भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसी यानी कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक को-ऑपरेशन) के दूसरी चरण की बातचीत में डेयरी और वाइन पर टैरिफ को लेकर गतिरोध बन गया है। भारत ने ऑस्ट्रेलिया की मांग को ठुकरा दिया है जिसमें वह डेयरी और वाइन उत्पादों पर और अधिक टैरिफ कटौती चाहता है। इससे साल के आखिर तक डील होने की संभावना कमजोर हो गई है। वर्ष 2022 में दोनों देशों के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौता हुआ था, जिसमें कुछ उत्पादों पर टैरिफ घटाए गए थे। लेकिन व्यापक समझौते के लिए वार्ताएं अब धीमी पड़ गई हैं। भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, भारत के लिए डेयरी और कृषि उत्पाद बेहद संवेदनशील हैं, और इन पर किसी भी तरह की अतिरिक्त रियायत राजनीतिक रूप से मुश्किल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात और महाराष्ट्र जैसे अंगूर उत्पादक क्षेत्रों से किसान समूह और शराब उद्योग भी इन रियायतों का कड़ा विरोध कर रहे हैं। भारत का तर्क है कि इन रियायतों से देश के करोड़ों किसानों और वाइन उद्योग को नुकसान हो सकता है। अंतरिम समझौते के तहत, ऑस्ट्रेलियाई वाइन पर इंपोर्ट टैरिफ में चरणबद्ध कटौती का प्रावधान किया गया था। उदाहरण के लिए 5 डॉलर से अधिक कीमत वाली वाइन पर टैरिफ 150 परसेंट से घटाकर 100' किया गया और भविष्य में इसे 50' तक लाने का लक्ष्य है। वहीं 15 डॉलर से ऊपर की वाइन के लिए टैरिफ को 75' किया गया, जिसे 10 वर्ष में 25' तक लाया जा सकता है। इन कटौतियों को और तेज किया जाए और डेयरी उत्पादों जैसे चीज, हाई-प्रोटीन व्हे, लैक्टोज आदि पर भी टैरिफ को घटाया जाए। ऑस्ट्रेलिया के वाइन और डेयरी उद्योगों का कहना है कि भारतीय बाजार में संभावनाएं हैं, लेकिन मौजूदा टैरिफ बहुत अधिक हैं।