उत्पादक मंडियों में अब ज्यादा मसूर का स्टॉक नहीं है। नए सौदे कनाडा ऑस्ट्रेलिया के 15-20 डॉलर प्रति टन महंगे मिल रहे हैं, इन परिस्थितियों में नए माल आने से पहले कम से कम 250/300 रुपए की तेजी लग रही है। मसूर की बिजाई मध्य प्रदेश राजस्थान एवं यूपी में 90 प्रतिशत हो चुकी है, पिछेती बिजाई आगे 10 दिन और चलेगी, लेकिन वह आगे चलकर फसल पकने के समय में गर्म हवा से हल्की हो जाती है।
बीते सीजन में मसूर का उत्पादन मध्य प्रदेश के मुंगावली गंज बासौदा सागर भोपाल बीनागंज लाइन में सामान्य हुआ था, लेकिन पुराना स्टाक पूरी तरह समाप्त हो जाने से माल की शॉर्टेज है। कोटा बूंदी गोंडा बहराइच लाइन में छोटी मसूर आती है, कानपुर लाइन में भी कुछ माल आता है। इसके अलावा बिहार मोहनपुर चनपतिया फतुहा पटना लाइन में भी छोटी मसूर प्रचूर मात्रा में होता है, लेकिन अब घरेलू सभी क्षेत्रों की मसूर का स्टॉक ज्यादा नहीं बचा है। दूसरी ओर जो सस्ते सौदे कनाडा ऑस्ट्रेलिया के हो रहे थे, वह भी अब वहां महंगे बोलने लगे हैं। जो पहले के सौदे हैं, वही मुंदड़ा बंदरगाह पर उतर रहे हैं तथा बिकते जा रहे हैं। नई फसल आने में अभी पूरा ढाई महीने से ऊपर का समय बाकी है। यही कारण है कि जनवरी में आने वाला मुंदड़ा पोर्ट पर कनाडा का माल 5900 रुपए प्रति कुंतल के आसपास बोलने लगे हैं। वह 6350/6400 रुपए के आसपास यहां आकर पड़ेगा, जबकि उन मालों के भाव यहां 6130 के आसपास चल रहे हैं, इन परिस्थितियों में कनाडा की मसूर आगे चलकर भरपूर लाभ दे जाएगी तथा बिल्टी में जो महसूस 6600 के आसपास बिक रही है, उसके भाव भी 6800 को पार कर सकते हैं। बीते सीजन में 16 लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ है, लेकिन हमारी खपत 28 लाख मीट्रिक टन की है।अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पुराना माल इस बार नहीं बचा था, जो सितंबर-अक्टूबर में वहां नई फसल आई थी, वह भी काफी बिक चुकी है। दूसरी ओर पहले के चले कंटेनर बिके हुए हैं, वह बड़ी कंपनियों के माल है, जो बाजार में निकट भविष्य में बिकवाली में आने वाले नहीं हैं। गौरतलब है कि इसकी बिजाई राजस्थान इस बार वहां पर प्रतिकूल मौसम होने से बिजाई कम हुई है।
फलत: मुंदड़ा बड़ी कंपनियां और घटाकर बिक्री नहीं कर रही है, जिससे आने वाले समय में सस्ता माल मिलना मुश्किल हो जाएगा। अत: वर्तमान में जो मंदा आया हैं, इसमें व्यापार में कोई रिस्क नहीं लग रहा है।