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14-07-2025

भारत की लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री 3-5 वर्षों में 10-12 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी : रिपोर्ट

  •  भारतीय लाइफ इंश्योरेंस उद्योग ने संशोधित सरेंडर वैल्यू नियमों, कम क्रेडिट लाइफ सेल्स और ग्रुप सिंगल प्रीमियम के प्रभाव के बीच जून में 41,117.1 करोड़ रुपए के नए बिजनेस प्रीमियम रजिस्टर किए। यह जानकारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई। केयरएज रेटिंग्स को उम्मीद है कि लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री अगले तीन से पांच वर्षों में 10-12 प्रतिशत की दर से बढ़ती रहेगी , जो प्रोडक्ट इनोवेशन के साथ-साथ सहायक नियमों, तेज डिजिटलीकरण, प्रभावी वितरण और बेहतर ग्राहक सेवाओं के कारण संभव होगा। जून में, एनुअल प्रीमियम इक्विवेलेंट (एपीई) में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुई 20.0 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में धीमी वृद्धि दर है। रिपोर्ट के अनुसार, एपीई के संदर्भ में, इंडस्ट्री जून 2023 और जून 2025 के बीच 11.0 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ी। इस अवधि के दौरान, निजी बीमा कंपनियों की वृद्धि दर 15.4 प्रतिशत रही। केयरएज रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर सौरभ भालेराव ने कहा, पहली तिमाही आमतौर पर लाइफ इंश्योरेंस क्षेत्र के लिए एक धीमी अवधि होती है, क्योंकि यह वित्त वर्ष के अंत के बाद आती है, जब अधिकांश रिटेल कस्टमर आखिरी समय में जल्दबाजी में पॉलिसी खरीद चुके होते हैं। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में तिमाही आधार पर वृद्धि 4.3 प्रतिशत रही है, जबकि एक वर्ष पहले इसी तिमाही में 22.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इसका मुख्य कारण उपभोक्ता मांग में कमी और संशोधित सरेंडर वैल्यू दिशानिर्देशों का प्रभाव रहा। भालेराव ने कहा कि एलआईसी और निजी कंपनियों ने इंडिविजुअल सिंगल और नॉन-सिंगल प्रीमियम में प्रीमियम वृद्धि दर्ज की है, जो दर्शाता है कि उनके पास एक मजबूत वितरण चैनल है और सरेंडर वैल्यू नियमों में बदलाव के बीच वे उच्च मूल्य वाली पॉलिसियों की ओर बढ़ रहे हैं। व्यक्तिगत और वार्षिक समूह व्यवसाय ने इस महीने की वृद्धि को गति दी है। बैंकों द्वारा जमा राशि एकत्र करने पर ध्यान केंद्रित करने से एजेंसी चैनल पर अधिक जोर दिए जाने की संभावना है। केयरएज रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक संजय अग्रवाल ने कहा, इसके अलावा, प्रस्तावित बीमा संशोधन अधिनियम का उद्देश्य नई कंपनियों को बाजार में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित कर बाजार में पेनिट्रेशन बढ़ाना है।

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भारत की लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री 3-5 वर्षों में 10-12 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी : रिपोर्ट

 भारतीय लाइफ इंश्योरेंस उद्योग ने संशोधित सरेंडर वैल्यू नियमों, कम क्रेडिट लाइफ सेल्स और ग्रुप सिंगल प्रीमियम के प्रभाव के बीच जून में 41,117.1 करोड़ रुपए के नए बिजनेस प्रीमियम रजिस्टर किए। यह जानकारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई। केयरएज रेटिंग्स को उम्मीद है कि लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री अगले तीन से पांच वर्षों में 10-12 प्रतिशत की दर से बढ़ती रहेगी , जो प्रोडक्ट इनोवेशन के साथ-साथ सहायक नियमों, तेज डिजिटलीकरण, प्रभावी वितरण और बेहतर ग्राहक सेवाओं के कारण संभव होगा। जून में, एनुअल प्रीमियम इक्विवेलेंट (एपीई) में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुई 20.0 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में धीमी वृद्धि दर है। रिपोर्ट के अनुसार, एपीई के संदर्भ में, इंडस्ट्री जून 2023 और जून 2025 के बीच 11.0 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ी। इस अवधि के दौरान, निजी बीमा कंपनियों की वृद्धि दर 15.4 प्रतिशत रही। केयरएज रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर सौरभ भालेराव ने कहा, पहली तिमाही आमतौर पर लाइफ इंश्योरेंस क्षेत्र के लिए एक धीमी अवधि होती है, क्योंकि यह वित्त वर्ष के अंत के बाद आती है, जब अधिकांश रिटेल कस्टमर आखिरी समय में जल्दबाजी में पॉलिसी खरीद चुके होते हैं। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में तिमाही आधार पर वृद्धि 4.3 प्रतिशत रही है, जबकि एक वर्ष पहले इसी तिमाही में 22.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इसका मुख्य कारण उपभोक्ता मांग में कमी और संशोधित सरेंडर वैल्यू दिशानिर्देशों का प्रभाव रहा। भालेराव ने कहा कि एलआईसी और निजी कंपनियों ने इंडिविजुअल सिंगल और नॉन-सिंगल प्रीमियम में प्रीमियम वृद्धि दर्ज की है, जो दर्शाता है कि उनके पास एक मजबूत वितरण चैनल है और सरेंडर वैल्यू नियमों में बदलाव के बीच वे उच्च मूल्य वाली पॉलिसियों की ओर बढ़ रहे हैं। व्यक्तिगत और वार्षिक समूह व्यवसाय ने इस महीने की वृद्धि को गति दी है। बैंकों द्वारा जमा राशि एकत्र करने पर ध्यान केंद्रित करने से एजेंसी चैनल पर अधिक जोर दिए जाने की संभावना है। केयरएज रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक संजय अग्रवाल ने कहा, इसके अलावा, प्रस्तावित बीमा संशोधन अधिनियम का उद्देश्य नई कंपनियों को बाजार में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित कर बाजार में पेनिट्रेशन बढ़ाना है।


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