पिछले वित्त वर्ष में कुल ईवी सेल्स 20 लाख यूनिट्स के साइकोलॉजिकल लेवल को पार कर गई। इस दौरान देश में कुल 20.26 लाख ईवी बिके। भले ही इलेक्ट्रिक पीवी का कुल पीवी सेल्स में शेयर 2.5 परसेंट ही हो लेकिन अब यह सरकार की प्रायोरिटी लिस्ट से बाहर हो चुकी है। सरकार अब ई-ट्रक को फोकस में ला रही है। पीएम ई-ड्राइव योजना में इलेक्ट्रिक पीवी को शामिल ही नहीं किया गया है। नीति आयोग ने भी कहा कि भारत में इलेक्ट्रिक कारों की सेल्स को ई-मोबिलिटी की प्रोग्रेस का पैमाना नहीं माना जाना चाहिए। अब सरकार का ध्यान ट्रक्स के इलेक्ट्रिफिकेशन पर है। ट्रक भारत की कुल वेहीकल फ्लीट का केवल 3 परसेंट ही हैं लेकिन एमिशन पॉल्यूश के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार यही माने जाते हैं। भारत के ट्रांसपोर्ट सैक्टर से कार्बन एमिशन में ट्रक का शेयर एक-तिहाई और पार्टिकुलेट पॉल्यूशन में आधे से अधिक का शेयर है। इसे देखते हुए 500 करोड़ रुपये की नई सब्सिडी से 5,600 ई-ट्रक्स को सपोर्ट करने का टार्गेट रखा गया है। नीति आयोग के अनुसार इलेक्ट्रिक कारों का एमिशन पॉल्यूशन पर ज्यादा पॉजिटिव इंपेक्ट नजर नहीं आता। वैसे भी चार-पहिया वेहीकल्स में ईवी का शेयर 2024 में सिर्फ 2 परसेंट ही था। इसके मुकाबले चीन में यह 47 परसेंट, यूरोप में 23 परसेंट, अमेरिका में 10 परसेंट और वियतनाम में 17 परसेंट है। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि पिछले वित्त वर्ष (2025) में भारत में कुल 14800 इलेक्ट्रिक ट्रक बिके। लेकिन इसमें 14520 तो अकेले मिनी ट्रक ही थे जो आमतौर पर शहरों के अंदर ही चलते हैं। जबकि इलेक्ट्रिक लॉन्ग हॉल ट्रक्स की सेल्स केवल 280 यूनिट्स रही। सरकार की चिंता यह है कि वर्ष 2019 से 2024 के बीच फेम स्कीम के तहत 537 करोड़ रुपये खर्च कर 22,600 इलेक्ट्रिक कारों पर सब्सिडी दी गई, कई राज्यों ने रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन में छूट दी, बैटरी की कीमतें गिरीं और पीएलआई योजना से घरेलू सप्लाई चेन बनी। लेकिन इंवेस्टमेंट का रिटर्न उम्मीद से कमजोर रहा। नीति आयोग के अनुसार, भारत की कुल वेहीकल फ्लीट में 75 परसेंट टू-व्हीलर हैं और कारें सिर्फ 13 परसेंट ही हैं। ऐसे में डवलप्ड देशों की तर्ज पर केवल कारों से ई-मोबिलिटी की प्रगति मापना सही नहीं है। वर्ष 2024-25 में टू-व्हीलर में ईवी पैठ 6 परसेंट रही। बड़ी कारें (10 लाख रुपये से ऊपर) तो कुल वेहीकल फ्लीट का केवल 2 परसेंट हैं। और इनका भी रोजाना इस्तेमाल बहुत कम होता है। इसलिए पॉलिसी सपोर्ट की प्रायोरिटी लिस्ट में इलेक्ट्रिक कार को नीचे धकेल दिया गया है। वैसे भी कार कंपनियों के लिए कैफे मानकों की कंप्लायंस के लिए ईवी लॉन्च करना मजबूरी बन चुकी है। नीति आयोग के अनुसार ट्रक सेगमेंट में इलेक्ट्रिक का शेयर 2024 में सिर्फ 0.7 परसेंट था। उस साल बिके कुल 8.34 लाख ट्रक्स में से सिर्फ 14520 इलेक्ट्रिक थे, और इनमें से 3.5 टन से ज्यादा कैपेसिटी और लॉन्ग डिस्टेंस वाले को केवल 280 थे। इसे देखते हुए हेवी इंडस्ट्रीज मिनिस्ट्री ने पीएम-ड्राइव के तहत जुलाई में ई-ट्रक्स के लिए सपोर्ट स्कीम शुरू की है। जिसके तहत 3.5 टन से ज्यादा कैपेसिटी वाले 5,600 ट्रक्स को सब्सिडी स्कीम में शामिल किया जाएगा। इस स्कीम में हर इलेक्ट्रिक ट्रक पर अधिकतम 9.6 लाख रुपये की सब्सिडी मिलेगी। दिल्ली में भयंकर पॉल्यूशन को देखते हुए 1,100 ई-ट्रक्स इस स्कीम के तहत रोलआउट किए जाने का टार्गेट है। सरकार ने जीरो-एमिशन ट्रकिंग के लिए 10 रूट चुने, जिनमें चंडीगढ़-दिल्ली-जयपुर, धनबाद-कोलकाता-हल्दिया, बेंगलुरु-चेन्नई-विल्लुपुरम और सलेम-कोयंबटूर-कोच्चि शामिल हैं। चीन में भारी ट्रक्स में ईवी का शेयर 9 परसेंट है जिससे तेल खपत में प्रतिदिन 10 लाख बैरल की बचत हो रही है।
