजिटल मेंटल हैल्थ टूल्स की मदद से यह सब किया जाता है। देश का मेंटल हैल्थ एप मार्केट आने वाले चार वर्ष में करीब 15 प्रतिशत सीएजीआर से बढऩे की सम्भावना है। यह डेटा यूनिवडाटोज मार्केट इनसाइट ने दिया है। अमाहा के पास करीब 150 थेरेपिस्ट और साइकेट्रिस्ट पे-रोल पर हैं। दिल्ली-एनसीआर, मुम्बई और बैंगलुरु में इन-पर्सन क्लिनिक्स भी हैं। क-फाउंडर के अनुसार वे प्रतिमाह करीब दस हजार कन्सल्टेशंस को हैंडल कर रहे हैं। उनके अनुसार वे पूरे इको-सिस्टम के साथ काम कर रहे हैं। इसमें थेरेपिस्ट, साइकेट्रिस्ट आदि एक साथ काम करते हैं। वायसा जो कि एआई चैटबॉट लैड मेंटल हैल्थ प्लेटफॉर्म है के अनुसार फिलहाल कोई विश्वसनीय, बाहरी रेगूलेटरी बॉडी नहीं है। सेक्टर शुरूआती स्तर पर है। वायसा में व्यक्ति एआई चैटबॉट से बात कर सकता है। हर समय व्यक्ति को किसी व्यक्ति से बात करने की आवश्यकता नहीं होती, वह चैटबॉट से इंटरेक्शन कर सकता है। मेंटल हैल्थ की समस्या एक ऐसी समस्या है, जिसे इंडीविज्युअल, परिवार सब छुपा कर रखना पसंद करते हैं। ऐसे में इलाज में देरी होती है। पर यदि सीके्रट रूप से एप के माध्यम से इलाज मिलने के कारण लोग आगे भी आ रहे हैं। वे कनसल्ट करते हैं और संवाद भी करते हैं। कई समस्याएं तो चैटबॉट से इंटरेक्शन से भी समाप्त हो सकती है। अकेलेपन से जूझ रहे युवाओं को यह रास्ता रास आ रहा है।


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