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09-08-2025

उधार पर सवार नई जेनरेशन!

  •  वर्ष 1990 से पहले जन्मे और मजबूरी में उधार लेने की सोच रखने वाले लोगों में से शायद अधिकतर ने अपने जीवन का पहला उधार 23-25 वर्ष की उम्र पार करने के बाद लिया होगा लेकिन इसके बाद की जेनरेशन 15-20 वर्ष की उम्र में ही उधार का स्वाद चखने लगी है। इकोनोमिक्स के एक्सपर्ट इस स्थिति को कैसा मानते है यह अलग से चर्चा का विषय है लेकिन Buy Now, Pay Later की सुविधा ने हर वह चीज लोगों की पहुंच में ला दी है जिन्हें खरीदने के लिए पहले कई महिनों या सालों तक प्लानिंग की जाती थी। सोशल मीडिया से चिपकी रहने वाली आज की जेनरेशन के दिमाग में हर समय कुछ न कुछ खरीदने या हासिल करने का जुनून छाया रहता है और कुछ दिनों तक कोई खर्चा न करने पर इन्हें बैचेनी होने लगती है मानों ऐसा न करके ये औरों से पीछे छूट गए हो। छोटी उम्र में उधार लेने और देने की आसानी ने खर्च के लेवल को बढ़ाने में सबसे अह्म रोल निभाया है जिसे बिना उधार की व्यवस्था में इस लेवल तक पहुंचने में कई वर्ष शायद और लग जाते। लोगों की जमा पूंजी तरह-तरह के उधार के रूप में ‘बाजारों’ में पहुंचने लगी है और मनी के एक हाथ से दूसरे हाथ में ट्रांसफर होने की बढ़ती स्पीड के पीछे उधार लेने की आजादी व आसानी का बड़ा रोल बन गया है। 100-200 रुपये से लेकर लाखों तक के प्रोडक्ट Buy Now Pay Later की सुविधा पर बिक रहे हैं जिन्हें खरीदने की संतुष्टि अलग ही तरह का सुकुन देती है पर इनके लिए लिया गया उधार लम्बे समय तक पीछा नहीं छोड़ता। छोटे-छोटे उधार लेने की शुरुआत जरूरी आइटमों की खरीद से होती है जिनके लिए पूरी कीमत एकसाथ चुकाने की क्षमता होने के बावजूद भी लोग Buy Now Pay Later की सुविधा का उपयोग इसलिए करते है ताकि एकसाथ खर्चा करने की बजाए खर्च को टुकड़ों में बांटा जा सके। हालांकि यह सुविधा ज्यादा दिनों तक फायदा इसलिए नहीं देती क्योंकि बाद में चुकाने की आसानी जरूरी से ज्यादा गैर-जरूरी आइटमों की खरीद को बढ़ावा देने लगती है और इंसान की इसी कमजोरी को कैश करने के लिए Buy Now Pay Later का हथियार बाजार व्यवस्था में उपयोग लिया जाता है।

    एक मोबाइल फोन बेचने वाले ने बताया कि स्कूल-कॉलेज में पढऩे वाले स्टूडेंट 1-1.5 लाख के मोबाइल फोन बड़ी आसानी से क्रेडिट कार्ड पर लोन की सुविधा लेकर खरीद लेते हैं जबकि उनके पास रेगुलर इनकम का कोई साधन नहीं होता जिससे वे लोन की किश्ते चुका सके। दिलचस्प बात यह है कि खाने के ऑनलाइन पैमेंट को भी कई लोग आजकल किश्तों में करने लगे हैं यानि 500 रुपये के खाने के बिल को लोग 100 रुपये महिने के हिसाब से 5 महिनों तक चुकाते रहते हैं। एक सर्वे में पता चला कि आसान उधार की सुविधा से लोग सबसे ज्यादा उन चीजों पर खर्च कर रहे हैं जिन्हें वे उधार की सुविधा न होने पर खरीदने की ओर ध्यान भी न देते। Buy Now Pay Later का उपयोग कारों के टॉयर खरीदने, ऑनलाइन शॉपिंग, घूमने-फिरने, हवाई टिकट, किराने का सामान, फर्नीचर, फिल्मों के टिकट जैसी ढेरों चीजों के लिए हो रहा है यानि देखा जाए तो पूरी कीमत चुकाकर अपनी हर खरीददारी करने वाले गिने-चुने लोग ही बाजारों में है, ऐसा लगने लगा है। कई इकोनोमिस्ट का मानना है कि Buy Now Pay Later की सुविधा उन्हीं लोगों को ज्यादा लुभाती है जो पहले से ही किसी न किसी तरह के फाइनेंशियल दबाव में होते है यानि उनकी जेब खर्च करने की इजाजत नहीं देती लेकिन फिर भी वे बाद में चुकाने के आकर्षण के कारण खर्च करने का निर्णय ले लेते है। Buy Now Pay Later की सुविधा के उपयोग में सावधानी न बरतने से भी लोग फाइनेंशियल दबाव में आ रहे हैं और ऐसे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। उधार के बारे में बुजुर्गों की राय सभी जानते है जो उधार से दूर रहने की सीख देते हैं लेकिन आजकल उधार की सवारी करने में नई जेनरेशन ने सभी सिद्धांतों को पीछे छोड़ दिया है जिसके अच्छे-बुरे परिणाम समय निकलने के साथ कई रूपों में सामने आने लगे हैं लेकिन ‘खर्च’ के माहौल में इनकी गंभीरता पर विचार करने का समय कोई नहीं निकाल पा रहा है।

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उधार पर सवार नई जेनरेशन!

 वर्ष 1990 से पहले जन्मे और मजबूरी में उधार लेने की सोच रखने वाले लोगों में से शायद अधिकतर ने अपने जीवन का पहला उधार 23-25 वर्ष की उम्र पार करने के बाद लिया होगा लेकिन इसके बाद की जेनरेशन 15-20 वर्ष की उम्र में ही उधार का स्वाद चखने लगी है। इकोनोमिक्स के एक्सपर्ट इस स्थिति को कैसा मानते है यह अलग से चर्चा का विषय है लेकिन Buy Now, Pay Later की सुविधा ने हर वह चीज लोगों की पहुंच में ला दी है जिन्हें खरीदने के लिए पहले कई महिनों या सालों तक प्लानिंग की जाती थी। सोशल मीडिया से चिपकी रहने वाली आज की जेनरेशन के दिमाग में हर समय कुछ न कुछ खरीदने या हासिल करने का जुनून छाया रहता है और कुछ दिनों तक कोई खर्चा न करने पर इन्हें बैचेनी होने लगती है मानों ऐसा न करके ये औरों से पीछे छूट गए हो। छोटी उम्र में उधार लेने और देने की आसानी ने खर्च के लेवल को बढ़ाने में सबसे अह्म रोल निभाया है जिसे बिना उधार की व्यवस्था में इस लेवल तक पहुंचने में कई वर्ष शायद और लग जाते। लोगों की जमा पूंजी तरह-तरह के उधार के रूप में ‘बाजारों’ में पहुंचने लगी है और मनी के एक हाथ से दूसरे हाथ में ट्रांसफर होने की बढ़ती स्पीड के पीछे उधार लेने की आजादी व आसानी का बड़ा रोल बन गया है। 100-200 रुपये से लेकर लाखों तक के प्रोडक्ट Buy Now Pay Later की सुविधा पर बिक रहे हैं जिन्हें खरीदने की संतुष्टि अलग ही तरह का सुकुन देती है पर इनके लिए लिया गया उधार लम्बे समय तक पीछा नहीं छोड़ता। छोटे-छोटे उधार लेने की शुरुआत जरूरी आइटमों की खरीद से होती है जिनके लिए पूरी कीमत एकसाथ चुकाने की क्षमता होने के बावजूद भी लोग Buy Now Pay Later की सुविधा का उपयोग इसलिए करते है ताकि एकसाथ खर्चा करने की बजाए खर्च को टुकड़ों में बांटा जा सके। हालांकि यह सुविधा ज्यादा दिनों तक फायदा इसलिए नहीं देती क्योंकि बाद में चुकाने की आसानी जरूरी से ज्यादा गैर-जरूरी आइटमों की खरीद को बढ़ावा देने लगती है और इंसान की इसी कमजोरी को कैश करने के लिए Buy Now Pay Later का हथियार बाजार व्यवस्था में उपयोग लिया जाता है।

एक मोबाइल फोन बेचने वाले ने बताया कि स्कूल-कॉलेज में पढऩे वाले स्टूडेंट 1-1.5 लाख के मोबाइल फोन बड़ी आसानी से क्रेडिट कार्ड पर लोन की सुविधा लेकर खरीद लेते हैं जबकि उनके पास रेगुलर इनकम का कोई साधन नहीं होता जिससे वे लोन की किश्ते चुका सके। दिलचस्प बात यह है कि खाने के ऑनलाइन पैमेंट को भी कई लोग आजकल किश्तों में करने लगे हैं यानि 500 रुपये के खाने के बिल को लोग 100 रुपये महिने के हिसाब से 5 महिनों तक चुकाते रहते हैं। एक सर्वे में पता चला कि आसान उधार की सुविधा से लोग सबसे ज्यादा उन चीजों पर खर्च कर रहे हैं जिन्हें वे उधार की सुविधा न होने पर खरीदने की ओर ध्यान भी न देते। Buy Now Pay Later का उपयोग कारों के टॉयर खरीदने, ऑनलाइन शॉपिंग, घूमने-फिरने, हवाई टिकट, किराने का सामान, फर्नीचर, फिल्मों के टिकट जैसी ढेरों चीजों के लिए हो रहा है यानि देखा जाए तो पूरी कीमत चुकाकर अपनी हर खरीददारी करने वाले गिने-चुने लोग ही बाजारों में है, ऐसा लगने लगा है। कई इकोनोमिस्ट का मानना है कि Buy Now Pay Later की सुविधा उन्हीं लोगों को ज्यादा लुभाती है जो पहले से ही किसी न किसी तरह के फाइनेंशियल दबाव में होते है यानि उनकी जेब खर्च करने की इजाजत नहीं देती लेकिन फिर भी वे बाद में चुकाने के आकर्षण के कारण खर्च करने का निर्णय ले लेते है। Buy Now Pay Later की सुविधा के उपयोग में सावधानी न बरतने से भी लोग फाइनेंशियल दबाव में आ रहे हैं और ऐसे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। उधार के बारे में बुजुर्गों की राय सभी जानते है जो उधार से दूर रहने की सीख देते हैं लेकिन आजकल उधार की सवारी करने में नई जेनरेशन ने सभी सिद्धांतों को पीछे छोड़ दिया है जिसके अच्छे-बुरे परिणाम समय निकलने के साथ कई रूपों में सामने आने लगे हैं लेकिन ‘खर्च’ के माहौल में इनकी गंभीरता पर विचार करने का समय कोई नहीं निकाल पा रहा है।


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