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17-07-2025

इंफ्लेशन नहीं डिफ्लेशन: 19 महीनों बाद निगेटिव जोन में पहुंची महंगाई दर

  •  थोक मूल्य सूचकांक (होलसेल प्राइस इंडेक्स) पर आधारित थोक महंगाई दर जून 2025 में गिरकर 19 महीनों के बाद निगेटिव जोन में पहुंच गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जून में हेडलाइन महंगाई दर -0.13 परसेंट (जीरो से कम) दर्ज की गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार जून 2025 में महंगाई दर में गिरावट का मुख्य कारण फूड आइटम्स, मीनरल ऑइल, बेसिक मेटल्स, क्रूड पेट्रोलियम और नेचरल गैस की कीमतों में गिरावट है। मई में थोक महंगाई दर 0.39 परसेंट थी, जबकि जून 2024 में यह 3.43 परसेंट थी। आंकड़ों के अनुसार फूड आइटम्स में जून में 3.75 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई, जबकि मई में यह गिरावट 1.56 परसेंट थी। हालांकि आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी खुदरा महंगाई दर (रिटेल इंफ्लेशन) के आधार पर तय करता है। आरबीआई ने पिछले महीने महंगाई में नरमी के चलते नीतिगत ब्याज दरों को 0.50 परसेंट घटाकर 5.50 परसेंट कर दिया था। आईसीआरए के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि जून में थोक महंगाई दर में गिरावट मुख्यत: फूड आइटम्स  की कीमतें घटने के कारण आई। नॉन-फूड आइटम्स में भी फ्यूल और एनर्जी क्षेत्र में गिरावट तेज हुई। जुलाई 2025 में अब तक फूड आइटम्स की मौसमी कीमतों में जो सामान्य बढ़ोतरी होनी चाहिए थी, वह भी सीमित रही है, जिससे यह उम्मीद है कि खाद्य क्षेत्र की मुद्रास्फीति डिफ्लेशन (निगेटिव जोन) में ही बनी रहेगी। जून 2025 में जो कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें तेजी पर थीं उनमें भी तनाव कम होने के चलते जुलाई में कुछ हद तक कमी आई है। साथ ही रुपया-डॉलर की एक्सचेंज रेट्स में कमी आई है। 

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इंफ्लेशन नहीं डिफ्लेशन: 19 महीनों बाद निगेटिव जोन में पहुंची महंगाई दर

 थोक मूल्य सूचकांक (होलसेल प्राइस इंडेक्स) पर आधारित थोक महंगाई दर जून 2025 में गिरकर 19 महीनों के बाद निगेटिव जोन में पहुंच गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जून में हेडलाइन महंगाई दर -0.13 परसेंट (जीरो से कम) दर्ज की गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार जून 2025 में महंगाई दर में गिरावट का मुख्य कारण फूड आइटम्स, मीनरल ऑइल, बेसिक मेटल्स, क्रूड पेट्रोलियम और नेचरल गैस की कीमतों में गिरावट है। मई में थोक महंगाई दर 0.39 परसेंट थी, जबकि जून 2024 में यह 3.43 परसेंट थी। आंकड़ों के अनुसार फूड आइटम्स में जून में 3.75 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई, जबकि मई में यह गिरावट 1.56 परसेंट थी। हालांकि आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी खुदरा महंगाई दर (रिटेल इंफ्लेशन) के आधार पर तय करता है। आरबीआई ने पिछले महीने महंगाई में नरमी के चलते नीतिगत ब्याज दरों को 0.50 परसेंट घटाकर 5.50 परसेंट कर दिया था। आईसीआरए के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि जून में थोक महंगाई दर में गिरावट मुख्यत: फूड आइटम्स  की कीमतें घटने के कारण आई। नॉन-फूड आइटम्स में भी फ्यूल और एनर्जी क्षेत्र में गिरावट तेज हुई। जुलाई 2025 में अब तक फूड आइटम्स की मौसमी कीमतों में जो सामान्य बढ़ोतरी होनी चाहिए थी, वह भी सीमित रही है, जिससे यह उम्मीद है कि खाद्य क्षेत्र की मुद्रास्फीति डिफ्लेशन (निगेटिव जोन) में ही बनी रहेगी। जून 2025 में जो कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें तेजी पर थीं उनमें भी तनाव कम होने के चलते जुलाई में कुछ हद तक कमी आई है। साथ ही रुपया-डॉलर की एक्सचेंज रेट्स में कमी आई है। 


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