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18-07-2025

केंद्रीय पूल में गेहूं की खरीद अधिक होने से लंबी तेजी की उम्मीद नहीं

  •  गेहूं का उत्पादन अधिक होने तथा सरकार की सक्रियता से केंद्रीय पूल में खरीद पिछले कई वर्षों की तुलना में अधिक हुई है। वहीं प्राइवेट सेक्टर के कारोबारी भी गत तीन वर्षों से भारी तेजी को देखकर पहले ही ऊंचे भाव में स्टॉक कर लिए हैं। इन सबके बावजूद भी सरकार इस बार 2550 रुपए प्रति कुंतल के भाव में एक्स गोदाम में बेचने की मन बना चुकी है, इसके ऊपर भाड़ा आदि सारा खर्चा खरीददार का रहेगा। इन परिस्थितियों में बाजार ऊंचा ही रहेगा, लेकिन वर्तमान भाव पर एक बार करेक्शन लग रहा है। गत वर्ष गेहूं का उत्पादन कम होन तथा केंद्रीय पूल में खरीद लक्ष्य से काफी कम रह जाने से पूरे वर्ष शॉर्टेज की स्थिति बनी रही। इस वजह से दिसंबर जनवरी में इसके भाव दिल्ली में 3350/3400 रुपए प्रति कुंतल पर मिल क्वालिटी के पहुंच गए थे, इसे देखकर इस बार इसकी बिजाई किसानों ने 5 लाख हेक्टेयर बढ़ाकर 327 लाख हेक्टेयर के करीब भूमि में हुई थी तथा मार्च-अप्रैल के तापमान कम होने से दाने पुष्ट होने के लिए अधिक समय मिल गया था। यही कारण है कि इस बार 1154 लाख मैट्रिक टन उत्पादन हुआ  है, जो गत वर्ष यह उत्पादन अनुमान 1100 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ था। सरकार द्वारा एक अप्रैल से ही धर्म कांटे लगा दिए गए थे तथा मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में  बोनस देकर 2575/2600 रुपए प्रति क्विंटल तक गेहूं की खरीद की गई। जबकि अन्य राज्यों में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपए पर खरीद हुई थी। इस वजह से प्राइवेट सेक्टर में भी प्रतिस्पर्धात्मक खरीद की गई है। इसके अलावा सरकार द्वारा हरियाणा पंजाब में युद्ध स्तर पर खरीद किया गया। यूपी में खरीद कुछ कम जरूर रही, लेकिन पूरे देश में सकल खरीद 304 लाख में मीट्रिक टन के करीब होने का अनुमान आ रहा है। सरकारी आंकड़े अधिकृत स्रोत से नहीं मिल पाए हैं।

    गौरतलब है कि वर्ष 2021-22 में गेहूं की खरीद 433 लाख मीट्रिकजंथ टन के रिकॉर्ड स्तर पर हुई थी तथा वर्ष 2022-23 में घटकर 187.5 लाख मैट्रिक टन, वर्ष 2023-24 में 162.5 लाख मैट्रिक टन एवं वर्ष 2024-25 में 266 लाख मीट्रिक टन के करीब खरीद हुई। इस बार सरकार की तत्परता एवं अच्छी सूझबूझ के चलते को उपलब्धि अधिक हुई है। दूसरी ओर गेहूं के निर्यात हेतु अभी निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं नई फसल का दबाव अब तक चारों तरफ की मंडियों में समाप्त हो गया है। 30 जून तक सरकार द्वारा केंद्रीय पूल हेतु खरीद की गई। श्रावणी मांग आटा मैदा सूजी की चौतरफा बढ़ गई है, जिससे नीचे के भाव से 50-60 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़त पर इस समय 2780/2790 रुपए मिल पहुंच में व्यापार हो गया है। माल की कमी से अगले 10/15 दिन तक लंबी तेजी तो आएगी, लेकिन इन भाव में एक बार कुछ माल बेचना चाहिए। आगे तेजी मंदी सरकार के बिक्री नीति पर निर्भर करेगी। अभी किसानों के पास स्टॉक प्रचुर मात्रा में हो चुका है तथा कच्ची मंडियों में भी स्टॉक गले तक भरा पड़ा है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव के गेहूं में लंबी तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए, लेकिन यहां अब मंदा रुक सकता है। लॉरेंस रोड पर मिल क्वालिटी गेहूं के भाव 2790 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं, जो पिछले सप्ताह 2745 रुपए तक बिके थे, उससे कुछ भाव ऊपर हो गए हैं। सरकार का बिक्री मूल्य 2550 रुपए एक्स गोडाउन रहता है, तो गेहूं अगले महीने 2900 भी बन सकता है। विशेष तेजी मंदी सरकार की बिक्री नीति पर निर्भर करेगी।
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केंद्रीय पूल में गेहूं की खरीद अधिक होने से लंबी तेजी की उम्मीद नहीं

 गेहूं का उत्पादन अधिक होने तथा सरकार की सक्रियता से केंद्रीय पूल में खरीद पिछले कई वर्षों की तुलना में अधिक हुई है। वहीं प्राइवेट सेक्टर के कारोबारी भी गत तीन वर्षों से भारी तेजी को देखकर पहले ही ऊंचे भाव में स्टॉक कर लिए हैं। इन सबके बावजूद भी सरकार इस बार 2550 रुपए प्रति कुंतल के भाव में एक्स गोदाम में बेचने की मन बना चुकी है, इसके ऊपर भाड़ा आदि सारा खर्चा खरीददार का रहेगा। इन परिस्थितियों में बाजार ऊंचा ही रहेगा, लेकिन वर्तमान भाव पर एक बार करेक्शन लग रहा है। गत वर्ष गेहूं का उत्पादन कम होन तथा केंद्रीय पूल में खरीद लक्ष्य से काफी कम रह जाने से पूरे वर्ष शॉर्टेज की स्थिति बनी रही। इस वजह से दिसंबर जनवरी में इसके भाव दिल्ली में 3350/3400 रुपए प्रति कुंतल पर मिल क्वालिटी के पहुंच गए थे, इसे देखकर इस बार इसकी बिजाई किसानों ने 5 लाख हेक्टेयर बढ़ाकर 327 लाख हेक्टेयर के करीब भूमि में हुई थी तथा मार्च-अप्रैल के तापमान कम होने से दाने पुष्ट होने के लिए अधिक समय मिल गया था। यही कारण है कि इस बार 1154 लाख मैट्रिक टन उत्पादन हुआ  है, जो गत वर्ष यह उत्पादन अनुमान 1100 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ था। सरकार द्वारा एक अप्रैल से ही धर्म कांटे लगा दिए गए थे तथा मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में  बोनस देकर 2575/2600 रुपए प्रति क्विंटल तक गेहूं की खरीद की गई। जबकि अन्य राज्यों में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपए पर खरीद हुई थी। इस वजह से प्राइवेट सेक्टर में भी प्रतिस्पर्धात्मक खरीद की गई है। इसके अलावा सरकार द्वारा हरियाणा पंजाब में युद्ध स्तर पर खरीद किया गया। यूपी में खरीद कुछ कम जरूर रही, लेकिन पूरे देश में सकल खरीद 304 लाख में मीट्रिक टन के करीब होने का अनुमान आ रहा है। सरकारी आंकड़े अधिकृत स्रोत से नहीं मिल पाए हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 2021-22 में गेहूं की खरीद 433 लाख मीट्रिकजंथ टन के रिकॉर्ड स्तर पर हुई थी तथा वर्ष 2022-23 में घटकर 187.5 लाख मैट्रिक टन, वर्ष 2023-24 में 162.5 लाख मैट्रिक टन एवं वर्ष 2024-25 में 266 लाख मीट्रिक टन के करीब खरीद हुई। इस बार सरकार की तत्परता एवं अच्छी सूझबूझ के चलते को उपलब्धि अधिक हुई है। दूसरी ओर गेहूं के निर्यात हेतु अभी निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं नई फसल का दबाव अब तक चारों तरफ की मंडियों में समाप्त हो गया है। 30 जून तक सरकार द्वारा केंद्रीय पूल हेतु खरीद की गई। श्रावणी मांग आटा मैदा सूजी की चौतरफा बढ़ गई है, जिससे नीचे के भाव से 50-60 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़त पर इस समय 2780/2790 रुपए मिल पहुंच में व्यापार हो गया है। माल की कमी से अगले 10/15 दिन तक लंबी तेजी तो आएगी, लेकिन इन भाव में एक बार कुछ माल बेचना चाहिए। आगे तेजी मंदी सरकार के बिक्री नीति पर निर्भर करेगी। अभी किसानों के पास स्टॉक प्रचुर मात्रा में हो चुका है तथा कच्ची मंडियों में भी स्टॉक गले तक भरा पड़ा है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव के गेहूं में लंबी तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए, लेकिन यहां अब मंदा रुक सकता है। लॉरेंस रोड पर मिल क्वालिटी गेहूं के भाव 2790 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं, जो पिछले सप्ताह 2745 रुपए तक बिके थे, उससे कुछ भाव ऊपर हो गए हैं। सरकार का बिक्री मूल्य 2550 रुपए एक्स गोडाउन रहता है, तो गेहूं अगले महीने 2900 भी बन सकता है। विशेष तेजी मंदी सरकार की बिक्री नीति पर निर्भर करेगी।

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