प्राचीन कल से भारत को सोने की चिडिय़ा कहा जाता रहा है। भारत के लोग जहां भी जाते हैं, वहां अपनी पहचान जरूर बनाते हैं। विश्व के कई बड़े देशों में भारतीय अपने प्रतिभा से लोहा मनवा रहे हैं। कला से लेकर साहित्य तक और व्यापार से लेकर शिक्षा तक भारतीय समुदाय का बोलबाला दुनिया के हर कोने में दिखाई देता है। यही वजह है कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश संयुक्त राज्य अमेरिका (UUnited States of America)), जिसे सामान्यत: संयुक्त राज्य (ठ्ठद्बह्लद्गस्र स्ह्लड्डह्लद्गह्य या स्) या यूनाइटेड स्टेट्स या अमेरिका कहा जाता हैं ,भारतीय समुदाय नए-नए कीर्तिमान बना रहा है।
अमेरिका में रहते भारतीयों को भारतीय-अमेरिकी कहा जाता है क्योंकि उनकी पैतृक जड़ें भारत में अंतर्निहित हैं। भारतीय आबादी व्यापक रूप से अमेरिका के सभी स्टेट्स में फैली है जबकि अधिकतर भारतीय कैलिफोर्निया (20 प्रतिशत), न्यू जर्सी (11 प्रतिशत), टेक्सास (9 प्रतिशत), न्यूयॉर्क (7 प्रतिशत) और इलिनोइस (7 प्रतिशत) में बसे हुए हैं। अमेरिका में भारतीय समुदाय काफ़ी संगठित है। भारतीय अमेरिकी समुदाय को अमेरिका में आदर्श अल्पसंख्यक माना जाता है। भारतीय अमेरिकी समुदाय सबसे धनी, सबसे शिक्षित और कानून का पालन करने वाला समुदाय है। न्यूयॉर्क सिटी मेट्रोपॉलिटन एरिया में कम से कम 24 भारतीय अमेरिकी एन्क्लेव हैं, जिन्हें लिटिल इंडिया के नाम से जाना जाता है। अटलांटा, ऑस्टिन, बाल्टीमोर-वाशिंगटन, बोस्टन, शिकागो, डलास-फ़ोर्ट जैसे महानगरीय क्षेत्रों में भी भारतीय अमेरिकी समुदाय की बड़ी आबादी है।
21 वीं शताब्दी में, भारत अमेरिकी राजनीति और वैश्विक रणनीतियों के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों लोकतांत्रिक देशों के बीच बढ़ते संबंधों को 21 वीं शताब्दी की एक परिभाषित साझेदारी के रूप में देखा जा रहा है। यह साझेदारी अमेरिका में बढ़ती भारत की सॉफ्ट पॉवर के रूप में और भी मजबूत हो गई है।
बोस्टन कंसल्टिंग गु्रप रिपोर्ट :अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के प्रभाव
बोस्टन कंसल्टिंग गु्रप की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट इंडियास्पोराइम्पैक्ट रिपोर्ट- स्मॉल कम्युनिटी एंड बिगकंट्रीब्यूशंस भारतीय प्रवासियों के प्रभाव पर नजर डालने वाली सीरीज की रिपोर्ट है, जिसमें अमेरिका में सार्वजनिक सेवा, व्यवसाय, संस्कृति और नवाचार पर विशेष ध्यान दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में भारतीय प्रवासियों का आर्थिक प्रभाव प्रभावशाली है, जिसमें प्रमुख कंपनियों की स्थापना से लेकर कर आधार को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने तक शामिल है।
इस आलेख में9( विभिन्न माध्यम से प्राप्त)अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय का योगदान एवं भारतीय संस्कृति से संबंधित कुछ विशेष बिंदुओं को कवर किया जा रहा है :
संयुक्त राज्य अमेरिका की कुल जनसंख्या में भारतीय मूल की आबादी केवल 1.5 प्रतिशत ही है। एशियाई अमेरिकी आबादी में भारतीय अमेरिकियों की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है। लगभग दो-तिहाई भारतीय अमेरिकी (66 प्रतिशत) अप्रवासी हैं, जबकि 34 प्रतिशत अमेरिका में जन्मे हैं।
अमेरिका की अर्थव्यवस्था में भारतीय-अमेरिकी समुदाय का योगदान
अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। आबादी में 1.5 फीसदी होने के बाद भी भारतीय-अमेरिकी समुदाय अमेरिका के कुल टैक्स में 5 से 6 फीसदी टैक्स योगदान(300 अरब डॉलर का टैक्स, लाखों रोजगार)करता है। भारतीय-अमेरिकी समुदाय अमेरिका के सबसे प्रभावशाली समुदायों में से एक है।
भारतीय मूल के लोग संभाल
रहे बड़ी जिम्मेदारियां
वर्तमान में, भारतीय प्रवासियों का एक बड़ा भाग युवा, उच्च शिक्षित और विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एस.टी.ई.एम) क्षेत्रों में प्रतिष्ठित है। भारतीय समुदाय के 76 फीसदी लोग मैनेजमेंट, बिजनेस, साइंस और आर्ट्स सेक्टर में काम कर रहे हैं।
बड़ी कंपनियों को लीड करने से लेकर स्टार्टअप में इनोवेशन और कंजप्शन व निवेश के जरिए अर्थव्यवस्था को गति देने तक भारतीय-अमेरिकियों का योगदान हर क्षेत्र में दिखाई देता है। फॉर्चून500 कंपनियों के 16 सीईओ भारतीय मूल के लोग ही हैं। देश के 648 यूनिकॉर्न में से 72 या कहें 11 फीसदी के फाउंडर भारतीय-अमेरिकी हैं।
गूगल के सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला और एडोब के शांतनु नारायण जैसी हस्तियां ऐसी कंपनियों के टॉप पर हैं, जो सालाना एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक का रेवेन्यू पैदा करती हैं और लाखों अमेरिकियों को रोजगार देती हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था की जटिलताओं के बीच इन कंपनियों का सफलतापूर्वक नेतृत्व करना और निरंतर विकास और नवाचार सुनिश्चित करना इन नेताओं की अहम भूमिका है।
स्टार्टअप जगत में महत्वपूर्ण उपस्थिति
भारतीय-अमेरिकियों की स्टार्टअप जगत में महत्वपूर्ण उपस्थिति है, जो 648 अमेरिकी यूनिकॉर्न में से 72 के सह-संस्थापक हैं। कैम्ब्रिज मोबाइल टेलीमैटिक्स और सोल्यूजेन जैसी ये कंपनियाँ 55,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार देती हैं और इनकी कीमत 195 बिलियन अमरीकी डॉलर है।
भारतीय प्रवासी अमेरिका में 50 प्रतिशत किफायती लॉज और 35 प्रतिशत होटलों के मालिक हैं, जिसका बाजार मूल्य लगभग $40 बिलियन डॉलर है, जो आतिथ्य उद्योग पर उनके गहन प्रभाव का प्रमाण है। दो भाइयों ने 1978 ने पटेल ब्रदर्स ने नाम से ग्रॉसरी स्टोर ओपन किया था जिसके आज पूरे अमरीका में 65 बड़े स्टोर हैं.
अमेरिका में 5000 से ज्यादा इंडियन रेस्तरां हैं जहां पर बहुत से अमेरिकन भी इंडियन भोजन का आनंद लेते हैं । समोसा ,नान,पनीर मसाला टिक्का आदि सबसे प्रिय है।
रिसर्च, इनोवेशन और शिक्षा जगत में भारतीय प्रवासियों का योगदान
अमेरिका में रिसर्च, इनोवेशन और शिक्षा जगत में भारतीय प्रवासियों के योगदान के कारण काफी प्रगति हुई है। 1975 से 2019 के बीच भारतीय मूल के इनोवेटर्स के पास मौजूद अमेरिकी पेटेंट का हिस्सा लगभग दो प्रतिशत से बढक़र 10 प्रतिशत हो गया है।
भारतीय मूल के लगभग 22,000 फैकल्टी मेंबर अमेरिकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ा रहे हैं। 2019 में ह्यूस्टन विश्वविद्यालय की एक इमारत का नाम बदला कर भारतीय-अमेरिकी दंपति डॉ. दुर्गा और सुशीला अग्रवाल के नाम पर रखा गया है।
2023 में भारतीय मूल के वैज्ञानिकों ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के सभी अनुदानों में से लगभग 11 फीसदी हासिल की और 13 प्रतिशत वैज्ञानिक प्रकाशनों में योगदान भी दिया है। इनमें इम्यूनोथेरेपी और कैंसर रोगियों के लिए नई उम्मीदआई है।
मेडिकल क्षेत्र में भारतीयों का बड़ा योगदान: हर पांचवां अप्रवासी डॉक्टर भारतीय
हाल ही में एक अमेरिकी कंपनी की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में काम करने वाले अप्रवासी चिकित्सकों और सर्जनों (डॉक्टरों) एवं पंजीकृत नर्सों के मामले में भारत शीर्ष स्रोत देश है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 9.9 लाख डॉक्टरों में से लगभग 26.5 फीसद या 2.6 लाख आप्रवासी हैं। किसी भी अन्य देश के मुकाबले ज्यादा संख्या में भारतीय अमेरिका में चिकित्सक के रूप में काम करने के लिए आते हैं। अमेरिका में 59,000 भारतीय डॉक्टर हैं और सभी आप्रवासी डॉक्टरों में से हर पांचवां (या 22 प्रतिशत) भारतीय है।
भारतीय छात्रों का योगदान: अमेरिका को मजबूत करने में भारतीय छात्रों का भी बड़ा योगदान है। दुनिया की कुछ सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटीज अमेरिका में हैं। भारत से हर साल लाखों छात्र अमेरिका पढ़ाई करने जाते हैं। शिक्षा पर ये छात्र कुल मिलाकर 10 बिलियन डॉलर (83000 करोड़ रुपये) खर्च करतेहैं। इसी प्रकार अमेरिका में बैचलर डिग्री या उससे ऊपर की डिग्री हासिल करने की आबादी का राष्ट्रीय औसत 36 फीसदी है। देश की 36 फीसदी आबादी ने यूनिवर्सिटी डिग्री हासिल की है। वहीं, भारतीय समुदाय के 76 फीसदी लोगों के पास बैचलर या उससे ऊपर की डिग्री है।
भारतीय संस्कृति की झलक
हम भारतीयों के बहुत आभारी हैं, जिन्होंने हमें गिनती करना सिखाया, जिसके बिना कोई भी लाभकर वैज्ञानिक खोज करना संभव नहीं था- अल्बर्ट आइंस्टीन
अमेरिका में हिंदू समुदाय का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। गत 15 वर्ष में अमेरिका में हिंदुओं की आबादी दोगुनी होकर लगभग सवा 22 लाख हो गई है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के अनुसार, 2025 तक हिंदुओं की आबादी लगभग 28 लाख हो जाएगी। 2007 में अमेरिकी आबादी में 0.4 प्रतिशत हिंदू थे। आज ये 0.7 प्रतिशत हो चुके हैं। धार्मिक डेटा आर्काइव के मुताबिक ईसाइयों, मुसलमानों के बाद ये तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्लूरलिज्म प्रोजेक्ट के अनुसार, 20 साल पहले अमेरिका में 435 मंदिर थे, जिनकी संख्या बढक़र लगभग 1000 हो गई है। मंदिरों की संख्या बढऩे का कारण यहां आकर बसने वाले हिंदुओं की आबादी में इजाफा होना है। अमेरिका में हिंदू धर्म और संस्कृत का भी तेजी से विस्तार हुआ है। हिंदू समुदाय सबसे एजुकेटेड है। अमेरिका में प्रवासियों में हिंदू समुदाय 15.7 साल की औसत औपचारिक पढ़ाई के साथ सबसे शिक्षित है। जबकि औसत अमेरिकी 12.9 साल की पढ़ाई ही करता है।
हिंदू धर्म और संस्कृति के प्रति बढ़ते रुझान को देखते हुए अब अमेरिका के कई शहरों में समर स्कूल शुरू किए गए हैं। अमेरिका में 31 इस्कॉन मंदिरों के स्कूलों में लगभग 20 हजार बच्चे सप्ताहांत कक्षाओं में शामिल होते हैं।
दिलचस्प है कि अमेरिका में लगभग 48 प्रतिशत हिंदू धार्मिक संस्थाओं को नियमित रूप से चंदा देते हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, धार्मिक संस्थाओं को चंदा देने वालों में हिंदू प्रवासियों में सबसे आगे हैं। दानदाताओं की संख्या 10 साल में दोगुनी हो चुकी है।
वेदिक, हिन्दी, संस्कृत की शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार
हिन्दू यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका ( एचयूए ) वर्ष 1989 से प्रारंभ हुई जो वेदिक,हिन्दी , संस्कृत की शिक्षा के साथ साथ भारतीय संस्कृति का भी प्रचार प्रसार कर रही है।
इसी प्रकार जल्दी ही शिकागो में अंतरराष्ट्रीय वैदिक कल्याण विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी। यह विश्वविद्यालय 38 एकड़ में बनाया जा रहा है। इस विश्वविद्यालय में सनातन धर्म और हिंदू दर्शन से संबंधित विभिन्न कोर्स शुरू किए जाने के साथ साथ सनातन धर्म के आदर्श और मूल्यों की शिक्षा देना, उनका संरक्षण करना और प्रचार-प्रसार कर आगे बढ़ाना रहेगा। इसमें कई तरह के पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। वैदिक विषयों पर बैचलर, मास्टर और पीएचडी की डिग्री प्रदान की जाएंगी।
अमेरिका में कई हिंदी रेडियो स्टेशन उपलब्ध हैं जैसे कि आर.बी.सी रेडियो, इजी96 रेडियो, रेडियो हमसफर, देसी जंक्शन, रेडियो सलाम नमस्ते, फनएशिया रेडियो और संगीत.भारतीय केबल चैनल जैसे कि सोनी टीवी, स्टार प्लस, कलर्स और क्षेत्रीय चैनल भी प्रसारित होते हैं। कई भारतीय मूल के कलाकार हॉलीवुड का हिस्सा हैं। अधिकांश भारतीय त्योहार उसी उत्साह और जोश के साथ मनाए जाते हैं। विशेष रूप से सार्वजनिक समारोहों और बॉलीवुड नृत्य के माध्यम से दिवाली का त्यौहार व्हाइट हाउस से लेकर सभी जगह मनाया जाता है। अमेरिका के की राज्यों ने अक्टूबर/ नवंबर को हिन्दू हेरिटिज माह भी घोषित किया है।
10 प्रतिशत अमेरिकी करते हैं योग
अमेरिका में योग एक पसंदीदा स्वास्थ्य पद्धति और व्यायाम बन गया है। योग और आयुर्वेद, जिनकी जड़ें भारत में हैं, अब अमेरिकी स्वास्थ्य प्रथाओं में मुख्य हैं। अमेरिका में योग, व्यायाम और तनाव से राहत पाने का एक लोकप्रिय रूप बन गया है। अनुमानित 3.6 करोड़ अमेरिकी योग करते हैं और 1.8 करोड़ ध्यान लगाते हैं। 2023 तक लगभग 10 प्रतिशत अमेरिकी योग का अभ्यास कर रहे थे और देश भर में लगभग 36,000 योग स्टूडियो हैं।
लोकतांत्रिक क्षेत्र में अपनी छाप
छोड़ रहे भारतीय-अमेरिकी
अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में प्रवासी भारतीयों की भूमिका काफी अहम है। अमेरिका में बसे भारतीयों की संख्या करीब 52 लाख है। ये वहां की आबादी के एक फीसदी से कुछ ही ज्यादा है। हालांकि वोट देने वाले अमेरिकी भारतीयों की संख्या एक फीसदी से भी कम है, फिर भी डेमोके्रट और रिपब्लिकन उम्मीदवार देश के दूसरे सबसे बड़े अप्रवासी समुदाय का समर्थन पाने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं।
भारतीय अमेरिकी प्रत्येक राज्य में सीनेटर, प्रतिनिधि और मेयर के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं और लोकतांत्रिक क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रहे हैं। गत दशक में ज्यादा से ज्यादा भारतीय अमेरिकी इसमें शामिल हो रहे हैं। 2013 में संघीय प्रशासन में 60 से ज्यादा उल्लेखनीय पदों पर आसीन होने के बाद 2023 तक यह संख्या बढक़र 150 से ज्यादा हो गई। इसमें उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी शामिल हैं, जिन्होंने इस पद पर आसीन होने वाली पहली महिला हैं।
भविष्य में अमेरिका-भारत साझेदारी और मजबूत होने की उम्मीद
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी जीत के बाद ही बोला है कि मैं गारंटी देता हूं कि भारतीय व्हाइट हाउस में बतौर राष्ट्रपति मुझसे बेहतर दोस्त नहीं पा सकते हैं। मैं भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी को काफी समय से जानता हूं, उनके नेतृत्व में भारत आगे बड़ रहा है। मैं अपनी दूसरी पारी में पीएम मोदी के साथ काम करने के लिए बेहद उत्सुक हूं।
ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मजबूत संबंधों का समर्थन करने की घोषणा की है और अमेरिका-भारत साझेदारी की सराहना की है, जो रक्षा सहयोग, मिलिट्री-टू-मिलिट्री एक्सचेंज और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ाने का संकेत देता है। साथ ही पारंपरिक ऊर्जा उद्योगों को समर्थन मिलेगा है, जिसमें तेल, गैस और कोयला क्षेत्र में कम विनियमन शामिल है।
फरवरी 2025 में हुई मोदी जी एवं डोनाल्ड ट्रम्प की द्विपक्षीय मीटिंग से दोनों देशों के संबंधों ,व्यापार आदि में निश्चित रूप से आगे आने वाले समय में अमेरिका-भारत साझेदारी और मजबूत होने की उम्मीद है। अभी वर्तमान में ट्रम्प ने जो ह्म्द्गष्द्बश्चह्म्शष्ड्डद्य ह्लड्डह्म्द्बद्घद्घ की बात की है , उससे व्यापार पर विपरीत प्रभाव भी पड़ेगा , शेयर मार्केट में बड़ी गिरावट भी हुई है। चिंता का विषय है।
निरन्तरता
भारतीय प्रवासियों का अभूतपूर्व योगदान अमेरिका के विकास के हर फील्ड में रहा है, 1960 और 1970 के दशक में पहली पीढ़ी के एक छोटे एवं अराजनैतिक समूह के आप्रवासियों से लेकर 21 वीं शताब्दी में अमेरिकी समाज का एक आर्थिक और सामाजिक रूप से सुस्थापित हिस्सा बनने तक क्योंकि समुदाय के सदस्य दोनों दलों के प्रमुख वित्तीय योगदानकर्ता बन गए हैं।
भारतीय अमेरिकियों की समृद्ध सभ्यता और सांस्कृतिक लोकाचार अमेरिकी ताने-बाने का हिस्सा बन गया है, जहाँ दोनों देश भारतीय प्रवासियों को एक-दूसरे के लिए लाभकर मानते हैं। भारत की संस्कृति का प्रसार करने में भारतीय प्रवासियों की भूमिका है और निरंतर रहेगी।
- प्रोफेसर एसपी गर्ग
मैनेजमेंट कन्सल्टेंट, ऑथर एंड थॉट लीडर, शिकागो (अमेरिका)