मार्केटिंग व कंज्यूमर बिहेवियर में महाराथ रखने वाले यह तो जानते है कि कस्टमर का स्वागत करना चाहिए व उस तक यह संदेश पहुंचे कि उसके आने से खुशी हुई है लेकिन ऐसा कर पाने की स्किल बहुत कम लोग सीख पाते हैं जिसमें कस्टमर का स्वागत करते समय कही गई बात सीधे कस्टमर के दिल को छू जाए। पूरी दुनिया में कस्टमर का स्वागत करने के ढेरों तरीके व तरकीबे काम में ली जाती है जिसके पीछे एकमात्र उद्देश्य उससे ज्यादा खर्च करवाने का होता है लेकिन कई कस्टमरों का अनुभव बताता है कि वे बार-बार एक ही जगह से खरीददारी करना इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उस जगह के स्टाफ या मालिक के व्यवहार में अपनेपन की फीलिंग होती है जिसके आकर्षण के कारण वे वहीं से खरीददारी करते हैं। जयपुर में एक रिटेल स्टोर पर काउंटर पर बैठा मालिक बिल बनाते-बनाते कस्टमर से बार-बार पूछता रहता है कि वह उसके लिए और क्या कर सकता है। उसका धीरे से मुस्कुराते हुए पूछने का यह तरीका कई कस्टमरों का दिल जीत चुका है जो बरसों से उसके स्टोर से ही खरीददारी कर रहे हैं व कभी भी प्राइस की ओर ध्यान नहीं देते क्योंकि उनका भरोसा स्टोर मालिक के व्यवहार के कारण इतना पक्का हो चुका है कि उन्हें और किसी बारे में सोचने की जरूरत ही महसूस नहीं होती। भाषा व बातचीत में कोई भी नयापन जिसपर लोगों का ध्यान जाने लगता है वह पापुलर हो जाता है या उसे लोग पसंद करने लगते हैं। अपने कस्टमरों से बातचीत करते समय कुछ अलग पर मजबूत रिश्ता बनाने वाला व्यवहार करने वाले कारोबारी हर शहर या कस्बे में मिल जाएंगे जो एक-दो ऐसे वाक्य बोलने में माहिर होते हैं जिससे कस्टमर को अच्छी फीलिंग होती है। दिलचस्प बात यह है कि यह महारथ न तो उन्होंने कही से सीखी होती है और न ही इसकी ट्रेनिंग ली होती है बल्कि यह उनकी नेचुरल स्किल ही कही जा सकती है। अमेरिका में कोविड संकट यानि वर्ष 2020 के बाद कस्टमर का Welcome की जगह Welcome in कहकर स्वागत करने का ऐसा दीवानापन छाया हुआ है कि कॉफी शॉप, योगा क्लास, क्लिनिक, रिटेल स्टोर जैसी कई जगहों पर इसका उपयोग किया जाने लगा है और पहले यह सुनकर चिडऩे वाले कस्टमर अब इसे पसंद करने लगे हैं। कारोबारियों के लिए यह समझना जरूरी है कि कस्टमर के साथ बातचीत यूं ही नहीं की जा सकती क्योंकि कस्टमर के साथ की जाने वाली बातचीत उसे फिर से आने व ज्यादा खर्चा करने के लिए तैयार करने का महत्वपूर्ण जरिया होती है। जहां पैसों के लेन-देन की बात हो वहां अपनी विनम्रता, व्यवहार व बातचीत से लाखों-करोड़ों की डील बिना आपस में मिले या फोन पर मिनटों में करने में कई कारोबारी सफल हो जाते हैं जो कोई कम बात नहीं है। किसी रेस्टोरेंट में अगर ऑर्डर लेने वाला सीधे ही पूछ ले कि आपका क्या ऑर्डर है या पहले अपने रेस्टोरेंट की स्पेशल डिश के बारे में बताए व कुछ सुझाव देकर पूछे कि क्या आप यह डिश ञ्जह्म्4 करना चाहेंगे तो शायद वह कस्टमर का ध्यान अपनी ओर ज्यादा खींच पाएगा। कुछ होशियर कारोबारी अगर कहीं और ऐसी आकर्षक बातें सुनते हैं जिन्होंने उनका ध्यान खींचा हो तो वे उन्हें नोट कर लेते हैं व खुद अपने कस्टमर से बातचीत में उनका उपयोग करने लगते हैं जिसका परिणाम उन्हें अच्छा ही मिलता है। कॉर्पोरेट दुनिया में, रिटेल में, माल में, मंडी में यानि हर सेक्टर व बाजार में कस्टमर से डील करने की भाषा व तरीका अलग-अलग है पर अपने व्यवहार व बातचीत से माल बेचने की स्किल रखने वालों की संख्या हमेशा बहुत कम ही रहती है। एक व्यक्ति ने बताया कि कई जगह स्टाफ व खुद मालिक इतना गंभीर व गुस्से में रहता है कि उन्हें देखकर ही वहां जाने का मन नहीं करता। इसके अनुसार मुस्कराते हुए चेहरे में कस्टमर को खींचकर लाने की पॉवर होती है जो नेचर का इंसान को दिया अमूल्य वरदान है पर अफसोस की बात है कि कई परिस्थितियों से जूझते लोग इसका उपयोग नहीं कर पाते। कस्टमर का अच्छा स्वागत व अपनेपन वाला व्यवहार उनके पर्स को खोलने की पॉवर रखता है इसमें कोई दोराय नहीं है पर जरूरत इसमें महारथ हासिल करने की है जो टेक्नोलॉजी की नई दुनिया में बिजी हो चुके लोगों के लिए करना दिनों-दिन मुश्किल होता जा रहा है।