असम सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए स्पष्ट किया है कि अब राज्य के किसी भी निजी अस्पताल को किसी मृतक मरीज का शव, इलाज का बिल बकाया होने की स्थिति में भी, मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के दो घंटे से अधिक समय तक रखने की अनुमति नहीं होगी। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पिछले सप्ताह एक कैबिनेट बैठक के बाद यह घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा, निजी अस्पतालों द्वारा शव को रोके रखने की अनुमति नहीं होगी। उन्हें मृत्यु प्रमाणन के दो घंटे के भीतर शव परिजनों को सौंपना अनिवार्य होगा, चाहे भुगतान बकाया हो या नहीं। इससे अधिक देरी होने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने इसके लिए 24&7 टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 104 की भी घोषणा की है, जहां पीडि़त परिवार अस्पताल द्वारा शव न सौंपे जाने की शिकायत कर सकेंगे। मुख्यमंत्री के अनुसार, शिकायत मिलते ही मामला जिला स्वास्थ्य अधिकारी, स्थानीय पुलिस और अस्पताल शिकायत प्रकोष्ठ को भेजा जाएगा। यदि शिकायत सही पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारी मौके पर जाकर शव की रिहाई सुनिश्चित करेंगे और दोषियों पर कानूनी कार्रवाई भी शुरू करेंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि यदि कोई अस्पताल दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ तीन से छह महीने तक लाइसेंस निलंबन, पांच लाख रुपये तक का जुर्माना, और ऐसी ही घटना फिर दोहराने पर स्थायी रूप से रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह भी कहा कि कैबिनेट ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) और नियामक दिशानिर्देशों के एक मसौदे को मंजूरी दी है, जो निजी नर्सिंग होम द्वारा किए जा रहे जबरदस्ती वसूली जैसे अनुचित व्यवहार को रोकने के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की सूचना चार घंटे के भीतर पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारियों को दी जानी चाहिए।