अरबपति उद्योगपति अनिल अग्रवाल की खनन कंपनी वेदांता लिमिटेड द्वारा सत्तारूढ़ इंडियन जनता पार्टी (भाजपा) को चंदा राशि 2024-25 में चार गुना होकर 97 करोड़ रुपये रही है। कंपनी की ताजा वार्षिक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में कुल 157 करोड़ रुपये का राजनीतिक चंदा दिया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 97 करोड़ रुपये था। रिपोर्ट के अनुसार, एक तरह जहां भाजपा को दिया गया चंदा चार गुना हो गया, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को चंदा घटकर सिर्फ 10 करोड़ रुपये रह गया। बीते वित्त वर्ष में कंपनी ने इंडियन जनता पार्टी को 97 करोड़ रुपये का चंदा दिया। यह राशि 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष में सिर्फ 26 करोड़ रुपये थी। बीते वित्त वर्ष में कंपनी ने बीजू जनता दल को 25 करोड़ रुपये (इससे पिछले वित्त वर्ष में 15 करोड़ रुपये), झारखंड मुक्ति मोर्चा को 20 करोड़ रुपये (इससे पिछले वित्त वर्ष में पांच करोड़ रुपये) और कांग्रेस को 10 करोड़ रुपये (पिछले वित्त वर्ष में भी 49 करोड़ रुपये) का चंदा दिया। वेदांता राजनीतिक दलों को चंदा देने के मामले में सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। वित्त वर्ष 2022-23 में इसने राजनीतिक दलों को कुल 155 करोड़ रुपये और 2021-22 में 123 करोड़ रुपये का चंदा दिया था। फर्जी राजनीतिक चंदा : 200 स्थानों पर इनकम टेक्स की छापेमारी : आयकर विभाग ने 14 जुलाई को फर्जी आयकर कटौती दावों के खिलाफ देशव्यापी छापेमारी अभियान शुरू किया है। ये छापे उन व्यक्तियों और संस्थाओं पर पड़े हैं जो राजनीतिक चंदा (धारा 80जीसीसी), हेल्थ इंश्योरेंस, ट्यूशन फीस, और कुछ तरह के लोन पर पर फर्जी कटौती दिखाकर कर आयकर की चोरी कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, धारा 80जीसीसी के अंतर्गत किए गए राजनीतिक दान पर कटौती का दावा करने वाले कई करदाता फर्जी बिल और पंजीकरण रहित राजनीतिक दलों का उपयोग कर गलत तरीके से टेक्स छूट ली जा रही थी। इस अभियान के तहत 200 से अधिक स्थानों को जांच के दायरे में लिया गया है। इसमें टेक्सपेयर, अकाउंटेंट), और अन्य बिचौलिए शामिल हैं, जो फर्जी दस्तावेज तैयार करके व्यक्तियों को कर चोरी में मदद कर रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, यह कार्रवाई विभाग की नज पहल के बावजूद की गई है। नज पहल ‘विश्वास पहले, कार्रवाई बाद में’ के सिद्धांत पर आधारित है और करदाताओं को स्वेच्छा से सही रिटर्न भरने के लिए प्रेरित करती है। इस पहल के तहत संदिग्ध दावों की पहचान डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से की जाती है, और करदाताओं को दंड के बिना सुधार करने का अवसर दिया जाता है। हालांकि, अधिकारियों ने पाया कि कई करदाताओं ने विभाग की चेतावनियों के बावजूद अपना आईटीआर अपडेट नहीं किया और झूठे दावों को बरकरार रखा। विभाग के अनुसार, विशेष रूप से धारा 80जीसीसी के अंतर्गत बड़े पैमाने पर फर्जी दावों के कारण यह सख्त कार्रवाई आवश्यक हो गई थी। जांच अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी और विभाग एजेंटों और लाभार्थियों के नेटवर्क की परतें खोलने में जुटा है।