गर्मा-गर्म खबर है कि भारत की ग्रीन एनर्जी इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 243 गीगावॉट हो गई है। यानी देश की कुल इंस्टॉल्ड एनर्जी जेनरेशन की 485 गीगावॉट कैपेसिटी में ग्रीन का शेयर 50% हो गया है। भारत सरकार ने पेरिस एग्रीमेंट के तहत 2030 तक यह टार्गेट रखा था। भारत जैसे एलीफेंट वॉक (हाथी की तरह मस्त चाल वाले) देश के लिए टार्गेट पांच साल पहले अचीव हो जाना मामूली बात नहीं है। सरकार पूरा एनर्जी मिक्स बदलने पर बड़ा इंवेस्टमेंट कर रही है और सोलर, विंड, हाइड्रो, न्यूक्लियर और ग्रीन हाइड्रोजन मिलाकर 2030 तक 500 गीगावॉट कैपेसिटी खड़ी करना चाहती है। एक ओर भारत सरकार क्लीन एंड ग्रीन एनर्जी पर 2030 तक 360 से 400 बिलियन डॉलर (29 से 33 लाख करोड़ रुपये) का बड़ा इंवेस्टमेंट प्लान हाथ में लेकर चल रही है। लेकिन तेल उत्पादन करने वाले देशों के गुट ओपेक ने वल्र्ड ऑयल आउटलुक 2025 रिपोर्ट में कुछ और ही कहानी सामने रखी है। रिपोर्ट कहती है कि भारत की ऊर्जा जरूरतों में अब तक कोयले की प्रमुख भूमिका रही है, लेकिन 2050 तक कोयले को तेल रिप्लेस कर सकता है। वर्ष 2024 में भारत की 45.8 परसेंट एनर्जी डिमांड कोयले से पूरी हुई थी जो 2050 तक घटकर लगभग 29.6 परसेंट रह जाएगी। वहीं, तेल का शेयर इस दौरान 25.6 परसेंट से बढक़र 31.1 परसेंट हो जाएगा। गैस का शेयर भी अभी के 5.6' से बढक़र 2050 तक 11.6 परसेंट हो जाने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक ऑइल और गैस मिलकर भारत की 42.7% एनर्जी डिमांड को पूरा करेंगे। इसका सीधा अर्थ है कि भारत में ऑइल की पीक डिमांड 2050 और कोयले की पीक डिमांड 2045 के आसपास होगी। ओपेक ने कहा है कि भारत की एनर्जी की डिमांड 2024 से 2050 तक दोगुनी होकर 43.6 मिले बैरल ऑयल समतुल्य प्रतिदिन (mboe/d प्रति दिन हजार (मिले यानी लेटिन में हजार) बैरल तेल समकक्ष) तक पहुंच सकती है और 21.6 mboe/d की ग्रोथ के साथ भारत ग्लोबल एनर्जी डिमांड में सबसे ज्यादा योगदान देने वाला देश बन जाएगा। ओपेक के अनुसार भारत में ऑइल डिमांड 2024 में 5.5 mboe/d से बढक़र 2050 तक 13.6 mboe/d तक पहुंच सकती है। इसी तरह नैचुरल गैस की डिमांड भी 2024 में 1.2 mboe/d से बढक़र 2050 तक 5.1 mboe/d तक पहुंचने की संभावना है। रिपोर्ट कहती है कि 2030 तक एनर्जी मिक्स में 15% नैचुरल गैस का भारत सरकार का टार्गेट हासिल होना मुश्किल है। भारत उन गिने-चुने देशों में से एक है जहां आने वाले वर्षों में कोयले की मांग बढ़ सकती है। 2024 में 10.1 mboe/d रही कोयले की मांग 2045 में 13.2 mboe/d के पीक पर पहुंचने के बाद 2050 में 12.9 mboe/d रह सकती है।

