यूरोपीय संघ में 2026 से टेक्सटाइल कैटेगरी के लिए डिजिटल प्रोडक्ट पासपोर्ट (डीपीपी) अनिवार्य हो जाएगा। डिजिटल प्रोडक्ट पासपोर्ट से किसी प्रोडक्ट के रॉ मैटीरियल, कंट्री ऑफ ओरिजिन और उसे बनाने में पड़े पर्यावरणीय प्रभाव का पूरा रिकॉर्ड मिल जाएगा। ग्लोबल कंसल्टेंसी बेन एंड कंपनी और ई-रिटेल प्लेटफॉर्म ईबे की रिपोर्ट के अनुसार 90 परसेंट ब्रांड्स का मानना है कि इससे अनावश्यक कंप्लायंस का बोझ बढ़ेगा। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे सेकंड हैंड गुड्स की लाइफटाइम वैल्यू दोगुनी हो जाएगी और रीसेल मार्केट में कमाई के नए मौके मिलेंगे। वर्तमान में सैकंड हैंड गुड्स का मार्केट 230 बिलियन डॉलर का है जो ग्लोबल अपैरल मार्केट का तीन गुना है। बेन एंड कंपनी के एरन चेरिस कहते हैं कि डीपीपी केवल एक टिक मार्क भर नहीं है बल्कि इससे किसी प्रोडक्ट के पूरे लाइफसाइकल में वैल्यू क्रिएशन और कलेक्शन तय होगा। जो ब्रांड पहल करेंगे वे कंज्यूमर के साथ डेटा-बेस्ड डायरेक्ट रिलेशन बना सकेंगे और रीसेल ट्रेंड्स के मुताबिक सर्विस को कस्टमाइज या पर्सनैलाइज कर सकेंगे। 2024 में लागू हुए ईयू के ईकोडिजाइन फॉर सस्टेनेबल प्रोडक्ट्स रेग्युलेशन (ईएसपीआर) के तहत सभी ब्रांड्स को ईको-फ्रेंडली डिजाइन और ट्रेसेबिलिटी अपनानी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक यदि किसी फैशन आइटम की वर्तमान सैलिंग प्राइस 500 पाउंड है तो डिजिटल पासपोर्ट के जरिये यह आइटम अपनी रीसेल और सर्विस वैल्यू के साथ 500 पाउंड ज्यादा जेनरेट कर सकती है, इस तरह उसकी लाइफटाइम वैल्यू दोगुनी हो जाएगी। लक्जरी ब्रांड्स पहले से ही इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। ऑरा ब्लॉकचेन कंसोर्टियम, जो प्राडा ग्रुप (इटली), एलवीएमएच (फ्रांस) और कार्टियर (रिचमोंट) की पार्टनरशिप से शुरू हुआ, में 50 से अधिक लक्जरी ब्रांड्स शामिल हैं। फ्रेंच फैशन हाउस क्लो ने 2023 में 100 परसेंट ट्रेसेबल कलेक्शन क्लो वर्टिकल लॉन्च किया है। वहीं, ललीक (फ्रेंच क्रिस्टल ब्रांड) और टॉड्स (इटालियन फैशन लेबल) जैसे अन्य ब्रांड भी डिजिटल आईडी में इनोवेशन कर रहे हैं।