गत सप्ताह नीचे वाले भाव में ग्राहकी निकलने से गेहूं में 50 रुपए प्रति क्विंटल की और तेजी आ गई, आटा मैदा सूजी भी तेज बोले गए। बारीक चावल भी 150/200 रुपए और महंगा हो गया, जबकि सभी तरह के कच्चे पक्के दाल दलहनों में लगातार थोक में मंदे का रुख बना रहा, जबकि रिटेलर पूर्व वाले ऊंचे भाव पर माल बेच रहे थे। आलोच्य सप्ताह मिल क्वालिटी गेहूं, मंडियों में आवक के दबाव से काफी नीचे आ गया। इसके प्रभाव से यहां भी 2700/2710 रुपए का व्यापार हो गया था, लेकिन इन भावों में रोलर फ्लोर मिलों एवं स्टॉकिस्टों की चौतरफा लिवाली चलने से पुन: बाजार बढक़र 2750/2760 रुपए प्रति कुंतल हो गया। अंतिम दिन आवक बढऩे से 20 रुपए नरम रहा। इधर आटा मैदा सूजी के भाव भी 30/40 और महंगा होकर क्रमश: 1540 रुपए, 1560 रुपए एवं 1660 रुपए प्रति 50 किलो हो गए। चोकर के भाव 20 रुपए बढक़र 1260/1270 रुपए प्रति 48 किलो हो गया। उक्त अवधि के अंतराल गेहूं की सरकारी खरीद 300 लाख मीट्रिक टन के आसपास पहुंच गई, जो गत वर्ष की तुलना में 16-17 प्रतिशत अधिक रही। इधर सभी तरह के बासमती चावल में भी मिलिंग पड़ता महंगा हो जाने तथा निर्यातकों की लिवाली से 150/200 रुपए बढक़र 1509 सेला 5850/5950 रुपए एवं स्टीम 6700/6800 रुपए एवं 1718 सेला चावल 6400/6500 रुपए प्रति कुंतल की ऊंचाई पर पर जा पहुंचे। हल्के में थोड़ा नीचे भी बिकने के समाचार थे। मोटे चावल में पूर्ववत भाव टिके रहे। दलहनों में उड़द दाल मिलों की मांग ठंडी पड़ जाने से 100/150 रुपए घटकर एसक्यू 8000/8025 तथा एफएक्यू 7325/7350 रुपए प्रति कुंतल रह गए। मूंग भी 200 गिरकर यहां 7400/8100 रुपए प्रति क्विंटल रह गई। मसूर भी बिल्टी में 6925 से घटकर 6825 रुपए प्रति कुंतल रह गई। विदेशी माल भी 6250/6275 पर आ गए। इधर तुवर भी ऊपर में लेमन क्वालिटी की 6400/6425 रुपए बिकने के बाद नीचे में 7025 रुपए रह गई थी, लेकिन नीचे भाव में दाल मिलों की मांग सुधरते ही 7150 रुपए हो गई, जबकि पक्के मालों में भरपूर मंदा रहा। देसी चना भी ग्राहकी कमजोर होने से 6050 रुपए से लुढक़ कर 5850 रुपए प्रति कुंतल लॉरेंस रोड पर रह गया। दाल भी 7000/7100 रुपए से घटकर एवरेज क्वालिटी के यहां 6800/6900 रुपए पर आ गई। बढिय़ा माल में भी 200 रुपए की गिरावट दर्ज की गई। राजमां चित्रा एवं काबुली चने में भी खामोशी लिए व्यापार हुए, जबकि मटर 200 रुपए गिरकर 3900 रुपए बनने के बाद सप्ताह में पुन: 4200 रुपए प्रति कुंतल हो गई, क्योंकि मई के बाद कस्टम ड्यूटी लगने की हवा जोरों पर महाराष्ट्र एमपी की मंडियों में उड़ गई थी। अन्य में मिला-जुला रुख रहा।