उद्योग निकाय आईएसएसडीए ने कहा कि भारत कम लागत वाले इस्पात आयात के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाएगा क्योंकि अमेरिका के शुल्क लगाने से प्रभावित देश अपनी खेप को घरेलू बाजार में भेज सकते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी उत्पादों पर वैश्विक स्तर पर लगाए गए ‘उच्च’ शुल्क के जवाब में लगभग 60 देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की। भारत के लिए, अमेरिका ने 27 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा करते हुए कहा है कि वह अमेरिकी वस्तुओं पर उच्च आयात शुल्क लगाता है। अमेरिका ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य देश के व्यापार घाटे को कम करना और विनिर्माण को बढ़ावा देना है। हालांकि, वाहन और वाहन कलपुर्जा तथा इस्पात एवं एल्युमीनियम की वस्तुएं पहले से ही धारा 232 के तहत 25 पर्सेंट शुल्क के अधीन हैं और ये वस्तुएं नवीनतम आदेश में शामिल नहीं हैं। इन पर शुल्क लगाने की घोषणा ट्रंप के 26 मार्च, 2025 के आदेश में की गई थी। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय स्टेनलेस स्टील विकास संघ (आईएसएसडीए) ने कहा कि अमेरिका को (स्टेनलेस स्टील) निर्यात की कुल मात्रा मामूली बनी हुई है, जिससे भारत के स्टेनलेस स्टील क्षेत्र पर जवाबी शुल्क का प्रत्यक्ष प्रभाव सीमित हो रहा है। आईएसएसडीए के अध्यक्ष राजमणि कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘हालांकि, बड़ी चिंता ऐसी नीतियों से उत्पन्न संभावित व्यापार विचलन को लेकर है। अमेरिकी शुल्क का सामना करने वाले देश अपने निर्यात का रुख भारत की ओर कर सकते हैं, जिससे कम लागत वाले आयात की बाढ़ आ सकती है।’ उन्होंने कहा कि इससे घरेलू उत्पादकों के लिए गंभीर चुनौती उत्पन्न हो गई है तथा भारतीय स्टेनलेस स्टील उद्योग की स्थिरता और वृद्धि को खतरा पैदा हो गया है।