नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने आईपीओ का रास्ता साफ करने के लिए सेबी के साथ चल रहे पुराने विवाद को खत्म करने के लिए 1388 करोड़ रुपये का जुर्माना चुकाने का प्रपोजल दिया है। एनएसई जो कि दुनिया का सबसे व्यस्त डेरिवेटिव्स एक्सचेंज भी है, का वर्ष 2019 से सेबी के साथ विवाद चल रहा है। सेबी ने सभी ट्रेडिंग सदस्यों को एक समान एक्सैस नहीं देने का आरोप लगाते हुए एनएसई पर 11 अरब रुपये का जुर्माना लगाया गया। इस विवाद के चलते एनएसई का आईपीओ लगातार टलता रहा। अब इस विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने की बातचीत चल रही है। सूत्रों के अनुसार एनएसई को तीन महीनों में आईपीओ की मंजूरी मिल सकती है, और मई 2026 से पहले आईपीओ आ सकता है। कुछ बड़े इंवेस्टर्स को एक्जिट का रास्ता देने के लिए एनएसई वर्ष 2016 से लिस्टिंग की कोशिश कर रहा है। लेकिन सेबी की जांच और जुर्माने के कारण आईपीओ प्लान लगातार टल रहा था। एनएसई ने मामले को अदालत में चुनौती दी थी जिसके बाद सेबी के आदेश के कुछ हिस्से हटाए गए, लेकिन सेबी ने उस पर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी। एनएसई में एलआईसी की 10.72 परसेंट हिस्सेदारी है। वहीं एसबीआई की 7.76 परसेंट, मॉर्गन स्टेनले की 1.58 परसेंट और कनाडा पेंशन इन्वेस्टमेंट बोर्ड की 1.60 परसेंट हिस्सेदारी है। यदि सेबी इस प्रपोजल को मंजूर कर लेती है तो उसे सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी लेनी होगी। एनएसई का घरेलू प्रतिद्वंद्वी बीएसई वर्ष 2017 में लिस्ट हो चुका है।